Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Sports Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019All sports  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019नीरज चोपड़ा: भारतीय सेना में सूबेदार, अब गोल्ड मेडल जीत रचा इतिहास

नीरज चोपड़ा: भारतीय सेना में सूबेदार, अब गोल्ड मेडल जीत रचा इतिहास

Neeraj Chopra के 1 लाख का भाला खरीदना भी उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं था

क्विंट हिंदी
अन्य खेल
Updated:
<div class="paragraphs"><p>गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा</p></div>
i

गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा

फोटो : Altered by Quint

advertisement

टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympic 2020) में नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने भारत को पहला गोल्ड मेडल दिला दिया है. नीरज ने मेंस जेवलिन थ्रो के अपने दूसरे प्रयास में 87.5 मीटर भाला फेंका. यह उनका बेस्ट रहा. नीरज भारतीय सेना में सूबेदार हैं, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें सेना का गौरव बताते हुए बधाई भी दी है.

राजनाथ सिंह ने लिखा - सूबेदार नीरज चोपड़ा भारतीय सेना के गौरव हैं. उन्होंने ओलंपिक्स में एक सच्चे सैनिक की तरह प्रदर्शन किया. ये भारतीय सेना समेत पूरे देश के लिए एक गर्व का क्षण है. उन्हें बहुत बधाई.

सूबेदार नीरज चोपड़ा भारतीय सेना में जूनियर कमीशंड ऑफिसर हैं. उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई चंडीगढ़ के DAV कॉलेज से पूरी की थी.

नीरज से पहले अभिनव बिंद्रा ने 13 साल पहले बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था. अभिनव ने हालांकि यह स्वर्ण निशानेबाजी में जीता था. यहां टोक्यो में नीरज ने जो किया है वह ऐतिहासिक है क्योंकि इससे पहले भारत को ओलंपिक में एथलेटिक्स इवेंट्स में कभी कोई पदक नहीं मिला.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

किसान परिवार से आते हैं नीरज

हरियाणा के पानीपत के रहने वाले नीरज किसान परिवार से हैं. जब उनके मन में इस खेल से जुड़ने की ललक जागी थी, तब वे इसका नाम तक नहीं जानते थे. दरअसल नीरज को बचपन से खेलने-कूदने का शौक था. एक बार अपने दोस्तों के साथ घूमते हुए वे पानीपत के शिवाजी स्टेडियम जा पहुंचे. जहां उन्होंने अपने कुछ सीनियर्स को जेवलिन थ्रो यानी भाला फेंकते हुए देखा और इसके बाद उन्होंने खुद भाले को उठा लिया. जब नीरज ने पहली बार जेवलिन थ्रो किया तो उन्हें लगा कि यह खेल उनके लिए ही है और यहां से वे इसमें आगे बढ़ने के बारे में सोचने लगे.

नीरज के लिए भाला खरीदना भी एक चुनौती से कम न था

नीरज की आर्थिक स्थिति में एक-डेढ़ लाख रुपये का भाला (जेवलिन) खरीदना भी आसान नहीं था. उनके पिता सतीश और चाचा भीम सिंह चोपड़ा ने सात हजार रुपये जोड़कर उन्हें सस्ता भाला दिलाया. इस सस्ते भाले को ही नीरज ने अपना प्रमुख हथियार माना और इससे हर दिन घंटों (लगभग सात-आठ घंटे) अभ्यास करने लगे.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 07 Aug 2021,07:33 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT