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भारत के दिग्गज पहलवानों (Wrestlers Protest) का अपने ही फेडरेशन के खिलाफ चल रहा धरना प्रदर्शन फिलहाल खत्म हो गया. पहलवानों ने आरोप लगाया था कि फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह ने महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न किया, फेडरेशन के अधिकारी भ्रष्टाचार करते हैं और पहलवानों का हक मारते हैं. पहलवानों की मांग थी कि बृजभूषण सिंह इस्तीफा दें और फेडरेशन को भंग किया जाए. फिलहाल इनमें से कुछ नहीं हुआ है तो आखिर पहलवान माने कैसे? आइए जानते हैं पूरा घटनाक्रम.
सबसे पहले 18 जनवरी को सुबह करीब 11.30 बजे, ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक करीब 30 बड़े पहलवानों के साथ दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए.
शाम 4 प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई जिसमें विनेश फोगाट और बजंरग पुनिया ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप लगाए. नेशनल कैंप में कोच सहित फेडरेशन के अन्य लोगों पर जान से मारने की धमकी देने, मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए.
इसके बाद WFI अध्यक्ष बृजभूषण सिंह, जो बीजेपी से सांसद भी हैं, ने आरोपों को खारिज किया और कहा कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है. उन्होंने कहा -''आरोप सच निकले तो फांसी पर चढ़ जाऊंगा.''
इसके बाद शाम में खेल मंत्रालय ने बृजभूषण को 72 घंटे में आरोपों पर जवाब देने के लिए कहा. इसके अलावा दिल्ली महिला आयोग ने भी खेल मंत्रालय को नोटिस जारी करके FIR दर्ज कराने की मांग की. इसके बाद रात में प्रदर्शनकारी और सभी लोग घटनास्थल से चले गए.
अगली सुबह 19 जनवरी को पहलवान फिर धरने पर बैठ गए. इसके बाद पहलवान और बीजेपी नेता बबीता फोगाट ने पहलवानों से मुलाकात की और भरोसा दिलाने की कोशिश की कि उनकी मांगे मानी जाएंगी.
19 जनवरी को ही रात में खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी विरोध कर रहे पहलवानों से अपने घर पर मुलाकात की. इसमें क्या रहा इसकी जानकारी साझा नहीं की गई, लेकिन ये मीटिंग देर रात तक चलती रही.
इस दिन बड़े पहलवान जंतर-मंतर पर नहीं पहुंचे. हालांकि, बॉक्सर वीजेंद्र सिंह अपना समर्थन देने जंतर-मंतर आए और कुछ देर बैठकर उन्होंने भी अपना विरोध जताया. इसी दिन कथित तौर पर खेल मंत्री और पहलवानों के बीच फिर मीटिंग हुई जिसमें पहलवानों को समझाया गया कि बृजभूषण सिंह को चूंकि आरोपों पर अपनी बात रखने का समय दिया गया है तो उन्हें समय पूरा होने से पहले इस्तीफा देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.
इसके बाद पहलवानों ने अपनी 4 मांगें सामने रखीं.
यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए एक समिति की नियुक्ति हो.
भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का इस्तीफा.
भारतीय कुश्ती महासंघ को भंग किया जाए.
WFI को चलाने के लिए पहलवानों के परामर्श से एक नई समिति की नियुक्ति हो.
इसी दिन बृजभूषण ने जानकारी दी कि वे दोपहर 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. फिर जानकारी आई कि शाम 4 बजे करेंगे लेकिन रात तक उन्होंने कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की. 20 जनवरी को ही भारतीय ओलंपिक समिति ने आरोपों की जांच के लिए एक समिति का गठन कर दिया. इसमें योगेश्वर दत्त, अलकनंदा अशोक, मैरी कॉम, सहदेव यादव, डोला बनर्जी, श्लोक चंद्रा और तलीशा रे शामिल हैं. ये कमेटी 8 से 10 दिन में आरोपों की जांच करके अपनी रिपोर्ट जमा करेगी.
20-21 जनवरी की रात में खेल मंत्रालय से पूरी जांच और एक्शन का आश्वासन मिलने के बाद पहलवानों ने अपना विरोध खत्म करने की घोषणा की.
21 जनवरी को दिन में WFI ने खेल मंत्रालय को आरोपों पर अपना जवाब भेजा जिसमें आरोपों को नकारा और अपनी उपलब्धियां गिनवाईं. इस लेटर में WFI ने दावा किया-
प्रदर्शनकारी पहलवानों का धरना और प्रेस कांफ्रेंस में बैठ कर अपने आरोप को हवा देने का तरीका निश्चित रूप से निहित स्वार्थ के लिए गहरे और बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है.
यौन उत्पीड़न के एक भी आरोप को स्वीकार नहीं किया गया है और न ही कभी इस पर नोटिस दिया गया है और न ही अब तक शिकायत की गई है और न ही WFI की यौन उत्पीड़न समिति को रिपोर्ट किया गया है.
WFI की यौन उत्पीड़न समिति के बारे में जानकारी WFI पब्लिक डोमेन की वेबसाइट/पोर्टल पर पहले से ही उपलब्ध है. कोई भी पीड़ित व्यक्ति/पहलवान अपनी शिकायत के लिए उक्त समिति से संपर्क कर सकता है, जो समिति कानून के अनुसार जांच करने के लिए बाध्य है. हालांकि, इस तरह की किसी भी तरह की कोई शिकायत अभी तक प्रदर्शनकारियों/पहलवानों द्वारा नहीं की गई है.
फिर देर शाम सरकार ने WFI की सभी गतिविधियों को तब तक के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया जब तक कि ओवरसाइट कमेटी औपचारिक रूप से नियुक्त नहीं होती. इसमें चल रही रैंकिंग प्रतियोगिता का निलंबन और चल रही गतिविधियों के लिए प्रतिभागियों से लिए गए प्रवेश शुल्क की वापसी शामिल है. साथ ही WFI के सहायक सचिव विनोद तोमर को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
1. कुश्ती संघ
कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के बारे में खबर आई कि वो 20 जनवरी को 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. फिर कहा गया कि 4 बजे करेंगे फिर 5 बजे, और आखिर में उनके बेटे ने सामने आकर कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं होगी. और वो मीडिया के सामने तब आएंगे जब 22 तारीख को मीटिंग हो जाएगी. इतनी गफलत क्यों? जैसा कि दावा था कि सारे आरोप बेबुनियाद हैं तो फिर सामने आकर बात करने में क्या दिक्कत थी?
2. प्रदर्शनकारी पहलवान
पहलवानों ने बेहद गंभीर आरोप लगाए थे. ऐसे आरोप जिससे किसी भी बच्चे का मन कुश्ती में जाने का नहीं करेगा. ये दरअसल भारत में कुश्ती के भविष्य को मुसीबत में डाल सकता है. फिर उन्होंने अचानक प्रदर्शन खत्म करने की सहमति कैसे दे दी. वो कह रहे थे कि जब तक बृजभूषण इस्तीफा नहीं देते, तब तक वो प्रदर्शन जारी रखेंगे, जब तक फेडरेशन को भंग नहीं किया जाता, धरना जारी रहेगा. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. बृजभूषण ने इस्तीफा तो दूर, उन्हें सस्पेंड तक नहीं किया गया, फिर सिर्फ आश्वासन पर कैसे माने पहलवान? यहां तक कि WFI ने खेल मंत्रालय को जो जवाब दिया उसमें सभी आरोपों को खारिज किया गया है. पहलवानों ने कहा था कि वो मामला दर्ज कराएंगे, तो फिर ऐसा क्यों नहीं किया? अगर सर्वाइवर लड़कियों को सामने नहीं लाना चाहते थे तो कानून में इसका प्रावधान भी है.
सरकार
इस पूरे प्रदर्शन के दौरान खुलकर सामने नहीं आई. खुलकर मीडिया से बात नहीं की गई. खिलाड़ियों से क्या बातें हुईं, ये नहीं बताया गया. क्या ये कह देना काफी है कि बृजभूषण WFI के काम से जांच पूरी होने तक दूर रहेंगे? पिछले एक दशक से बृजभूषण का फेडरेशन पर आधिपत्य है, ऐसे में निष्पक्ष जांच होगी, इसकी गारंटी है?
शनिवार 21 जनवरी को सुबह ऐलान हुआ कि बृजभूषण फेडरेशन से काम काज से दूर रहेंगे और दोपहर को खबर आई कि गोंडा के नंदिनी नगर स्पोर्ट्स स्टेडियम में तीन दिवसीय ओपन सीनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप का उद्घाटन उन्होंने किया.
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