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जन्मदिन मुबारक हो कप्तान. आपके अच्छे स्वास्थ्य और खुशियों की कामना करता हूं .
प्रज्ञान ओझा ने आज महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni's Birthday) के लिए उनके 41वें जन्मदिन पर ये ट्वीट किया है. यही हैं धोनी जो अपने समकालीन क्रिकेटरों के लिए हमेशा कप्तान थे और रहेंगे. धोनी सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया भर में क्रिकेट समझने और जानने वाले लोगों के बीच सम्मान पाते हैं.
हम आपको धोनी के करियर के कुछ शानदार पल बताते हैं जिन्होंने महेंद्र सिंह धोनी को धोनी बनने में मदद की और दुनिया भर में नाम कमाया. इसमें उलपब्धि, विवाद, सम्मान और कप्तानी का जलवा भी है.
साल 2011 की बात है भारत इंग्लैंड दौरे के दौरान लॉर्ड्स में खेला गया पहला मैच 196 रनों से हार गया था. नॉटिंघम में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट में भी इंग्लैंड ने अपनी दूसरी पारी में भारत पर 184 रनों की लीड चढ़ा ली थी.
इशांत शर्मा की गेंद पर इयान मॉर्गन ने लेग साइड पर शॉट खेला और 131 रन पर खेल रहे इयान बेल रन दौड़ने लगे, बाउंड्री पर प्रवीण कुमार ने गेंद रोकी पर खुद उन्हें भी नहीं पता था कि गेंद बाउंड्री से टकराई या नही. बेल गेंद को बाउंड्री पर सोचकर क्रीज छूने नही गए और अभिनव मुकुंद ने हल्के से गिल्लियां बिखेर दी थी. थर्ड अंपायर ने इयान बेल को आउट करार दिया और चायकाल का समय भी हो गया, निराश बेल पैवेलियन वापस लौट गए.
धोनी ने इयान बेल के खिलाफ की अपील वापस लेकर, उन्हें फिर से खेलने का मौका दे दिया था. भारत ये टेस्ट 319 रनों से हार गया था पर अंग्रेजों की जमीन पर ये भारतीयता की जीत थी. बाद में इयान बेल ने इस घटना पर खुद की गलती भी मानी थी और इसी घटना के लिए धोनी को साल 2020 में आइसीसी की तरफ से इस दशक का स्पिरिट ऑफ क्रिकेट अवॉर्ड दिया गया.
महेन्द्र सिंह धोनी एक अच्छे विकेटकीपर, बल्लेबाज ही नहीं एक सफलतम कप्तान भी हैं. इस खिलाड़ी के कई रूप हैं, कई पारियां हैं जो क्रिकेट प्रेमियों की कभी न भूलने वाली यादें बन चुकी हैं. जसप्रीत बुमराह, युजवेंद्र चहल, दीपक चाहर और न जाने कितने क्रिकेटर जिनका क्रिकेट धोनी ने उनके शुरुआती दिनों में सजाया और संवारा है.
भारतीयों की रगों में क्रिकेट दौड़ता है. यहां शतकों का सैकड़ा बनाने वाले सचिन को 'भगवान' का दर्जा मिला तो नायाब महेंद्र सिंह धोनी के रूप में एक 'थाला' भी मिला.
क्रिकेट पर जान छिड़कते इस देश के लोगों के बीच से जब 1983 के वर्ल्ड कप की यादें धुंधली पड़ने लगी थी. तब धोनी ने करोड़ों भारतीय क्रिकेट प्रेमियों का वो सपना पूरा किया, जिसकी आस में वो सालों से न जाने कितनी कॉपियों में भारत की टीम लिखते और मिटाते आए थे.
साल 2003 में हम ऑस्ट्रेलिया से वर्ल्ड कप के फाइनल में हारे और इस हार कई क्रिकेट प्रेमियों के दिलों को गहरा जख्म दे गई थी.
इन्हीं जख्मों पर मरहम लगाने की खोज में साल 2004 के अंत में धोनी को भारतीय क्रिकेट टीम में लाया गया और 2007 में वेस्टइंडीज के निराशाजनक एकदिवसीय वर्ल्डकप के बाद उन्हें भारतीय टीम का कप्तान बना दिया गया. ये वो कप्तान था जो भारतीय क्रिकेट का भविष्य बदलने आया था, धोनी ने साल 2007 में पहली बार खेले जा रहे टी-20 विश्व कप का खिताब भारत को दिलवाया. ये जीत इसलिए खास थी क्योंकि फाइनल में भारत ने पाकिस्तान को हराया था. साल 2009 में भारतीय क्रिकेट टीम उनकी कप्तानी में टेस्ट की नम्बर वन टीम बन चुकी थी
पूरी सीरीज में युवराज का बेहतरीन खेल हो या श्रीलंका के खिलाफ मुंबई में खेले गए फाइनल मैच के अंत में धोनी द्वारा जड़ा गया विजयी छक्का, इस सीरीज की हर याद भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने हमेशा के लिए अपने दिल में बसा ली.
जून 2013 में इंग्लैंड को पांच रन से हरा धोनी ने भारत को चैंपियंस ट्रॉफी का दूसरा खिताब दिलवाया. इसके साथ ही धोनी विश्व के अकेले ऐसे कप्तान बन गए, जिन्होंने आईसीसी की तीनों ट्रॉफियां जीती हों.
ऐसा नहीं है कि धोनी ने मैदान में अपने किए कारनामों से ही लोगों को चौंकाया है, धोनी ने मैदान के बाहर लिए अपने फैसलों से भी क्रिकेट को फॉलो करने वाले लोगों को चौंकाया. साल 2014 में धोनी ने ऑस्ट्रेलिया दौरे के बीच में ही टेस्ट क्रिकेट से सन्यास लेने का एलान कर दिया.
2015 में ऑस्ट्रेलिया में होने वाले एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप के ठीक पहले धोनी एक खूबसूरत बच्ची के पिता बने, लेकिन भारत को वर्ल्ड कप जिताने के मिशन पर ध्यान देने के लिए धोनी उसे देखने तक नही आए. अफसोस भारत इस विश्व कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गया और इसके बाद ही धोनी अपनी बेटी से मिले.
कैप्टन कूल कहे जाने वाले धोनी का विवादों से भी नाता रहा. चेन्नई सुपरकिंग्स के बैन पर उनकी साधी गयी चुप्पी पर काफी सवाल खड़े हुए. इसके साथ ही वरिष्ठ खिलाड़ियों को टीम से बाहर निकालने को लेकर भी धोनी पर आरोप भी लगते रहे हैं.
तभी तो धोनी हैं बाहुबली, अंतरराष्ट्रीय के बाद अब आईपीएल में कमाल
जुलाई 2015 में चेन्नई सुपरकिंग्स पर अवैध सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग के आरोपों को लेकर दो साल का बैन लगा दिया गया और धोनी आईपीएल में नई नवेली टीम पुणे सुपरजाइंट्स के साथ जुड़ गए. यहां धोनी कमाल नहीं दिखा सके और आलोचकों के निशाने पर आ गए, पर धोनी तो धोनी हैं. दो साल के बैन के बाद साल 2018 में जब आईपीएल में चेन्नई सुपरकिंग्स की वापसी हुई, तब धोनी ने उसे खिताब जिताने के साथ ही आलोचकों के मुंह पर ताले जड़ दिए. इसके बाद साल 2019 के आईपीएल में धोनी की टीम फाइनल में मुंबई से सिर्फ एक रन से हारी थी.
इंग्लैंड में खेले गये साल 2019 के एकदिवसीय क्रिकेट विश्वकप में धोनी के प्रदर्शन पर बीच विश्वकप में ही आलोचक कहने लगे कि धोनी तो अब धीमा हो गया है. धोनी फिर से अपने आलोचकों को चुप ही करने वाले थे कि सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ बेहद दबाव भरे मैच में अच्छा खेलने के बाद रन आउट हो गए, धोनी रनआउट क्या हुए उनके साथ जबरदस्त खेल रहे जडेजा के भी कंधे झुक गए और भारत का उस विश्वकप में सफर वहीं खत्म हो गया.
साल 2020 के आईपीएल में चेन्नई सुपरकिंग्स प्लेऑफ से बाहर होने वाली पहली टीम बनी लेकिन 2021 के आईपीएल में धोनी ने चेन्नई को उसका चौथा आईपीएल खिताब जिताया.
धोनी के साल 2022 आईपीएल में कप्तानी न करने के फैसले के बाद रविन्द्र जडेजा को कप्तानी दी गई थी, लेकिन रवींद्र जडेजा के बीच आईपीएल में कप्तानी पद छोड़ने के बाद धोनी को ये जिम्मेदारी फिर से दे दी गई.
सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ हुए मैच से पहले पीले रंग से रंगी दर्शक दीर्घा के शोर के बीच धोनी ने आईपीएल में अपने भविष्य पर भी बड़ा बयान दे दिया था, उन्होंने 2023 में आईपीएल खेलने की संभावना से इंकार नही किया.
साल 2022 में धोनी कप्तान पद पर वापसी के बावजूद चेन्नई को प्लेऑफ तक नही पहुंचा पाए, हालांकि अगले आईपीएल के लिए वो अभी से तैयार हैं और अपने घुटने की समस्या का आयुर्वेदिक इलाज रांची से करीब सत्तर किलोमीटर दूर लापुंग गांव में करवा रहे हैं. मीडिया में धोनी का ये इलाज भी चर्चा का विषय बना हुआ है. थाला का सफर अब भी जारी है और शायद हमेशा रहेगा.
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