advertisement
इंग्लैंड के स्टार ऑलराउंडर बेन स्टोक्स (Ben Stokes Retires From ODI) ने एकदिवसीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है. बेन स्टोक्स मंगलवार को अपना आखिरी वनडे मैच दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेलेंगे. उन्होंने ट्विटर पर अपने संन्यास की खबर साझा की, जिसमें एक तरफ वर्ल्ड कप के साथ उनकी तस्वीर थी और दूसरी तरफ संन्यास नोट. इस नोट में उन्होंने लिखा था कि वो टेस्ट क्रिकेट पर ध्यान देना चाहते हैं. साथ ही उन्होंने उस रग पर भी हाथ रखा जिससे लगभग हर क्रिकेटर दुखी है. उन्होंने इंग्लैंड के बिजी क्रिकेट शैड्यूल का हवाला दिया. जिसमें तीनों फॉर्मेट खेल पाना आसान नहीं है.
बेन स्टोक्स ने लिखा कि, अब तीनों फॉर्मेट खेल पाना मेरे लिए मुश्किल हो रहा है. ना सिर्फ मुझे ऐसा लग रहा है बल्कि मेरा शरीर भी शेड्यूल की वजह से जवाब दे रहा है. इंग्लैंड को सपोर्ट करने वाली बार्मी आर्मी ने भी बिजी शेड्यूल को लेकर ट्वीट किया है. इसके अलावा ट्विटर पर भी ODI Cricket ट्रेंड कर रहा था.
दुनियाभर में अब इतनी क्रिकेट होने लगी है कि बेन स्टोक्स ही नहीं बल्कि लगभग हर खिलाड़ी की यही शिकायत है. तभी तो खिलाड़ी पूरी-पूरी सीरीज में आराम करने चले जाते हैं. वैसे इंग्लैंड के अलावा भी कई बड़ी टीमों ने इससे बचने के लिए रोटेशन पॉलिसी बनाई है लेकिन फिर भी जो बेस्ट खिलाड़ी हैं वो तीनों फॉर्मेट खेलते हैं और उसके अलावा लीग्स भी होती हैं. ऐसे में पूरे साल खेलते रहना आसान नहीं होता.
इंग्लैंड का इस साल का शेड्यूल जब हम देखते हैं तो पता चलता है कि बेन स्टोक्स की शिकायत किस कदर जायज है. जरा देखिए कैसे एक सीरीज खत्म होते ही दूसरी सीरीज शुरू हो रही है. किसी में एक दिन का अंतर है किसी में दो तो किसी में तीन या चार दिन का.
बेन स्टोक्स इससे पहले एक क्रिकेट से एक लंबा ब्रेक भी ले चुके हैं. और अब उन्होंने वनडे क्रिकेट को अलविदा कह दिया है.
भारतीय टीम का शेड्यूल भी काफी बिजी रहता है. टीम पूरे साल क्रिकेट खेलती है. जो फ्री विंडो मिलती है उसमें आईपीएल होता है. ऐसे में विराट कोहली, रोहित शर्मा, जसप्रीत बुमराह और इन जैसे कई सीनियर खिलाड़ी छोटी टीमों के खिलाफ आराम करते हैं फिर भी ये वो खिलाड़ी हैं जो भारत के लिए तीनों फॉर्मेट खेलते हैं और क्रिकेट का टाइट शेड्यूल इनके लिए मुश्किलात बढ़ा देता है.
एक जमाना होता था जब कई-कई महीने क्रिकेट नहीं होती थी. जब भी मैच होता था लोग बड़े इंटरेस्ट के साथ देखते थे लेकिन आज वो वक्त जब कहीं ना कहीं हर वक् क्रिकेटड हो रहा होता है. एक तरफ वनडे और टेस्ट क्रिकेट के साथ अंतरराष्ट्रीय टी20 आ गया है तो वहीं दूसरी तरफ लीग क्रिकेट ने भी खिलाड़ियों को और ज्यादा थकाने का काम किया है. अब लगभगर हर देश में लीग होती है. भारत में IPL, पाकिस्तान में PSL, ऑस्ट्रेलिया में बिग बैश और इसके अलावा बांग्लादेश और वेस्टइंडीज में भी लीग्स होती है. भारत के खिलाड़ियों को छोड़कर सभी देशों के खिलाड़ी सभी लीग्स में खेलते हैं.
पहले जिस तरह क्रिकेट के हर मैच में दर्शकों की भागीदारी होती थी वो अब जरा कम हुई है. केवल वर्ल्ड कप वगैरह में ही दर्शक इंटरेस्ट लेते दिखते हैं क्योंकि क्रिकेट बहुत ज्यादा हो रही है जिससे लोगों का इंटरेस्ट कम हो रहा है. एक सीरीज खत्म होती नहीं कि दूसरी सीरीज शुरू हो जाती है. बीसीआई ने तो हाल के दिनों में अपनी दो-दो टीमें मैदान पर उतारी हैं जहां एक टीम टेस्ट क्रिकेट खेल रही थी और दूसरी टीम व्हाइट बॉल क्रिकेट.
ऐसा होना काफी मुश्किल ही लगता है क्योंकि क्रिकेट में अब बहुत पैसा है. जिससे आईसीसी और तमाम बोर्ड चलते हैं. खिलाड़ी भी खूब पैसा कमा रहे हैं. ये पैसा लीग्स के आने के बाद और ज्यादा बढ़ गया है इसलिए क्रिकेट तो कम होना मुश्किल ही लगता है हां रोटेशन पॉलिसी और वर्ल लोड मैनेजमेंट पर टीमें काम कर रही हैं. हो सकता है आने वाले वक्त में कुछ और रास्ता भी निकाला जा सके.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)