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Urdunama | प्यार के पड़ाव का भाग 3: उर्दू शायरी में 'हिज्र' और जुदाई की फिक्र

Urdunama Podcast: उर्दूनामा के नए पॉडकास्ट को सुनिए और जानें कि क्यों '...दूरी सही जाए ना..'

फ़बेहा सय्यद
पॉडकास्ट
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<div class="paragraphs"><p>Urdunama | प्यार के पड़ाव का भाग 3: उर्दू शायरी में 'हिज्र' और जुदाई की फिक्र</p></div>
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Urdunama | प्यार के पड़ाव का भाग 3: उर्दू शायरी में 'हिज्र' और जुदाई की फिक्र

(फोटो- क्विंट हिंदी)  

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उर्दू शायरी के शायर के लिए 'हिज्र' का मतलब होता है जुदाई, दूरी. जुदाई, उर्दू शायरी में शायर के लिए किसी एक बुरे ख्वाब की तरह है. प्यार के चरणों पर चार-भाग की सीरीज में फबेहा सैयद जुदाई की चिंता से प्रेरित मुश्किलों और तकलीफों की पड़ताल करती हैं जिससे शायर गुजरता है.

उर्दूनामा के नए पॉडकास्ट को सुनिए और जानें कि क्यों '...दूरी सही जाए ना..'

'नज़र' के बारे में इस सीरीज के पहले भाग में शायर ने अपनी प्रेमिका पर अपनी नज़रें जमाई हैं और दूसरे भाग में फ़बेहा 'कशिश' के बारे में बात करती हैं.

'उर्दूनामा' के और एपिसोड देखें, एक ऐसा पॉडकास्ट जहां हम फिल्मों और गानों में रोज़मर्रा के उर्दू शब्दों के बारे में बात करते हैं. यहां क्लिक करें.

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