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वर्ल्ड चैंपियन वेटलिफ्टर मीराबाई चानू (48 किलोग्राम वर्ग) ने रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन करते हुए भारत को 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में पहला गोल्ड मेडल दिलाया. चानू ने यादगार प्रदर्शन करते हुए स्नैच में कॉमनवेल्थ गेम्स का रिकॉर्ड तोड़ा. उन्होंने तीनों कोशिशों में अपने से दोगुने 80 किलो, 84 किलो और 86 किलो वजन उठाया.
इसके बाद क्लीन एंड जर्क में भी अपने शरीर के वजन से दोगुना वजन उठाया. तीन सफल कोशिशों में 103 किलो, 107 किलो और 110 किलो वजन उठाकर खेलों का ओवरऑल रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया.
चानू ने ग्लास्गो में पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीता था. तब उन्होंने कुल 196 किलो (86 और 110 किलो) वजन उठाया था.
चानू ने एक साथ कॉमनवेल्थ गेम्स के कई रिकॉर्ड और गेम रिकॉर्ड अपने नाम किए.
चानू ने जीत के बाद कहा, ‘‘मुझे रिकॉर्ड तोड़ने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन जब मैं यहां आई, तो सोचा था कि रिकॉर्ड बनाऊंगी. मैं शब्दों में नहीं बता सकती कि इस समय कैसा महसूस कर रही हूं.''
इससे पहले चानू का सबसे अच्छा प्रदर्शन 194 किलो (स्नैच 85 और क्लीन एंड जर्क 109) था, जो कुछ महीने पहले वर्ल्ड चैंपियनशिप में बनाया था. चानू ने कहा ,‘‘मेरा अगला लक्ष्य एशियाई खेल है. मैं इससे भी बेहतर करना चाहती हूं. वहां काफी कठिन कंपिटीशन होगा और मुझे बहुत मेहनत करनी होगी.''
पिछले कुछ सालों में चानू के प्रदर्शन में काफी सुधार आया है. वह भारतीय भारोत्तोलन की परंपरा की बागडोर अपने हाथ में ले चुकी हैं और आदर्श खिलाड़ी के रूप में अपना वर्चस्व स्थापित कर रही हैं. चानू से इस साल एशियाई खेलों और 2020 टोक्यो ओलंपिक खेलों में भी मेडल की उम्मीद है.
उनका कहना है कि वह भारत की महिला भारोत्तोलक वर्ल्ड चैंपियन कुंजारानी देवी, 2000 ओलम्पिक खेलों की बॉन्ज मेडल विजेता कर्णम मलेश्वरी,लैशराम मोनिका देवी और संजीता चानू को पछाड़कर देश की नई पहचान बनने के लिए तैयार हैं.
23 साल की चानू इम्फाल ईस्ट जिले की हैं. दूसरे भारतीय खिलाड़ियों की तरह ही उन्हें भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. चानू की प्रेरणा भारतीय महिला भारोत्तोलक कुंजरानी रही हैं, जो मणिपुर की हैं. 2007 में चानू ने इस खेल में कदम रखा था और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.
दक्षिण एशियाई जूनियर खेलों में चानू ने गोल्ड मेडल जीतने के साथ ही अपनी क्षमता का सबूत दिया. इसके बाद, उन्होंने 2011 में अंतरराष्ट्रीय युवा चैंपियनशिप में भी सोना जीता.
वरिष्ठ स्तर पर उनका पहला मेडल साल 2014 में ग्लास्गो में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में आया. उन्होंने सिल्वर मेडल हासिल किया और संजीता चानू ने गोल्ड मेडल जीता. इसके बाद, 2016 में दक्षिण एशियाई खेलों में और 2017 कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता.
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