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‘शेन बॉलिंग’ चैंपियन जाता कहां है, वो तो अमर रहता है

सचिन और वॉर्न जब तक खेले तब तक मैदान में उन्हें एक दूसरे के खिलाफ खेलते देखना हमेशा पैसा वसूल रहता था.

हिमांशु जोशी
ब्लॉग
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<div class="paragraphs"><p>‘शेन बॉलिंग’ चैंपियन जाता कहां है, वो तो अमर रहता है</p></div>
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‘शेन बॉलिंग’ चैंपियन जाता कहां है, वो तो अमर रहता है

(फोटो- क्विंट हिन्दी)

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बात 1994-95 की है, दुनिया समझ तो नही आती थी पर हां क्रिकेट जरूर समझ में आने लगा था. मैं हाथ घुमा कर गेंदबाजी करते हुए शेन वार्न का गेंदबाजी एक्शन भी जरूर कॉपी कर लिया करता था और मेरे जैसे क्रिकेट के शौकीन लाखों हिंदुस्तानी लड़के भी यही किया करते होंगे. 'शेन बॉलिंग' एक जुमला बन गया था जो हर नए गेंदबाज को बेहतर गेंदबाजी करने के लिए प्रेरित करता रहा.

बॉल ऑफ द सेंचुरी का वो दिन

4 जून 1993 का दिन था इंग्लैंड के मैनचेस्टर में एशेज सीरीज का पहला टेस्ट मैच चल रहा था और ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी 289 रन में सिमटने के बाद अंग्रेजों का 71 रन पर पहला विकेट गिरने के बाद स्पिन को अच्छे तरीके से खेलने वाले विश्व के बेहतर बल्लेबाजों में से एक माइक गैटिंग बल्लेबाजी करने आए थे. वह चार रन पर थे जब अंग्रेजों की पारी का 28 वां ओवर लेकर मात्र 11 टेस्ट खेले शेन वॉर्न उनके सामने गेंद लिए खड़े थे. लगभग दस कदमों का रन अप ले उन्होंने गेंद डाली जो कमेंटेटर के अनुसार लेग स्टम्प से लगभग ढाई फीट दूर टप्पा खाई थी. अगले ही पल गेंद ऑफ स्टम्प से जा टकराई और माइक गैटिंग लगभग दस सेकेंड तक विकेट के सामने अचंभित होकर खड़े थे.

सचिन और वॉर्न

सचिन और वॉर्न जब तक खेले तब तक मैदान में उन्हें एक दूसरे के खिलाफ खेलते देखना हमेशा पैसा वसूल रहता था.

सचिन ने साल 1998 की सीरीज के दौरान शेन वार्न की गेंदों पर खूब रन बटोरे थे.

शारजाह की उस वनडे सीरीज में सचिन तेंदुलकर ने लगभग हर ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की धुनाई की, तब वार्न ने कहा था कि जब मैं बेड पर जाता हूं मुझे सपने आते हैं कि सचिन मेरे सिर के ऊपर से छक्का मार रहे हैं, उन्हें रोक पाना मुश्किल है, मुझे नहीं लगता कि डॉन ब्रैडमैन के अलावा कोई उस क्लास में है, जिसमें सचिन हैं, वह एक शानदार खिलाड़ी हैं.

सचिन भी मैदान के बाहर इस महान स्पिनर की हमेशा इज्जत करते दिखे इसी साल जनवरी 25 को शेन वॉर्न पर अमेजन प्राइम में एक डॉक्यूमेंट्री आई थी, जिसमें सचिन कहते हैं कि मुझे कभी हिचकिचाहट नही होगी, जब मैं शेन का नाम अब तक खेले सभी स्पिनरों में सबसे ऊपर रखूंगा.

शेन वॉर्न के जाने पर सचिन ने उन्हें याद करते ट्वीट किया 'शॉक्ड, स्तब्ध और दुखी हूं, आपको याद करेंगे वॉर्नी आपके साथ मैदान पर उसके बाहर कोई भी पल खराब नहीं रहा. हमेशा आपकी ऑन फील्ड और ऑफ फील्ड यादों को संजोए रखेंगे भारत और भारतीयों के दिलों में आपके लिए खास स्थान रहा है.

बहुत जल्दी चले गए...

वर्ल्ड कप से बाहर होना

साल 2003 में दक्षिण अफ्रीका की जमीन पर खेले जाने वाले क्रिकेट विश्व कप के लिए ऑस्ट्रेलियाई टीम में उन्हें शामिल किया गया था. ऑस्ट्रेलिया कप की प्रबल दावेदार भी थी, दक्षिण अफ्रीका पहुंचने के बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों का डोप टेस्ट हुआ जिसमें शेन वॉर्न फेल हो गए थे. इसके चलते उन पर एक साल का प्रतिबंध लगाया गया अपने बचाव में उन्होंने कहा कि मैंने मां के कहने पर यह दवा ली, जो वजन घटाने के लिए थी वह वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया ही जीता और हारने वाली टीम थी भारत.

श्रीलंका के खिलाफ खेले टेस्ट में उन्होंने विकेटों की झड़ी लगा प्रतिबंध से एक साल बाद हुई अपनी वापसी को यादगार बना दिया.

टेस्ट और वनडे में शानदार रिकॉर्ड

शेन वॉर्न ने जिस समय क्रिकेट खेला तब वनडे सीमित संख्या में होते थे और वेस्टइंडीज के बाद ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट की महाशक्ति बन गया था उसे हराना असम्भव सा होता था, ऑस्ट्रेलिया की उस महान टीम में शेन वॉर्न मानो रीढ़ की हड्डी थे. उन्होंने कुल 145 टेस्ट मैच खेले, इस दौरान वॉर्न ने 2541 की औसत से 708 विकेट चटकाए, जो मुथैया मुरलीधरन के बाद टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक हैं.

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शेन वॉर्न का वनडे करियर भी काफी शानदार रहा. वॉर्न ने 194 वनडे इंटरनेशनल में 293 विकेट चटकाए थे. इस दौरान उनका औसत 2573 एवं स्ट्राइक रेट 363 का रहा था. वह साल 1999 की वनडे विश्व विजेता ऑस्ट्रलियाई क्रिकेट टीम के सदस्य भी रहे थे.

जनवरी 2007 में खेली गई एशेज सीरीज ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 5-0 से हराकर जीती थी, तभी शेन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था.

निजी जीवन में अनुशासित नही रह पाए वॉर्न

साल 2000 में एक ब्रिटिश नर्स ने शेन पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वॉर्न द्वारा उन्हे अश्लील मैसेज भेजे गए है. इस आरोप के बाद उनसे उप-कप्तानी भी छीन ली गई थी.

वॉर्न की आशिकमिजाजी की वजह से ही उनका तलाक हो गया, जिसके बाद वह ब्रिटिश अभिनेत्री लिज हर्ले के साथ सम्बन्ध में रहे पर बाद में उनसे भी अलग हो गए. साल 2019 में उन पर एक साल के लिए ड्राइविंग प्रतिबंध भी लगा था.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, वॉर्न पर यह प्रतिबंध दो साल के दौरान छठी बार गति का उल्लंघन करने के बाद लगाया गया था.

पिछले साल वॉर्न के दोस्त ट्रिपल एम सिडनी रेडियो के होस्ट लॉरेंस मूने ने उनको लेकर कुछ नए खुलासे किए थे. डेलीमेल से बात करते मूने ने कहा कि वॉर्न 'लेडीज मैन' हैं. उनको बेड पर अकेले जाना बिल्कुल पसंद नहीं है. मूने ने बताया कि 51 साल की उम्र में भी वॉर्न डेटिंग एप टिंडर यूज करते हैं. उसकी लाइफ टिंडर, शराब, डार्ट, गैंबलिंग और क्रिकेट ही है. इन पांच चीजों के अलावा उसकी जिंदगी में कुछ नहीं है.

आईपीएल और बिग बैश

शेन वॉर्न नए जमाने के क्रिकेट 20-20 में भी काफी साल क्लब क्रिकेट खेलते रहे. आईपीएल के पहले सीजन में उन्होंने अपनी टीम राजस्थान रॉयल्स को खिताब दिलवाया.

ऑस्ट्रेलिया में खेले जाने वाली बिग बैश लीग में वह मेलबर्न स्टार्स की तरफ़ से खेलते थे और वहां भी उनका नाता विवादों से नही छूटा. मेलबर्न रेनेगेड्स के लिए खेलने वाले वेस्टइंडीज के क्रिकेटर मार्लोन सैमुअल्स से 6 जनवरी 2013 में मैच के दौरान वॉर्न ने अपशब्द कहे, बाद में इस वज़ह से उन्हें एक मैच का प्रतिबंध लगा.

साल 2013 में ही वॉर्न ने घोषणा करी कि वह अब बिग बैश लीग में भी नही खेलेंगे. इस तरह प्रतियोगी क्रिकेट में उनका सफ़र ख़त्म हुआ था.

साल 2014 में लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान में उन्होंने एक प्रदर्शनी मैच भी खेला था पर ब्रेट ली की गेंद हाथ पर लगने के कारण वह गेंदबाजी करने नही उतरे थे. इस मैच में सचिन, सहवाग और युवराज जैसे खिलाड़ी भी शामिल थे.

कमेंटेटर के रूप में कैसे रहे थे वॉर्न

कमेंट्री को पेशे के रूप में चुनने के बाद शेन वॉर्न कमेंट्री बॉक्स में भी चर्चा में रहते थे. दिसम्बर 2020 में शेन ने कमेंट्री के दौरान पुजारा का विवादित निकनेम लिया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने उनको जमकर ट्रोल किया था.

साल 2021 के दौरान बिग बैश लीग में हुए एडिलेड स्ट्राइकर्स और मेलबर्न रेनेगेड्स के बीच मैच की शुरुआत से पहले वॉर्न और एंड्र्यू सायमंड्स लाबुशेन की बल्लेबाजी को लेकर चर्चा कर रहे थे, जिसमें उन्होंने लाबुशेन को अपशब्द भी कहे थे.

अपने देश में स्पिनरों के गिरते स्तर से दुखी थे वॉर्न

शेन वॉर्न के साथ क्रिकेट खेले रिकी पोंटिंग, ग्लेन मैकग्रा, मैथ्यू हैडन, जस्टिस लेंगर, एडम गिलक्रिस्ट, डैमियन मार्टिन, ब्रैट ली, एंड्र्यू साइमंड्स ने जब से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास लिया तब से ऑस्ट्रलियाई टीम ने विश्व क्रिकेट में अपना दबदबा भी खो दिया. उनके बाद नाथन लियोन ही एक अच्छे ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर के तौर पर कुछ नाम कमा सके.

शेन वॉर्न अपने देश में स्पिन गेंदबाजों के गिरते स्तर से अनजान नही थे, उन्होंने ‘द वेस्ट ऑस्ट्रेलियन’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा था ‘स्पिनर को हर मैच खेलना चाहिये, चाहे हालात कैसे भी हो.

ताकि स्पिनर समझ सके कि पहले या चौथे दिन कैसी गेंद डालनी है. इस समय हालात अनुकूल होने पर ही प्रांतीय टीमें उन्हें चुनती हैं.

अगर वे प्रांतीय स्तर पर नहीं खेलेंगे तो सीखेंगे कैसे. प्रदेश की टीमों को हर मैच में एक विशेषज्ञ स्पिनर रखना चाहिए. क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को इसमें प्रयास करने होंगे. नाथन लियोन की जगह लेने के लिए प्रतिभाशाली स्पिनर की कमी है.'

कैसे याद किए जाएंगे वॉर्न?

मैदान के बाहर वो जैसे भी थे पर मैदान के अंदर उन्होंने जो कुछ किया था, उसकी वजह से हर कोई उनसे प्यार करता था. जिस तेजी के साथ आजकल क्रिकेट खेला जा रहा है और खिलाड़ियों को मशीन समझा जाने लगा है, उसे देख यह नही लगता कि आने वाले समय में कोई भी क्रिकेटर 1000 विकेट लेने का कारनामा फिर से दोहरा भी पाएगा.

शेन वॉर्न ने कुछ दिन पहले शेयर की हुई अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा था कि

जुलाई तक वह फिर से फिट होना चाहते हैं. उनसे क्रिकेट जगत को भी अभी काफ़ी कुछ सीखना था पर वो इस दुनिया से चले गए.

चैंपियन जाता कहां है वो तो अमर रहता है, वॉर्न इस दुनिया से जाने के बाद भी दूसरी दुनिया से उभरते क्रिकेटरों को प्रेरित करते रहेंगे. 'शेन बॉलिंग' से न जाने कितने खिलाड़ी भविष्य में भी अपनी कलाई घुमाएंगे और जोर से घुमाएंगे.

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