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पिछले साल फरवरी में स्ट्रैंजा मेमोरियल टूर्नामेंट जीतने के बाद से भारत बॉक्सर अमित पंघल ने अपने जीत के सिलसिले को बरकरार रखा है. इस दौरान पंघल ने गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल, जकार्ता एशियाड में गोल्ड और फिर इस साल फरवरी में स्ट्रैंडा मेमोरियल में एक बार फिर जीत दर्ज की. इस बार अप्रैल में बैंकॉक एशियन चैंपियनशिप में भी पंघल ने एक और गोल्ड जीत लिया. सिर्फ एक साल में ही रोहतक के इस 23 साल के बॉक्सर ने भारतीय बॉक्सिंग में अपना नाम बहुत ऊंचा कर लिया है.
अमित की नजरें अब टोक्यो में 2020 के ओलंपिक पर टिकी हैं, जिसके लिए उन्हें अपनी 49 किलो ग्राम की वेट कैटेगरी बदलकर 52 किलो ग्राम में जाना पड़ा. ओलंपिक में 49 किलो ग्राम कैटेगरी को खत्म कर दिया गया है. सिर्फ 2 महीने के अंदर ही अमित ने इस कैटेगरी में भी झंडा गाड़ दिया है. बैंकॉक में 26 अप्रैल को अमित ने इस कैटेगरी में एशियन चैंपियनशिप का गोल्ड मेडल अपने नाम किया.
अमित ने क्विंट से खास बातचीत में बताया कि ये उनके लिए ज्यादा मुश्किल नहीं रहा-
गोल्ड तक पहुंचने की राह में अमित ने एक वर्ल्ड चैंपियन, एक ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट और एक वर्ल्ड चैंपियनशिप के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट को हराया. इस जीत की सबसे खास बात थी क्वार्टर फाइनल की जीत.
अमित ने क्वार्टर फाइनल में रियो ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट और अपने पुराने प्रतिद्वंदी उज्बेकिस्तान के बॉक्सर हसनबॉय दुसमातोव को भी हराया. ये लगातार दूसरा मौका है जब अमित ने हसनबॉय को हराया. पिछले साल जकार्ता एशियन गेम्स में भी अमित ने हसनबॉय को फाइनल में हराकर गोल्ड जीता था. हसनबॉय ने इससे पहले 2018 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में अमित को फाइनल में हराया था.
अमित के लिए जीत इतनी आसान नहीं थी, क्योंकि फाइनल से ठीक पहले उनकी तबीयत खराब हो गई. उन्हें बहुत तेज बुखार था. पंघल ने बताया कि उनको एक बार ऐसा भी लगा कि फाइनल बाउट न लडूं.
फिलहाल अमित आने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारियों के लिए विदेश जाने वाले हैं. उनका टारगेट इसके जरिए ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना है. अमित को उम्मीद है कि वो ओलंपिक में भी ऐसा ही प्रदर्शन करेंगे और देश को तीसरा मेडल दिला पाएंगे. भारत के लिए 2008 में विजेंदर सिंह ने ब्रॉन्ज और 2012 ओलंपिक में मैरी कॉम ने ब्रॉन्ज जीता था. अमित का लक्ष्य इस लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवाना है.
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