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बजरंग पुनिया के लिए ओलंपिक 2024 का सफर क्यों समाप्त हुआ जबकि 2 मौके अभी भी 'बाकी'?

Olympics 2024: बजरंग पुनिया की 2024 पेरिस ओलंपिक की उम्मीदों पर पानी फिर गया है, हालांकि विनेश फोगाट अभी भी टिकट हासिल कर सकती हैं

शुवादित्य बोस
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Published:
<div class="paragraphs"><p>बजरंग पुनिया का ओलंपिक 2024 का सफर समाप्त, विनेश फोगाट ने बढ़ाया कदम</p></div>
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बजरंग पुनिया का ओलंपिक 2024 का सफर समाप्त, विनेश फोगाट ने बढ़ाया कदम

फोटो: क्विंट हिंदी

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Olympics 2024: भारतीय कुश्ती अखाड़े से आई एक खबर ने कई लोगों को हैरानी में डाल दिया है. 2024 पेरिस ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने का सपना देख रहे बजरंग पुनिया का यह सपना टूट गया है. 2020 के ओलंपिक में भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाने वाले बजरंग पुनिया (Bajrang Punia) 2024 ओलंपिक में भेजे जाने के लिए चल रहे नेशनल सेलेक्शन ट्रायल में अपने वेट ग्रुप में टॉप पर नहीं रह पाए. यह ट्रायल भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा नियुक्त तदर्थ समिति द्वारा आयोजित किया गया. वहीं, विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) ने महिलाओं के 50 किग्रा वर्ग में जीत हासिल कर ली है.

इस आर्टिकल में हम आपको कुश्ती ट्रायल के बारे में सारी जानकारी देंगे.

भारतीय पहलवान 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए कैसे क्वालीफाई कर सकते हैं?

बजरंग पुनिया की हार और विनेश फोगट की जीत पर चर्चा करने से पहले, आइए यह समझें कि भारतीय पहलवान कैसे पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर सकते हैं.

भारतीय पहलवान तीन प्रतियोगिताओं के जरिए से ओलंपिक कोटा सुरक्षित कर सकते हैं:

  • 2023 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप (16-24 सितंबर 2023)

  • 2024 एशियाई क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट (19-21 अप्रैल 2024)

  • 2024 वर्ल्ड क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट (9-12 मई 2024)

फिलहाल इन तीन प्रतियोगिताओं में से दो का आयोजन होना बाकी है. एशियाई क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट 19 से 21 अप्रैल तक किर्गिस्तान के बिश्केक में आयोजित किया जाएगा, जबकि विश्व क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट 9 से 12 मई तक तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित किया जाएगा.

कितने भारतीय पहलवानों ने पहले ही ओलंपिक का टिकट कटा लिया है?

अब तक केवल एक भारतीय पहलवान 2024 पेरिस ओलंपिक में अपनी जगह बनाने में सफल रहा है.

तीनों क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट में से एक प्रतियोगिता जो पहले ही आयोजित की जा चुकी है वह है 2023 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप. इसमें हरियाणा की टीनेजर अंतिम पंघाल ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था और इस तरह भारत ने एक कोटा अपने नाम किया. सर्बिया के बेलग्रेड में आयोजित इस कॉम्पटीशन में अंतिम ने कई नामी पहलवानों को मात दी थी. इसमें वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल विजेता रोकसाना जसीना और तीन बार की यूरोपीय चैंपियनशिप पदक विजेता जोना माल्मग्रेन शामिल थीं.

यह जानना जरूरी है कि अंतिम पंघाल की जीत उन्हें पेरिस के टिकट की गारंटी नहीं देती है बल्कि इस जीत के साथ उन्होंने केवल अपने देश के लिए एक कोटा सुरक्षित किया है. प्रत्येक देश कुश्ती में अधिकतम 18 कोटा सुरक्षित कर सकता है.

ओलंपिक क्वालीफायर से पहले ही क्यों बाहर हुए बजरंग पुनिया?

सवाल है कि अगर ओलंपिक क्वालीफिकेशन की दो प्रतियोगिताएं अभी होनी बाकी हैं, तो बजरंग पुनिया की उम्मीदें पहले ही खत्म क्यों हो गईं?

ऐसा इसलिए है क्योंकि नेशनल ट्रायल में प्रदर्शन ही निर्धारित करता है कि किसी पहलवान को ओलंपिक क्वालीफायर में भेजा जाएगा या नहीं.

तीन सदस्यों वाली तदर्थ समिति अभी भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के मामलों की देखरेख कर रही है. उसने 10 और 11 मार्च को सोनीपत और पटियाला में ट्रायल आयोजित किया था.

नॉकआउट स्टाइल टूर्नामेंट में हर एक वजन कैटेगरी के पहलवान आपस में कुश्ती करते है. हर कैटेगरी के विजेता बिश्केक और इस्तांबुल में आगामी क्वालीफायर में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका हासिल करेंगे.

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नेशनल ट्रायल्स में बजरंग पुनिया का प्रदर्शन कैसा रहा?

बजरंग पुनिया को पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख, बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ एक साल तक चले विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के कारण खेल से लंबे समय तक दूर रहना पड़ा. वापसी के बाद उन्हें एक कठिन दौर से गुजरना पड़ा. पिछले साल आयोजित एशियाई खेलों में बजरंग पुनिया को निराशा हाथ लगी. ब्रॉन्ज मेडल मैच में बजरंग को जापान के कैकी यामागुची के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा.

स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) के सोनीपत केंद्र में आयोजित राष्ट्रीय ट्रायल में बजरंग ने बेहद करीबी मुकाबले में जीत के साथ अपने अभियान की शुरुआत की. रविंदर के खिलाफ उनका बाउट 3-3 पर समाप्त हुआ लेकिन तीन बार के कॉमनवेल्थ गेम्स के मेडल विजेता, बजरंग को मानदंडों के आधार पर जीत हासिल हुई.

हालांकि, पुरुषों के 65 किग्रा वर्ग में अपने सेमीफाइनल मैच में बजरंग को रोहित कुमार से 1-9 से करारी हार का सामना करना पड़ा. हालांकि फाइनल में रोहित को सुजीत कलाकल ने मात दे दी.

ट्रायल में किसने हासिल की जीत

बजरंग पुनिया के अलावा, एक और हार ने सोनीपत के लोगों को हैरान कर दिया. 2020 टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले रवि कुमार दहिया को लगातार दो हार का सामना करना पड़ा.

26 वर्षीय खिलाड़ी ने अपने दिन की शुरुआत अमन सहरावत के खिलाफ 13-14 की हार के साथ की और अगले मैच में U20 एशियाई चैंपियनशिप के विजेता उदित से 8-10 से हार गए. पुरुषों के 57 किग्रा वर्ग में सहरावत ने जीत दर्ज की.

यहां उन पहलवानों की सूची दी गई है जो विजयी हुए:

फ्रीस्टाइल

  • 57 किग्रा - अमन सहरावत

  • 65 किग्रा - सुजीत कलकल

  • 74 किग्रा - जयदीप

  • 86 किग्रा - दीपक पुनिया

  • 97 किग्रा - दीपक नेहरा

  • 125 किग्रा - सुमित मलिक

ग्रीको-रोमन

  • 60 किग्रा - सुमीत

  • 67 किग्रा - आशु

  • 77 किग्रा - विकास

  • 87 किग्रा - सुनील कुमार

  • 97 किग्रा - नितेश

  • 130 किग्रा - नवीन

विनेश फोगाट का प्रदर्शन कैसा रहा है?

बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की एक अन्य सक्रिय सदस्य विनेश फोगाट ट्रायल में विजयी रहीं लेकिन अपने पसंदीदा वजन वर्ग में नहीं.

तीन बार कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वालीं विनेश फोगाट ने 50 किग्रा और 53 किग्रा दोनों कैटेगरी में मुकाबला खेला था. 53 किग्रा उनका पसंदीदा डिवीजन है लेकिन इसी कैटेगरी में अंतिम पंघाल ने कोटा हासिल किया है.

विनेश को 53 किग्रा वर्ग के सेमीफाइनल में अंजू ने 0-10 से हराया. वहीं विनेश ने 50 किग्रा वर्ग में 3-6 की हार से उबरते हुए फाइनल में शिवानी के खिलाफ 1-6 से जीत दर्ज की.

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