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कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की वेटलिफ्टर साइखोम मीराबाई चानू (Saikhom Mirabai Chanu) ने गोल्ड मेडल जीत लिया है. 2021 के टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वालीं चानू ने भारत की झोली में बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स का पहला गोल्ड डाला है. स्टार वेटलिफ्टर मीराबाई को अपनी वेट लिफ्टिंग की ताकत का पहली बार अंदाजा 12 साल की उम्र में ही हो गया था. मीराबाई चानू का सफर उनके संगर्ष और लगन की दास्तां बयां करता है.
चलिए आपको बताते हैं इम्फाल के एक छोटे से गांव से निकलकर ओलंपिक्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतने वालीं मीराबाई चानू की कहानी.
मीराबाई का जन्म 8 अगस्त 1994 को मणिपुर के नोंगपोक कक्चिंग गांव में हुआ था. मीराबाई अपने मां-बाप की छठी औलाद हैं. मीराबाई बताती हैं कि, "हम 6 भाई बहन हैं तो उन सब को देखने में घरवालों को बहुत ज्यादा दिक्कत होती थी."
मीराबाई बचपन में जब अपने बड़े भाई के साथ रोज चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी लेने जंगल जाती थीं, तो उनसे ज्यादा बड़े लकड़ी के गट्ठर खुद उठा लिया करती थीं. बचपन को याद करते हुए मीराबाई कहती हैं कि,
चानू के वेटलिफ्टिंग के शुरूआती दिनों में कोच ने उनसे प्रोटीन खाने के लिए बोला था. मीराबाई की मां बताती हैं कि, "घर आके हमें जब उसने बोला कि मुझे भी ये सब चाहिए मैंने बोला कि खाने पीने कि तू फिक्र मत कर जो भी होगा हम करेंगे."
2012 में एक धमाकेदार शुरुआत करते हुए मीराबाई ने एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में ब्रॉज जीता इसके बाद 2013 जूनियर नेशनल वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड और 2014 कामनवेल्थ गेम्स में सिल्वर जीत कर पूरी दुनिया को अपने बाजुओं का जोर दिखा दिया. लेकिन 2016 के रिओ ओलंपिक्स में वो क्लीन एंड जर्क सेक्शन में बुरी तरह चूक गयीं. फिर 2018 कामनवेल्थ गेम्स में उन्होंने गोल्ड मैडल जीता और रिकॉर्ड भी बनाया.
फिर इसके बाद 2021 में हुए टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर जीत कर उन्होंने इतिहास रच दिया. बर्मिंघम में गोल्ड जीतने के पहले 2021 में ही ताशकंद में हुए एशियाई चैंपियनशिप में चानू ने 205 किग्रा उठाकर पर्सनल बेस्ट सेट किया था.
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