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लंबे समय से डोपिंग के आरोपों में फंसे रूस पर आखिर बड़ा प्रतिबंध लग गया. वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (WADA) ने सोमवार 9 दिसंबर को रूस को 4 साल के लिए हर तरह के वैश्विक खेल इवेंट्स से बैन कर दिया. रूस पर ये बैन इसलिए लगा क्योंकि उसकी एंटी डोपिंग एजेंसी ने एथलीटों के डोप टेस्ट के डेटा से छेड़छाड़ की थी और गलत डेटा WADA को सौंपा था, ताकि उसके एथलीट डोप टेस्ट में पकड़े न जाएं.
सोवियत संघ के दौर से ही इस देश पर लगातार डोपिंग के आरोप लगते रहे. मौजूदा आरोपों का दौर 2014 से शुरू हुआ, जब रूसी एथलीटों पर सोची में हुए विंटर ओलंपिक (2014) में डोपिंग आरोप लगे.
साथ ही रूसी अधिकारियों ने डोप टेस्ट के लिए जुटाए गए खिलाड़ियों के सैंपल में भी छेड़खानी की और उन्हें बिना डोपिंग वाले सैंपलों से बदल दिया.
आखिर कब, कैसे और क्या-क्या इस पूरे घटनाक्रम में हुआ? एक नजर डालते हैं रूस के इस पूरे डोपिंग कांड की टाइमलाइन पर-
इस मामले के पहले व्हिसल ब्लोअर विटाली स्टेपानोव ने जर्मनी के चैनल ARD से संपर्क किया. स्टेपानोव Russian anti-doping agency (RusADA) के ही एक कर्मचारी थे.
डॉक्यूमेंट्री में आरोप लगाया गया था कि रूस की एथलेटिंक्स फेडरेशन के अधिकारी कुछ कमीशन के बदले में खिलाड़ियों के डोप टेस्ट को गलत साबित कर सकते हैं.
ARD की डॉक्यूमेंट्री में हुए खुलासों को देखते हुए WADA ने अपने पूर्व चेयरमैन डिक पाउंड के नेतृत्व में एक जांच शुरू की. इस जांच की रिपोर्ट नवंबर 2015 को सामने आई.
इसमें खुलासा किया गया था कि कैसे रूसी अधिकारी खिलाड़ियों को प्रतिबंधित पदार्थ देने के साथ ही उनके पॉजिटिव डोप टेस्ट को नए सैंपल से बदल देते हैं, ताकि खिलाड़ी पकड़ा न जाए. रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि रूस की सुरक्षा एजेंसी भी इस गड़बड़ी में शामिल है.
मार्च में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी (IOC) ने ऐलान किया था कि वो 2008 से 2012 तक के सभी सैंपलों की फिर से जांच शुरू करेंगे.
फिर मई में हुआ एक और बड़ा खुलासा. अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक और व्हिसल ब्लोअर ग्रिगरी रोदचेनकोव का इंटरव्यू सामने आया. रोदचेनकोव ने खुलासा किया कि रूस के सोची में हुए 2014 के विंटर ओलंपिक खेलों में दर्जनों रूसी एथलीट राज्य प्रायोजित डोपिंग प्रोग्राम का हिस्सा थे. खुद रोदचेनकोव इसका हिस्सा थे. वो उस वक्त तक रूस की एक मुख्य एंटी डोपिंग लैब के डाइरेक्टर थे.
एक महीने बाद ही अंतरराष्ट्रीय वेटलिफ्टिंग फेडरेशन ने रूस की वेटलिफ्टिंग फेडरेशन पर एक साल का बैन लगाने का ऐलान किया. इसके चलते रूसी वेटलिफ्टर 2016 के रियो ओलंपिक में हिस्सा नहीं ले पाए.
रोदचेनकोव के इस खुलासे की पुष्टि के लिए एक और जांच शुरू हुई. कनाडा के कानून विशेषज्ञ रिचर्ड मैकलारेन ने जुलाई 2016 में अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें खुलासा किया गया कि सोची ओलंपिंक समेत 2011 से लेकर 2015 के बीच रूसी अधिकारियों की मदद से कई एथलीटों को डोपिंग प्रोग्राम में शामिल किया गया और उनको बचाया भी गया.
इस रिपोर्ट के बाद WADA ने रूस को रियो ओलंपिक 2016 से बैन करने की मांग की. IOC ने इस मांग को नकार दिया. हालांकि रूस अपने पूरे दल के साथ ओलंपिक में नहीं उतर सका, क्योंकि IAAF के बैन के चलते रूस के ट्रैक एंड फील्ड के एथलीट इसमें हिस्सा नहीं ले सके.
साथ ही वेटलिफ्टर भी इसका हिस्सा नहीं थे. रूस इस ओलंपिक में चौथे नंबर पर रहा. लेकिन अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक कमेटी ने कड़ा कदम उठाया और रूस को बैन करने का फैसला लिया.
IAAF के बैन के कारण रूस के एथलीट लंदन वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं ले सकते थे. हालांकि IAAF ने रूस के 19 एथलीटों को जांच के बाद ओलंपिक झंडे के तहत उतरने का मौका दिया. हालांकि IAAF ने रूसी फेडरेशन पर लगाया अपना बैन बरकरार रखने का फैसला किया.
2018 के विंटर ओलंपिक से 2 महीने पहले IOC ने रूस ओलंपिक कमेटी को तुरंत प्रभाव से निलंबित करने का फैसला किया. इसके साथ ही प्योंगचांग में होने वाले विंटर ओलंपिक में भी रूस के हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लग गया.
हालांकि बाकी किसी एथलीट का टेस्ट पॉजिटिव नहीं पाया गया. इसके चलते फरवरी के अंत में IOC रूस की ओलंपिक सदस्यता बहाल कर दी.
विवादास्पद रूप से और कई फेडरेशनों के विरोध के बावजूद WADA ने RusADA की सदस्यता बहाल करने का फैसला किया. WADA ने इसके लिए शर्त रखी कि RusADA अपनी मॉस्को लैब में रखा एथलीट का असली डेटा और सैंपल दिसंबर तक एजेंसी को सौंपे. इसे RusADA के लिए ‘रोडमैप फॉर कंप्लायंस’ कहा गया.
रूसी एजेंसी ने दिसंबर की डेडलाइन तक WADA को डेटा उपलब्ध नहीं कराया. हालांकि जनवरी में आखिर WADA ने रूसी लैब से 2000 से ज्यादा सैंपल हासिल किए. यहीं से विवाद का नया दौर शुरू हुआ.
WADA ने कहा कि रूस की लैब से जो पुराने सैंपल और डेटा जनवरी में हासिल किए गए थे, उनमें भारी गड़बड़ी है. एजेंसी के मुताबिक डेटा से छेड़छाड़ की गई है और कुछ रिकॉर्ड मिटा दिए गए हैं, जबकि कई सैंपल और डेटा बदल दिए गए हैं. इसी महीने IAAF ने एक बार फिर रूस का निलंबन बरकरार रखने का फैसला किया. दोहा में हुई वर्ल्ड चैंपियनंशिप में रूसी एथलीट हिस्सा नहीं ले पाए.
WADA की ‘कंप्लायंस रिव्यू कमेटी’ (CRC) ने रूसी एजेंसी पर नियमों का पालन करने के लिए बनाए गए रोडमैप का पालन करने में नाकाम होने के कारण रूस पर 4 साल के प्रतिबंध की सिफारिश की.
9 दिसंबर को WADA ने रूस को 4 साल के लिए हर तरह के वैश्विक खेल से प्रतिबंधित करने का फैसला किया. इसके तहत रूस 2020 टोक्यो ओलंपिक, 2022 बीजिंग विंटर ओलंपिक और 2022 कतर फुटबॉल वर्ल्ड कप समेत किसी भी वैश्विक खेल में हिस्सा नहीं ले सकेगा.
हालांकि रूस के एथलीट के पास खुद को निर्दोष साबित कर न्यूट्रल एथलीट के तौर पर ओलंपिक में हिस्सा लेने का मौका दिया जाएगा.
रूस के पास इस बैन के खिलाफ अपील करने के लिए 21 दिन का समय है. रूस पर लगा ये बैन 2020 के यूरो कप फुटबॉल पर लागू नहीं होगा क्योंकि WADA के मुताबिक यूरोपियन फुटबॉल की संस्था UEFA वैश्विक एजेंसी के तहत नहीं आती.
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