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वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिपः बजरंग खत्म कर पाएंगे गोल्ड का सूखा?

भारत ने 2010 में पहली बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था

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बजरंग पूनिया, सुशील कुमार और विनेश फोगाट पर भारत की सबसे ज्यादा उम्मीदें टिकी रहेंगी
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बजरंग पूनिया, सुशील कुमार और विनेश फोगाट पर भारत की सबसे ज्यादा उम्मीदें टिकी रहेंगी
(फोटोः द क्विंट)

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टोक्यो 2020 ओलंपिक से पहले कुश्ती के सबसे बड़े टूर्नामेंट का आगाज शनिवार 14 सितंबर को हो रहा है. कजाखस्तान की राजधानी नूर सुल्तान में 22 सितंबर तक विश्व कुश्ती चैंपियनशिप का आयोजन हो रहा है.

ये सिर्फ वर्ल्ड चैंपियनशिप ही नहीं है, बल्कि टोक्यो पहुंचने के लिए क्वालिफाइंग टूर्नामेंट भी है. पुरुष ग्रीको रोमन, पुरुष फ्रीस्टाइल और महिला फ्रीस्टाइल के 6-6 वर्ग के लिए ओलंपिक का कोटा हासिल किया जा सकता है.

इसके अलावा गैर ओलंपिक वर्ग के मुकाबले भी इस दौरान खेले जाएंगे. भारत की ओर से इस टूर्नामेंट में 30 पहलवानों का दल नूर सुल्तान पहुंचा हुआ है. इसमें सुशील कुमार, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट जैसे बड़े नाम हैं, जिनसे भारत को सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं.

साथ ही दीपक पूनिया, पूजा ढांडा, दिव्या काकरान, मौसम खत्री जैसे कई ऐसे पहलवान भी हैं, जिनपर खास नजर रहेगी.

वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का इतिहास

वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत को पहला मेडल 1961 के इवेंट में मिला था. योकोहामा में हुए इवेंट में तब पहलवान उदय चंद ने 67 किलोग्राम फ्रीस्टाइल में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. वहीं 2006 में अल्का तोमर ने 59 किलो वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता था और वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं.

हालांकि भारत को अपने पहले गोल्ड के लिए 2010 तक इंतजार करना पड़ा. मॉस्को में हुई चैंपियनशिप में सुशील कुमार ने 60 किलो वर्ग में गोल्ड मेडल जीता था.

भारत ने चैंपियनशिप के इतिहास में कुल 13 मेडल जीते हैं, जिनमें 1 गोल्ड, 3 सिल्वर और 9 ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं. हालांकि भारत ने अपने ज्यादातर मेडल फ्रीस्टाइल में ही जीते हैं. ग्रीको रोमन में देश के नाम सिर्फ एक मेडल आया है.

2018 की बुडापेस्ट चैंपियनशिप में बजरंग पूनिया ने सिल्वर और पूजा ढांडा ने ब्रॉन्ज जीता था.

राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद महिला पहलवान विनेश फोगाट और पुरुष पहलवान बजरंग पुनिया से देश को बड़े टूर्नामेंट में जीत की उम्मीदें बढ़ गई हैं.

इन्हीं में से कुछ पहलवानों पर रहेगी भारत की उम्मीदें.

बजरंग पूनिया (65 किलो)

बजरंग पूनिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन कर 65 किलोग्राम वर्ग में दुनिया के नंबर एक पहलवान बन चुके हैं.(फोटो: PTI)

सुशील कुमार जैसे दिग्गज पहलवान की मौजूदगी के बावजूद इस वक्त बजरंग भारत के सबसे बड़े पहलवान हैं. इसका कारण बजरंग की मौजूदा फॉर्म है. बजरंग पिछले करीब डेढ़ साल से बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं.

पिछले कुछ वक्त में ऐसा कोई भी टूर्नामेंट नहीं हैं, जहां बजरंग ने कोई मेडल न जीता हो. कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में गोल्ड से लेकर यासर डोगू जैसे टूर्नामेंट्स में बजरंग ने गोल्ड हासिल किए हैं.

यही कारण है कि 65 किलो वर्ग में बजरंग दुनिया के नंबर 1 रेसलर बन चुके हैं. 2018 की चैंपियनशिप में सिल्वर जीतने वाले बजरंग से इस बार गोल्ड जीतने की उम्मीद है.

सुशील कुमार, (74 किलो)

भारतीय कुश्ती के इतिहास में सबसे सफल पहलवान और भारत के सबसे बड़े एथलीटों में शुमार सुशील कुमार 8 साल बाद वर्ल्ड चैंपियनशिप की मैट पर लौट रहे हैं. 2008 और 2012 के ओलंपिक मेडलिस्ट 36 साल के सुशील वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाले इकलौते भारतीय हैं.

मौजूदा वक्त में सुशील की फॉर्म पर सवाल हैं. हालांकि पिछले कुछ साल में सुशील ने बड़े टूर्नामेंट्स में कम ही हिस्सा लिया है और अपनी फिटनेस पर ज्यादा ध्यान दिया है.

इसके बावजूद 2018 में उन्हें सफलता और निराशा दोनों हाथ लगी. कॉमनवेल्थ गेम्स में सुशील ने आसानी से फाइनल में जीत दर्ज कर गोल्ड हासिल किया, लेकिन एशियन गेम्स में वो पहले ही राउंड में बाहर हो गए.

वक्त के साथ ज्यादा अनुभवी हो चुके सुशील ने विवादास्पद ट्रायल्स में जीत दर्ज कर चैंपियनशिप के लिए अपना टिकट कटाया, लेकिन सुशील का असली लक्ष्य वर्ल्ड चैंपियशिप में जीत दर्ज तक ओलंपिक कोटा हासिल करना रहेगा.

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विनेश फोगाट

विनेश फोगाट ने फाइनल में जापानी पहलवान को पटखनी दीफोटो :  ट्विटर 

एशियाई खेलों की गोल्ड मेडलिस्ट विजेता विनेश पहली बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए उतर रही है. वर्ल्ड रैंकिंग में छठे नंबर की पहलवान विनेश 53 किलोग्राम भारवर्ग में खेल रही हैं. उन्होंने पिछले कुछ महीनों में लगातार तीन टूर्नामेंटों में गोल्ड जीते हैं.

वर्ल्ड चैंपियनशिप में अभी तक भारत की किसी भी महिला पहलवान ने अपने गले में सोने का तमगा नहीं डाला और विनेश से उम्मीद है कि वह इस सूखे को खत्म कर सकेंगी. विनेश ने इसी साल अपना भार वर्ग 50 से बदलकर 53 किलो किया और यासर डोगु, स्पेन ग्रां प्री में जीत दर्ज की.

रियो ओलंपिक में दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से चोट के कारण बाहर हुई विनेश एक बार फिर ओलंपिक का टिकट कटाना चाहेंगी और रियो के दर्द को भुलाना चाहेगी.

सीमा बिसला, साक्षी मलिक और पूजा ढांडा

50 किलोग्राम भारवर्ग में सीमा से भी सबको पदक की उम्मीद है. यासर डोगु 2019 रैंकिंग सीरीज में गोल्ड जीतने के बाद वह रैंकिंग में तीसरे नंबर पर पहुंच चुकी हैं और इस चैम्पियनशिप में उन्हें दूसरी सीड मिली है.

वहीं, महिलाओं में साक्षी मलिक एक और बड़ा नाम हैं. रियो ओलंपिक की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट साक्षी ने बीते एक साल में बड़ी सफलता अर्जित नहीं की है. उनका मौजूदा फॉर्म भी खराब है. इसके बावजूद साक्षी भारत की बड़ी महिला पहलवानों में से है.

वहीं पूजा ढांडा पर भी नजरें टिकी रहेंगी. 2018 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडलिस्ट पूजा इस बार 59 किलो वर्ग में उतर रही हैं. ट्रायल्स के दौरान 57 किलो वर्ग की ओलंपिक कैटेगरी में क्वालिफाई करने में नाकाम रही पूजा, अब 59 किलो में उतर रही हैं.

इनसे भी हैं कुछ उम्मीदें

इनके अलावा दिल्ली की युवा पहलवान दिव्या कांकरान भी भारतीय उम्मीदों को उठा रही हैं. कॉमनवेल्थ गेम्स की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट दिव्या पहली बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा ले रही हैं.

वहीं पुरुषों में हाल ही में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप जीत इतिहास रचने वाले 18 साल के दीपक पूनिया भी मेडल जीतने का दम रखते हैं. दीपक को 86 किलोग्राम भारवर्ग में चौथी सीड मिली है.

इनके अलावा 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट राहुल अवारे से भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद रहेगी. 61 किलोग्राम भारवर्ग में राहुल को दूसरी सीड दी गई है.

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Published: 14 Sep 2019,11:50 AM IST

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