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दिल्ली के मुंडका की रहने वाली कशिश लाकड़ा का ज्यादतर समय खेल के मैदान में ही बीता है. 18 साल की लाकड़ा एथलेटिक खेल ‘क्लब थ्रो’ की खिलाड़ी हैं. इस खेल में इन्होंने टोक्यो पैरालंपिक 2020 खेलों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है. उन्होंने अपने खेल आयोजनों के बिजी यात्रा के दौरान भी पढ़ाई को पर्याप्त समय दिया.
शुक्रवार, 22 जून की सुबह लाकड़ा की मेहनत रंग लाई, जब उन्होंने अपने 12वीं बोर्ड के नतीजे देखे. उन्होंने भूगोल में 100, वाणिज्यिक कला में 93, अंग्रेजी में 90, मनोविज्ञान में 85 और शारीरिक शिक्षा में 82 अंक हासिल किए. कुल मिलाकर उनका 12 वीं कक्षा का स्कोर 93 प्रतिशत है.
दिल्ली के शालीमार बाग में मॉडर्न पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल अलका कपूर ने गर्व के साथ इस परिणाम को साझा किया है.
लाकड़ा 2020 में टोक्यो पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय प्रतिभागी थीं. उन्होंने दिसंबर 2021 में एशियाई युवा पैरालंपिक खेलों में क्लब थ्रो में स्वर्ण पदक भी जीता.
हालांकि, उनका जीवन बाधाओं से भरा रहा है. जब वह 14 साल की थीं, तो एक दुर्घटना की वजह से लाकड़ा के निचले शरीर को लकवा मार दिया और उनकी रीढ़ की हड्डी ज्यादा प्रभावित हुई.
उन्होंने कहा कि...
बता दें, ये एक एथलेटिक खेल है, जिसमें आप एक लकड़ी का क्लब फेंकते हैं. लाकड़ा ने इसके लिए प्रशिक्षण शुरू किया. इसके लिए लकड़ा को एक सहायक की जरूरत थी, जो उन्हें स्कूल की कक्षा से समय निकाल कर अभ्यास की अनुमति दे सके, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
उन्होंने आरोप लगाया कि
11वीं कक्षा में उन्होंने मॉडर्न पब्लिक स्कूल, शालीमार बाग में प्रवेश लिया, जहां उन्हें वह समर्थन मिला जिसकी उन्हें जरूरत थी.
वो कहती हैं कि
लाकड़ा ने कहा कि उनका ध्यान जहां खेल पर है, वहीं वह शिक्षा से समझौता नहीं करना चाहतीं. पिछला साल, हालांकि, विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण रहा है, जिसमें 18 वर्षीय पैरालंपिक आयोजनों और उनकी कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा की तैयारी के बीच जूझना पड़ा.
मॉडर्न पब्लिक स्कूल, शालीमार बाग की प्रिंसिपल अलका कपूर ने कहा कि "हमने अपनी पूरी क्षमता से उनका समर्थन करने की कोशिश की है. संसाधनों और पुस्तकालय को दिन-रात उपलब्ध रखा है और उन्होंने हमें गौरवान्वित किया.
बता दें, कशिश लाकड़ा का एक बड़ा भाई है. उनके पिता एक प्रॉपर्टी डीलर हैं, जबकि उनकी मां एक गृहिणी हैं. वह अपने दिन की शुरुआत सुबह 5.30 बजे ट्रेनिंग के साथ करती हैं. उसके बाद दो घंटे आराम करती हैं. दोपहर 12.30 बजे, वह फिर से प्रशिक्षण शुरू करती हैं. उसके बाद आराम करती हैं. शाम 6 बजे तक वह पढ़ाई शुरू करती हैं.
बहरहाल, वह अगले साल एशियाई खेलों की तैयारी कर रही हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय से मानविकी विषय पर अध्ययन करने की इच्छा भी है.
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