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दक्षिण अफ्रीका की एथलीट कैस्टर सेमेन्या टेस्टोस्टेरोन मामले में अंतर्राष्ट्रीय एथलेटिक्स फेडरेशन (IAAF) के खिलाफ कानूनी लड़ाई हार गई हैं. कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ऑफ स्पोर्ट (CAS) ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया है.
इस फैसले का मतलब यह है कि अब अगर कैस्टर अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में हिस्सा लेना चाहती हैं, तो उन्हें अपने शरीर में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा कम करने के लिए दवाइयां लेनी होंगी. सेमेन्या अभी 800 मीटर में मौजूदा ओलम्पिक, वर्ल्ड और कॉमनवेल्थ चैंपियन हैं.
कैस्टर के शरीर में पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरोन की मात्रा महिलाओं में पाई जाने वाली मात्रा से बहुत ज्यादा है यानि कैस्टर के शरीर में इसकी मात्रा लगभग पुरुषों के बराबर है.
IAAF के इस नियम के खिलाफ कैस्टर ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में अपील की थी. कैस्टर के मुताबिक उनमें टेस्टोस्टेरोन की अधिक मात्रा स्वाभाविक है और ये पैदाइशी है.
इस फैसले से निराश कैस्टर ने सिर्फ एक ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की- "कभी-कभी ऐसे मामलों को लेकर चुप रहना बेहतर होता है."
कैस्टर की टीम में शामिल सीएएस के वैज्ञानिक रॉस टकर मानते हैं कि अगर सैमेन्या को अब 800 मीटर में दौड़ना है तो उन्हें अपनी रफ्तार सात सेकेंड कम करनी होगी.
भारतीय एथलीट दुत्ती चंद को भी कुछ साल पहले इस तरह के मामले से गुजरना पड़ा था. दुत्ती चंद के शरीर में भी टेस्टोस्टेरोन की मात्रा ज्यादा होने के कारण IAAF ने दुती पर प्रतिबंध लगा दिया था. दुती ने भी इसके खिलाफ CAS में अपील की थी और फैसला उनके पक्ष में आया था
फिलहाल कैस्टर के पास इस मामले में दोबारा अपील करने का विकल्प है. कैस्टर इसको लेकर स्विट्जरलैंड की कोर्ट में अपील कर सकती हैं. इस फैसले के बाद कैस्टर के सामने इस साल अपना वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब बचाने की चुनौती है.
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