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अभिनव बिंद्रा के बाद एक और ओलंपिक मेडलिस्ट CWG बहिष्कार के खिलाफ

बर्मिंघम में 2022 के कॉमनवेल्थ खेल आयोजित किए जाएंगे.

आईएएनएस
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शूटिंग को बर्मिंघम में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स से हटा दिया गया है
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शूटिंग को बर्मिंघम में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स से हटा दिया गया है
(फाइल फोटोः AP)

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रियो ओलंपिक 2016 में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली रेसलर साक्षी मलिक ने कहा है कि वह निशानेबाजी को बर्मिंघम कॉमनवेल्थ से बाहर किए जाने के खिलाफ खेलों का बहिष्कार करने के पक्ष में नहीं हैं.

साक्षी ने आईएएनएस से कहा कि निशानेबाजी को कॉमनवेल्थ खेलों से बाहर किया जाना अच्छा कदम नहीं है लेकिन इसे लेकर पूरे खेलों का बहिष्कार स्वागत योग्य कदम नहीं होगा.

ओलंपिक में कुश्ती का पदक जीतने वाली भारत की एकमात्र महिला रेसलर साक्षी मलिक ने एक इवेंट के दौरान कहा कि इस समस्या का कुछ और हल निकाला जाना चाहिए.

“मैं कॉमनवेल्थ खेलों के बहिष्कार करने का समर्थन नहीं करती. मेरी नजर में इस समस्या का कुछ अलग हल निकलना चाहिए और सबसे अच्छा हल यह है कि निशानेबाजी को फिर से इन खेलों में शामिल किया जाए.”
साक्षी मलिक, रेसलर
साक्षी मलिक ने 2016 ओलंपिक में भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता था(फोटो: Reuters)

बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेल आयोजन समिति ने निशानेबाजी को बाहर कर दिया है. इससे भारत को काफी नुकसान होगा क्योंकि कॉमनवेल्थ खेलों के बीते संस्करणों में भारत को सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल इसी खेल में मिले हैं.

2018 में गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ में भारत को शूटिंग में 16 मेडल मिले थे. इनमें से 7 गोल्ड थे. भारत ने अभी तक कॉमनवेल्थ के इतिहास में शूटिंग में 60 गोल्ड मेडल जीते हैं. 1970 के बाद से ऐसा पहली बार होगा कि कॉमनवेल्थ खेलों में निशानेबाजी नहीं होगी.

भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) ने आयोजन समिति के इस कदम को लेकर कड़ा रुख अपनाया है और इन खेलों के बहिष्कार की धमकी दी है. इस सम्बंध में आईओए अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने खेल मंत्री किरण रिजिजू को ई-मेल लिखकर इस बात की जानकारी दे दी है कि आईओए सदस्यों के बीच इस बात पर अनौपचारिक चर्चा शुरू हो चुकी है.

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साक्षी से जब यह पूछा गया कि ऐसे में जबकि निशानेबाजी को कॉमनवेल्थ खेलों से बाहर कर दिया गया है तो फिर भारत का अगला कदम क्या होना चाहिए. क्या बहिष्कार एक सकारात्मक कदम हो सकता है?

इस पर अर्जुन पुरस्कार विजेता और राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजी जा चुकीं साक्षी ने कहा,

“जब हम किसी खेल आयोजन के लिए जाते हैं तो हमारा एक पूरा दल होता है और निशानेबाज इस दल का हमेशा से अहम हिस्सा रहे हैं. साथ ही निशानेबाजों ने हमेशा से हमारे लिए काफी अधिक पदक भी जीते हैं. ऐसे में मैं तो चाहूंगी कि बहिष्कार की बात छोड़कर इन खेलों को फिर से शामिल करने का प्रयास किया जाए.”

कॉमनवेल्थ खेलों के बहिष्कार को लेकर खेल जगत बंटा हुआ दिखा है. देश के लिए एकमात्र व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा भी बहिष्कार के पक्षधर नहीं हैं लेकिन भारत की दिग्गज महिला निशानेबाज हिना सिद्धू ने हाल ही में कहा था कि भारत को इन खेलों का बहिष्कार करने के बारे में विचार करना चाहिए.

खुद आईओए इसे लेकर गम्भीर दिखाई दे रहा है. आईओए अध्यक्ष ने कुछ दिन पहले ही साफ कर दिया था कि बहिष्कार का रास्ता अभी भी खुला है और वह इस सम्बंध में खेल मंत्रालय की राय चाहता है. दूसरी ओर, खेल मंत्रालय ने कहा था कि कॉमनवेल्थ खेलों का बहिष्कार करना सिर्फ आईओए का फैसला नहीं हो सकता.

हालांकि भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरआई) के सचिव राजीव भाटिया ने कुछ समय पहले आईएएनएस कहा था कि निशानेबाजी को न शमिल करने के फैसले के बाद अब कुछ नहीं किया जा सकता क्योंकि आयोजन समिति ने इस मुद्दे पर अंतिम फैसला ले लिया है.

उल्लेखनीय है कि इस साल जून में कॉमनवेल्थ खेल महासंघ (सीजीएफ) ने फैसला किया था कि 2022 में होने वाले खेलों में निशानेबाजी को जगह नहीं दी जाएगी. इसके विरोध में भारत ने सितम्बर में रवांडा में होने वाली कॉमनवेल्थ खेल महासंघ की आम सभा की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है.

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