Neeraj Chopra Exclusive: नीरज चोपड़ा का अगला टारगेट क्या है?

सीनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप और डायमंड लीग में गोल्ड के अलावा ओलंपिक में फिर से गोल्ड पर नीरज चोपड़ा की नजर

मेंड्रा दोरजी
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<div class="paragraphs"><p>स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा</p></div>
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स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारत के लिए एथलेटिक्स का पहला गोल्ड मेडल जीते नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) को 3 सप्ताह से भी अधिक का समय हो चुका है, लेकिन देश के ऊपर से उस ऐतिहासिक जीत की खुमारी नहीं गई है. ऐसे में नीरज चोपड़ा के अगले टारगेट से लेकर जीवन में आए बदलाव और उनके बिना संकोच अपनी बात रखने के अंदाज जैसे तमाम पहलुओं पर पर क्विंट ने उनसे खास बातचीत की.

नीरज आपने सपनों में सोचा होगा कि किसी दिन ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतूंगा लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा था कि इतना प्यार मिलेगा ?

भारत के लिए एथलेटिक्स में मेडल नहीं था, लगता था कि अगर मेडल आएगा तो काफी प्यार मिलेगा, क्योंकि यह सबसे पहली बार होगा. गोल्ड मेडल पर उस दिन पूरा देश जश्न मना रहा था.

गोल्ड जीतने और पोडियम पर पहुंचने के बीच लगभग आधे घंटे का समय था, जब आपने तिरंगे के साथ सेलिब्रेट किया. अगर आप अपने साथ किसी को ले जा सकते, तो वो कौन होता ?

अगर मेरी चलती तो मैं कईयों को ले जाता. लेकिन सच में बात करें तो मेरी फैमिली में सबसे छोटे चाचा ने पहला डिसिजन लिया था कि मुझे स्टेडियम में भेजना है. उन्होंने ही मुझे स्पोर्ट्स में जाने के लिये प्रेरित किया. बचपन से उनका साथ रहा. मै चाहता था कि वो भी उस समय साथ होते.

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भारत में जहां अधिकतर स्पोर्ट्स स्टार कंट्रोवर्सी से दूर रहते हैं वहां आपने उन चीजों के लिए स्टैंड लिया जिसमें आप भरोसा करते हैं. चाहे ट्रेनिंग के लिए विदेश जाने का निर्णय हो या पाकिस्तानी जैवलिन थ्रोअर से जुड़े विवाद पर आप खुद के लिये खड़े हुए. क्या आप भविष्य में भी अपनी बात को सामने रखने में संकोच नहीं करेंगे ?

मुझे लगता है कि जिस चीज का हमें पता है, जैसे मुझे पता था कि ओलंपिक में अच्छे प्रदर्शन के लिए मुझे बाहर जाकर कंपटीशन खेलना जरूरी था और मुझे उसका फायदा मिला. जिस बात का मुझे पता है कि इस जगह पर ठीक हूं उस पर बोलना चाहिए. लेकिन आधा अधूरा ज्ञान तंग करता है. जिस चीज के बारे में मुझे पूरी तरह पता नहीं मैं कोशिश करता हूं कि उस पर ना बोलूं. जहां मुझे पता है की चीजें गलत फैल रही हैं, वहां पर मैंने मुझे लगा कि बोलना चाहिए. वह चीज बिल्कुल बोलनी चाहिए जिसके बारे में हम श्योर हैं.

अब आपके बहुत सारे इंस्टाग्राम और टि्वटर हैंडल बन चुके हैं और आपके इतने सारे फैंस अकाउंट हैं. एक चीज जो आपके फैंस को आप में सबसे अच्छा लगता है कि आप इसको लेकर स्पष्ट हैं कि आप हिंदी में बोलेगें. आपको अंग्रेजी बोलनी आती है लेकिन फिर भी आपने हिंदी बोलने का निर्णय लिया, क्योंकि आपकी मातृभाषा हिंदी है.

मुझे मालूम है कि मैं इंग्लिश में इतना बोल लूंगा कि समझ में आ जाए. लेकिन जब मैं इंटरव्यू देता हूं तो मुझे पता है कि मैं जैसे छोटे गांव से आता हूं, वहां पर लोगों को मेरी बात समझ नहीं आएगी, फिर उसका फायदा क्या है. अगर अपने देश में कई लोगों को यह समझ में नहीं आया कि मैं क्या बोल रहा हूं तो ? इसलिए जरूरी है हिंदी में बोलें ताकि लोग सही तरीके से समझ सके. अगर मैं बोलूं और फैमिली के लोग ना समझे तो सही नहीं लगेगा.

ओलंपिक में जीत के बाद क्या आपको लगता है कि आपकी पहले वाली सिंपल जिंदगी अब नहीं रही ? क्या आप उसे मिस करेंगे ?

अब जहां पर भी जाते हैं लोग पहचान लेते हैं क्योंकि सभी ने उस दिन का फाइनल देखा था. अच्छा भी लगता है कि लोगों ने जैवलिन को इतना फॉलो किया. यह बात सही है कि पहले जहां चाहे वहां चले जाते थे. हमने ट्रेनिंग ओलंपिक के लिए ली थी लेकिन माइंड इस चीज के लिए सेट नहीं था. यह देखना होगा कि इस लाइफ को कैसे जीना है.

23 वर्ष की उम्र में आपने ओलंपिक गोल्ड एशियन गेम्स गोल्ड और कॉमनवेल्थ गोल्ड अपने नाम कर लिया है. आपका अगला टारगेट क्या है ?

सीनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल नहीं है, मुझे वो चाहिए. डायमंड लीग में चाहिए. तीसरी सबसे बड़ी बात , मैं मानता हूं कि टाइटल (ओलंपिक गोल्ड) को दोहराना बड़ी बात होती है, उससे खिलाड़ी की पहचान होती है. कोशिश करूंगा कि जहां पर पहले गोल्ड आ चुके हैं, अपने आप को संभाल कर रखूं कि दोबारा गोल्ड जीत सकूं.

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