ADVERTISEMENTREMOVE AD

CWG 2018: देश और परिवार को याद कर जीता सिल्वर मेडल-पी गुरुराजा  

गुरुराजा सुशील कुमार से प्रेरित होकर पहलवान बनना चाहते थे, लेकिन कोच ने उनमें वेटलिफ्टिंग की प्रतिभा देखी

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

कॉमनवेल्थ गेम्स में देश के लिए पहला पदक जीतने वाले वेटलिफ्टर पी गुरुराजा ने कहा है कि पहली दो कोशिश में नाकामयाब होने के बाद उन्होंने देश और परिवार को याद किया. इससे उन्हें तीसरी कोशिश में भार उठाने का हौसला मिला, और उन्होंने सिल्वर मेडल अपने नाम कर लिया. कर्नाटक के छोटे से गांव से आने वाले 25 साल के इस खिलाड़ी ने आयोजन के पहले ही दिन पुरुषों के 56 किलो वर्ग में सिल्वर मेडल जीतकर 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में भारत की झोली में पहला पदक डाला.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मुकाबले में क्लीन एंड जर्क कैटगरी की पहली दो कोशिश में फेल होने वाले गुरुराजा ने कहा-

‘‘जब मैं पहले दो प्रयास में नाकामयाब रहा, तब मेरे कोच ने मुझे समझाया कि मेरे लिए जिंदगी का काफी कुछ अगली कोशिश पर निर्भर करता है. तब मैंने अपने परिवार और देश को याद किया. मेरे परिवार के सदस्य मेरे लिये काफी मायने रखते है. उन्हें याद करके मुझे बहुत हौसला मिला और आखिरकार मैं सिल्वर मेडल जीतनें में कामयाब रहा.”
-पी गुरुराजा
गुरुराजा सुशील कुमार से प्रेरित होकर पहलवान बनना चाहते थे, लेकिन कोच ने उनमें वेटलिफ्टिंग की प्रतिभा देखी
गुरुराजा ने 56 किलो वर्ग में सिल्वर मेडल जीता

यूं मिली हार के बाद जीत

कॉमनवेल्थ गेम्स में पहली बार भाग ले रहे गुरुराजा ने अपने सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत प्रदर्शन को दोहराते हुए 249 किलो ( 111 और 138 ) वजन उठाया. मुकाबले में गुरुराजा स्नैच कैटगरी के बाद तीसरे स्थान पर थे. उन्होंने दो कोशिश में 111 किलो वजन उठाया. लेकिन क्लीन एंड जर्क कैटगरी में पहले दो कोशिश में वो नाकाम रहे. लेकिन आखिरी कोशिश में 138 किलो वजन उठाकर उन्होंने सिल्वर मेडल जीत लिया. मेडल जीतने के बाद उन्होनें कहा, ‘‘2010 में जब मैंने वेटलिफ्टिंग में किस्मत आजमाना शुरू किया था, ट्रेनिंग के पहले महीने में मैं काफी हताश था, क्योंकि मुझे यह भी पता नहीं था कि वजन कैसे उठाया जाए. यह मेरे लिए बहुत भारी था.''

गुरुराजा सुशील कुमार से प्रेरित होकर पहलवान बनना चाहते थे, लेकिन कोच ने उनमें वेटलिफ्टिंग की प्रतिभा देखी
गुरुराजा भारतीय वायुसेना में निचली श्रेणी के कर्मचारी हैं 
(फोटो: AP)

ट्रक ड्राइवर के बेटे गुरुराजा सुशील कुमार से प्रेरित होकर पहलवान बनना चाहते थे. लेकिन कोच की पैनी नजरों ने उनमें वेटलिफ्टिंग की प्रतिभा देखी और इस खेल में लेकर आये.

‘‘मुझे याद हैं, जब मैंने सुशील कुमार को 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में देखा था, तब मैं भी उनकी तरह पहलवान बनना चाहता था. तभी मैं अपने कोच राजेंद्र प्रसाद से मिला, जिन्होंने मुझे वेटलिफ्टिंग सिखाई.’’

भारतीय वायुसेना में निचली श्रेणी के कर्मचारी गुरुराजा ने देश के पिछड़े क्षेत्रों में आने वाली जिंदगी की सारी समस्याओं को देखा है. उन्होंने आठ भाई-बहन के परिवार का भरणपोषण करने वाले अपने ट्रक चालक पिता को काफी मेहनत करते हुए देखा है.

जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अभी भी कुश्ती में हाथ आजमाना चाहेंगे तो वह खिलखिला कर हंस पड़े. उन्होंने कहा, ‘‘मैं अभी भी कुश्ती का लुत्फ उठाता हूं. मुझे अभी भी उस खेल से काफी लगाव है. मैं ओलंपिक कि तैयारी करूंगा, राष्ट्रीय वेटलिफ्टिंग महासंघ और मेरे सफर में मेरा साथ देने वालों से मुझे काफी मदद मिली है. मेरे सभी कोचों ने करियर को संवारा है.''

(इनपुट: भाषा)

यहां देखें CWG2018 के लाइव अपडेट्स - LIVE CWG 2018: भारत की शानदार शुरुआत, चानू को मिला गोल्ड मेडल

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×