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UP: स्कूटर मैकेनिक का बेटा आमिर अली टीम इंडिया के लिए खेल रहा हॉकी

आमिर अली मलेशिया में हो रहे सुल्तान जौहर कप हॉकी टूर्नामेंट में भारत की तरफ से खेल रहे हैं.

अनुराग सिंह
स्पोर्ट्स
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<div class="paragraphs"><p>स्कूटर मैकेनिक का बेटा आमिर अली टीम इंडिया के लिए खेल रहा हॉकी</p></div>
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स्कूटर मैकेनिक का बेटा आमिर अली टीम इंडिया के लिए खेल रहा हॉकी

(फोटो- क्विंट हिंदी)  

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ के आमिर अली (Aamir Ali) पिछले दिनों जूनियर हॉकी टीम (Junior Hockey Team) में चुने गए. आमिर अभी मलेशिया में भारत की ओर से हॉकी खेल रहे हैं. आमिर के पिता तसव्वुर अली फुटपाथ पर बाइक रिपेयरिंग करते हैं. आमिर अली मलेशिया में हो रहे सुल्तान जौहर कप हॉकी टूर्नामेंट में भारत की तरफ से खेल रहे हैं.

क्विंट ने आमिर के पिता और कोच से उनके संघर्षों को लेकर बात की. उनके पिता ने आमिर अली के इस सफर के बारे में क्या बताया आइए आपको बताते हैं.

आमिर के पिता तसव्वुर अली की फुटपाथ किनारे स्कूटर रिपेयरिंग की दुकान है. क्विंट की टीम जब तसव्वुर अली की इस फुटपाथ किनारे वाली दूकान पर पहुंची तब भी वह स्कूटी को रिपेयर कर रहे थे. अपने बेटे आमिर अली के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि, "आमिर पांच-छह साल से हॉकी खेल रहे हैं, हमने कमा कर उन्हें खर्चा पानी दिया, नहीं हुआ तो किसी से लेकर दिया."

जब उनसे पूछा गया कि कभी आपने सोचा था कि आपका बेटा देश के लिए खेलेगा? इस सवाल के जवाब में वह कहते हैं, "वो जब खेलता था और हमारी इस दुकान पर बैठता था तो हमने कहा यह काम मत करो, कुछ भी करो, उन्होंने कहा हम हॉकी खेलेंगे हमने कहा खेलो, लेकिन कामयाब होकर आना."

क्विंट ने आमिर अली के कोच राशिद अजीज खान से भी बातचीत की. कोच आमिर अली ने बताया कि, "आमिर जब मेरे पास आया तब बहुत छोटा था, करीब 7-8 साल का था. मैं केडी सिंह बाबू सोसाइटी में सीनियर खिलाड़ियों को ट्रेन करता था, वहां कुछ छोटे बच्चे भी आते थे. आमिर भी उनमें से था लेकिन आमिर में लगन बहुत थी. और जो एक हॉकी प्लेयर में फिजिकल कंपोनेंट्स होते हैं वो बहुत अच्छे थे."

राशिद अजीज खान बताते हैं कि, "आमिर अली जैसे बच्चों की आर्थिक स्तिथि बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी लेकिन प्रतिभा को कोई रोक नहीं सकता है, अगर किसी में प्रतिभा है तो वह एक दिन निखर के जरूर आती है. आमिर जैसे कई बच्चे आते थे जिनके पास पहनने के ठीक कपड़े और स्टिक तक के पैसे नहीं होते थे लेकिन सीनियर खिलाड़ी और हम सब मिलकर इनकी मदद करते थे."

राशिद अजीज खान कहते हैं कि, "वह इन बच्चों को जल्द ही सीनियर टीम इंडिया के लिए खेलते देखना चाहते हैं. मुझे पता है कि यह लड़का रुकने वाला नहीं है."

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