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'रोनाल्डो के सामने मेसी तो कुछ नहीं'... 'कायदे से तो पेले और मैराडोना GOAT हैं, मेसी के दौर का फुटबॉल आसान है'... 'रोनाल्डो ने मेहनत की है मेसी पर तो ऊपरवाला मेहरबान है'..
न जाने कितने मौके आए होंगे जब चलते लेक्चर के बीच कॉलेज क्लासरूम की सबसे पीछे की सीट पर बैठकर आपस में ये सब नोक-झोक चलती रहती थी. एक ही रो में तीन खेमे बैठे होते थे- एक रोनाल्डो समर्थक, एक मेसी (Lionel Messi) को GOAT बताने वाले और तीसरे पेले जैसे पुराने उस्तादों के सामने इन दोनों को बच्चा समझने वाले. आज जब अर्जेंटीना की शान लियोनेल मेसी सफेद और नीली जर्सी में FIFA World Cup 2022 Final में फ्रांस का सामना करने उतरें तो कॉलेज के हर साथियों की देश और दुनिया के कई कोनों से नजर टीवी स्क्रीन से चिपकी रही. आज मेसी ने अपना आखिरी सपना- एक अदद वर्ल्डकप जीतकर अपने आलोचकों और अपने कट्टर फैंस, दोनों को मैसेज दिया है... आप मुझे GOAT कह सकते हो.
अर्जेंटीना और फ्रांस के बीच फाइनल के लिए कतर के लुसैल स्टेडियम में मेसी के लिए ग्रैंड फेयरवेल का मंच सजा और मुकाबले में मेसी ने दो गोल मारकर अपने आप को एक बार फिर साबित किया.
35 साल के मेसी के पास फुटबॉल पिच पर सबकुछ था. लेकिन यह उनका आखिरी वर्ल्डकप था और उनके पास वर्ल्डकप न जीत पाने की उनकी एकलौती टीस को मिटाने का आखिरी मौका था. उसमें वह सफल भी हुए. मेसी के दौर के उनके सबसे बड़े प्रतिद्वंदी रोनाल्डो पहले ही इस कोशिश में असफल होकर बाहर हो गए थे. उनकी टीम पुर्तगाल को मोरक्को ने क्वाटरफाइनल में हराकर उनके पहले वर्ल्डकप जीतने का सपना तोड़ दिया. रोनाल्डो का भी यह आखिरी वर्ल्डकप था.
यह सही है कि वर्ल्डकप के इतिहास में मेसी (26 मैच में 13 गोल) रोनाल्डो (19 मैच में 15 गोल) के टोटल गोल टैली को आज तोड़ नहीं पाए लेकिन अब मेसी के पास वर्ल्डकप है, जो रोनाल्डो के पास नहीं है.
कतर 2022 में अर्जेंटीना के पहले मैच सऊदी अरब ने बड़ा उलटफेर करते हुए जीत हासिल की. इस मैच में मेसी ने एक गोल दागा था. अर्जेंटीना ने फाइनल के पहले अपने आखिरी गेम में जब क्रोएशिया को 3-0 से हराया तो उसमे भी मेसी ने एक गोल दागा.
इन दो मैचों के बीच में, मेसी ने अपना दमखम दिखाते हुए तीन और गोल स्कोर किए और एक असिस्ट भी किया. मेसी गोल्डन बूट की रेस में किलियन एमबाप्पे को कड़ी टक्कर दी लेकिन एमबाप्पे ने फाइनल में हैट्रिक मार गोल्डन बूट अपने नाम कर लिया.
यह मेसी का जादू ही है कि मेसी की 10 नंबर की अर्जेंटीना की जर्सी की असाधारण मांग चल रही थी. यह कुछ देशों में पूरी तरह खत्म हो गया जबकि दूसरों में इसकी कमी चल रही. मांग इतनी अधिक थी कि एडिडास को एक बयान जारी कर कहना पड़ा कि कंपनी "फैंस को अधिक जर्सी दिलाने के लिए काम कर रही है ताकि वे नेशनल टीम की इस अविश्वसनीय जर्नी का जश्न मना सकें".
याद रहे कि मेसी के लिए ये फाइनल इतना आसान नहीं रहा. 2018 में वर्ल्डकप जीतकर फ्रांस की टीम बैक-टू-बैक विश्व कप (इटली 1934 और 1938, ब्राजील 1958 और 1962) जीतने वाली केवल तीसरी टीम बनना चाहती थी और उसने मेसी को उनका यह सपना थाली में परोस कर नहीं दिया. अर्जेंटीना को यह मुकाबला पेनल्टी शूटआउट में जीतना पड़ा.
एक बार फिर 10 नंबर जर्सी पहने और ड्रिबल करते मेसी पर सबकी निगाहे रही. फिर जश्न केवल अर्जेंटीना में नहीं मना. 2017 के दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे उन दोस्तों का मजमा भी जश्न मना रहा है जो पिछली बेंच पर बैठ कर सिर्फ फुटबॉल की बातें करता था.
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