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2011 में 34 वर्षीय हिना रब्बानी खार (Hina Rabbani Khar) को पाकिस्तान (Pakistan) की पहली महिला विदेश मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था. हिना रब्बानी खार इस पद को संभालने वाली सबसे कम उम्र की भी थीं. तब उनकी भारत यात्रा की खूब चर्चा हुई. खार ने अपने स्टाइल स्टेटमेंट से भारत और पाकिस्तान दोनों में सुर्खियां बटोरीं.
द गार्जियन ने तब एक लेख में लिखा था कि- "खार के ग्लैमरस रुख ने मीडिया को झकझोर दिया है और उपमहाद्वीप के गपशप करने वाले वर्ग के बीच "मोती के हार, शानदार कॉस्ट्यूम, कैवल्ली के सनग्लास, और कम से कम $9,000 के हैंडमेड स्टाइलिश हर्मीस-मेड बिर्किन बैग” के बीच चर्चा का विषय बन गई हैं.
साफ तौर पर हिना रब्बानी खार की शख्सियत उनके बिर्किन बैग्स से आगे और भी बहुत कुछ है और निश्चित रूप से तमाम महिला राजनेता अपने स्टाइल स्टेटमेंट की तुलना में और बहुत कुछ हैं.
पाकिस्तान के पंजाब राज्य के मुजफ्फरगढ़ जिले के एक 'प्रभावशाली सामंती परिवार' में जन्मीं हिना रब्बानी खार ने केवल 25 साल की उम्र में राजनीति में एंट्री मारी थी.
खार पहली बार 2002 में पंजाब में मुजफ्फरगढ़-II क्षेत्र से नेशनल असेंबली के लिए चुनी गईं. हिना रब्बानी खार के पिता गुलाम नूर रब्बानी खार भी पहले इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे. लेकिन 2002 में पाकिस्तान में एक कानून पारित किया गया था जिसके अनुसार नेशनल असेंबली के लिए चुनाव लड़ने वालों के लिए ग्रेजुएशन की डिग्री आवश्यक थी- इसी कारण हिना रब्बानी खार को राजनीति में कदम रखना पड़ा.
हिना रब्बानी खार 2008 के आम चुनावों से पहले पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी में शामिल हुईं और वो उन मुट्ठी भर मंत्रियों में से एक थीं, जिनको जनरल परवेज मुशर्रफ की सैन्य सरकार के बाद नागरिक सरकार में भी जगह मिली.
2008 के फिर से चुनाव जीतने के बाद खार को पहली बार यूसुफ रजा गिलानी कैबिनेट में वित्त और आर्थिक मामलों के राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था. तीन साल बाद 11 फरवरी 2011 को कैबिनेट फेरबदल के बाद उन्हें विदेश मामलों के राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया.
विदेश मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान खार ने भारत की यात्रा की. इससे पहले 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद वार्ता स्थगित कर दी गई थी. उन्होंने कथित तौर पर व्यापार और कश्मीर पर चर्चा की. साथ ही कथित तौर पर उन्होंने हुर्रियत के नेताओं के साथ बातचीत की थी, जिसकी बीजेपी के नेतृत्व में तत्कालीन विपक्ष ने आलोचना की थी.
2013 में विदेश मंत्री के रूप में अपने दो साल के कार्यकाल के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति को अलविदा कहा. हालांकि 2018 के चुनाव में नेशनल असेंबली में महिलाओं के लिए रिजर्व सीट से चुने जाने के बाद उन्होंने राजनीति में वापसी की.
2015 के में अल जजीरा को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि आसिफ अली जरदारी की सरकार क्षेत्रीय हितों के लिए समर्पित है.
एक साल बाद पाकिस्तानी चैनल जियो न्यूज को दिए एक दूसरे इंटरव्यू में खार ने कहा कि पाकिस्तान "युद्ध के रास्ते कश्मीर को जीत नहीं सकता".
कैबिनेट में खार की वापसी पर सिर्फ सोशल मीडिया अकाउंट्स और अखबारों के आर्टिकल्स ही नहीं थे जो सेक्सिस्ट ट्वीट्स से भरे हुए थे.
पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद हुसैन ने भी सोशल मीडिया पर खार को 'Low IQ' महिला जो केवल 'बर्किन बैग्स और महंगे आई शेड्स' के कारण प्रसिद्ध हैं, कहकर एक सेक्सिस्ट हमला किया.
2011 में भारत से लौटते समय अखबारों में सेक्सिस्ट हैडलाइन का जवाब देते हुए, उन्होंने कहा था कि "आप नहीं चाहते कि ध्यान फालतू की बात पर केंद्रित हो. मेरी जगह एक आदमी होता तो उसके साथ ऐसा नहीं होता, कोई भी उसके सूट के बारे में बात नहीं करेगा. मैं इसके लिए माफी नहीं मांगने वाली, मैं जो हूं वही रहूंगी"
शायद 2022 में भी हिना रब्बानी खार का यही जवाब होगा.
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