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नाइंसाफी पर नाइंसाफी, अंबाती रायडू संन्यास न लेते तो क्या करते?

आईसीएल के कारण बैन, टीम इंडिया में मौका और फिर वर्ल्ड कप से चूकना-ये सब रायडू के करियर की हाईलाइट्स रहे

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उतार-चढा़व से भरा रहा अंबाती रायडू का करियर
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उतार-चढा़व से भरा रहा अंबाती रायडू का करियर
(फोटोः Altered by Quint Hindi)

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मुंबई में 15 अप्रैल 2019 को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की एक जरूरी प्रेस कांफ्रेंस हुई. मुद्दा था वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया के चयन का.

एमएसके प्रसाद की अध्यक्षता वाली बीसीसीआई की सीनियर सेलेक्शन कमेटी ने जब नाम पढ़ना शुरू किया तो सबसे ज्यादा इंतजार इस बात का था कि नंबर चार पर कौन खेलेगा.

जैसे ही एमएसके प्रसाद ने विजय शंकर समेत सभी 15 नाम पढ़े, तो सवाल उठने लगा कि टीम इंडिया का नया नंबर 4 कौन है? साथ ही पूछा गया अंबाती रायडू पर विजय शंकर को चुनने का कोई खास कारण?

एमएसके प्रसाद ने इनके जवाब में कहा-

“विजय शंकर एक ‘थ्री-डाइमेंशनल’(3-डी) खिलाड़ीहैं. वो बल्लेबाजी कर सकते हैं, गेंदबाजी भी कर सकते हैं और अच्छे फील्डर भी हैं.साथ ही वो टीम के नंबर चार बल्लेबाज हैं.” 

अब बात 16 अप्रैल की. टीम इंडिया में शामिल नहीं किए गए रायडू ने एक ट्वीट किया- “वर्ल्ड कप देखने के लिए अभी एक 3-डीचश्मों का सेट ऑर्डर किया है.”

रायडू की निराशा इस ट्वीट में साफ थी. साथ ही चयन समिति के ‘थ्री-डी’ चयन पर तंज भी कस दिया.

फ्लैशबैक: अंडर-19 के दिन

पिछले दशक की शुरुआत में भारतीय क्रिकेट नई ऊंचाईयों को छूने की कोशिश कर रहा था और इस दौरान युवराज, जहीर, सहवाग, हरभजन जैसे नए खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उभरता भी देखा.

इसी वक्त घरेलू क्रिकेट में भी नए नाम सामने आ रहे थे. अंबाती रायडू इनमें से ही थे. हैदराबाद के लिए खेलते हुए रायडू ने 2002-03 सीजन में 698 रन बना डाले. इस प्रदर्शन का नतीजा था कि उन्हें 2004 अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम का कप्तान बना दिया गया.
(ग्राफिक्स- तरुण अग्रवाल/क्विंट हिंदी)

उनकी कप्तानी में टीम सेमीफाइनल तक पहुंची थी. इस टीम में रायडू के अलावा शिखर धवन, सुरेश रैना, रॉबिन उथप्पा, दिनेश कार्तिक और आरपी सिंह जैसे खिलाड़ी भी थे, जिन्होंने रायडू से पहले टीम इंडिया के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला.

ICL, बैन और IPL से वापसी

अंडर-19 वर्ल्ड कप के बाद जहां उनके साथ के कुछ खिलाड़ी भारतीय टीम के लिए डेब्यू कर रहे थे, तो वहीं रायडू का करियर ग्राफ गिरने लगा. इतना ही नहीं, विवादों ने भी करियर में दिक्कतें पैदा की. हैदराबाद टीम के कोच से विवाद के कारण रायडू ने टीम बदली और आंध्र प्रदेश के लिए खेलने का फैसला किया.

इंतजार करने के बाद भी जब टीम इंडिया में जगह नहीं मिली तो रायडू ने एक ऐसा फैसला किया, जिसने टीम इंडिया में आने की उनकी संभावनाओं को 5 साल पीछे धकेल दिया. 2007 की शुरुआत में एस्सेल ग्रुप ने टी-20 क्रिकेट लीग का ऐलान किया- इंडियन क्रिकेट लीग. यानी आईसीएल. कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रिकेटर इसमें शामिल हुए. रायडू भी उनमें से एक थे.

रायडू ने इसको लेकर कहा था-

“मैं कई साल तक घरेलू क्रिकेट ही नहीं खेलता रहना चाहता, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के क्रिकेटरों के साथ भी खेलना चाहता हूं. ये मेरे लिए वो मौका है.”
ICL के दौरान अंबाती रायडू(फोटोः ICL)

लेकिन बीसीसीआई को इस लीग का विचार पसंद नहीं आया और इसे बागी घोषित कर दिया गया. साथ ही इसमें हिस्सा लेने वाले क्रिकेटरों, अधिकारियों और पूर्व क्रिकेटरों को बैन करने का फैसला किया. रायडू, स्टुअर्ट बिन्नी समेत कई घरेलू क्रिकेटर और कपिल देव जैसे दिग्गजों को बैन कर दिया गया.

हालांकि 2009 में आईसीएल का डिब्बा बंद होने के बाद बीसीसीआई ने प्रतिबंधित खिलाड़ियों को माफी दी. रायडू को फिर से मौका मिला और उन्होंने हैदराबाद की ओर से रणजी समेत कई घरेलू टूर्नामेंट्स में हिस्सा लिया. 2010 में मुंबई इंडियंस ने आईपीएल के लिए उन्हें साइन किया और 2012 तक इस टीम के नियमित सदस्य बन गए थे रायडू.

2004 में अंडर-19 टीम की कप्तानी के करीब 9 साल बाद रायडू को आखिरकार टीम इंडिया में मौका मिला. जिंबाब्वे दौरे के लिए टीम में चुने गए रायडू ने अपने पहले ही मैच में 63 रन बनाए. 2015 तक रायडू को टीम में मौके मिलते रहे.

यहां तक कि 2015 वर्ल्ड कप की टीम में भी वो चुने गए, लेकिन एक भी मैच में प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं बन पाए.

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फास्ट फॉरवर्ड: 2018

आईपीएल के 11वें सीजन में चेन्नई ने रायडू को साइन किया और रायडू ने लगभग 150 के स्ट्राइक रेट से 602 रन जड़ दिए जिसमें 1 शतक भी शामिल था.

आईपीएल के प्रदर्शन का नतीजा था कि सितंबर में दुबई में हुए एशिया कप के लिए भारतीय टीम में 2 साल बाद रायडू की वापसी हुई. कप्तान विराट कोहली की अनुपस्थिति में रायडू को नंबर 3 की जिम्मेदारी सौंपी गई. इस लो स्कोरिंग एशिया कप में रायडू ने 6 मैचों में175 रन बनाए. इस दौरान रायडू का औसत लगभग 44 का था और स्ट्राइक रेट भी 80 का रहा.
रायडू ने अपने टी20 करियर का पहला शतक लगाया(फोटो: IPL)

ये नंबर बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं लगते लेकिन भारतीय टीम की मिडिल ऑर्डर की अनिश्चितता को देखते हुए इतना काम जरूर कर गए कि आने वाले कुछ सीरीज में नंबर पर 4 पर रायडू का नाम पक्का हो गया.

‘सबसे समझदार बल्लेबाज’

अक्टूबर के आखिरी दिनों में वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज से पहले कप्तान विराट कोहली ने कहा कि रायडू अगर नंबर 4 पर अपनी जगह पक्की कर लेते हैं, तो वर्ल्ड कप के लिए भारत की परेशानी का हल मिल सकता है.

कोहली ने कहा था

“रायडू ने एशिया कप में अच्छा प्रदर्शन किया है, इसलिए जरूरत है कि उन्हें पर्याप्त मौके दिए जाएं ताकि वर्ल्ड कप के लिए तैयार हो सकें और हमारे लिए इस पोजिशन का हल हो जाए.”
अंबाती रायडु को लगातार 3 मौकों पर वर्ल्ड कप टीम से अनदेखा किया गया.(फोटोः AP)

10 दिन बाद कोहली ने फिर यही बात दोहराई और यहां तक कह दिया कि मिडिल ऑर्डर के लिए बेहद समझदार बल्लेबाज हैं और उन्होंने मौके का पूरा फायदा उठाया है.

“रायडू ने अपने मौके का पूरा फायदा उठाया है और हमें 2019 वर्ल्ड कप तक उन्हें पूरा सपोर्ट करने की जरूरत है. वो खेल को अच्छे से पढ़ते हैं और हम खुश हैं कि एक समझदार बल्लेबाज नंबर चार पर खेल रहा है.”
विराट कोहली. भारतीय कप्तान

वर्ल्ड कप आते-आते समझदारी और भरोसा खत्म

सितंबर 2018 से लेकर मार्च 2019 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी सीरीज तक 20 पारियों में रायडू ने 639 रन बनाए और इस दौरान उनका औसत 42 से कुछ ऊपर रहा. वर्ल्ड कप से ठीक पहले भारतीय टीम ने 2 वनडे सीरीज खेली.

पहली न्यूजीलैंड के खिलाफ न्यूजीलैंड में. 5 मैचों की इस सीरीज में रायडू 63 की औसत से 190 रन बनाकर सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे. आंकड़े इस बार भी ज्यादा नहीं हैं, लेकिन नंबर चार पर रायडू का स्कोर 13, 47, 40, 0 और 90 रहा.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रायडू(फोटो: AP)

इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू वनडे सीरीज में रायडू फिर नंबर 4 पर उतरे, लेकिन शुरुआती 3 वनडे के बाद ही उन्हें हटा दिया गया. इस दौरान रायडू सिर्फ 33 रन बना सके.

रायडू ने सितंबर 2018 से मार्च 2019 तक 20 पारियों में 1 शतक और 4 अर्धशतक लगाए, लेकिन रायडू के बड़े स्कोर कमजोर वेस्टइंडीज और अफगानिस्तान जैसी टीमों के खिलाफ आए. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दो सीरीज में रायडू का सबसे बड़ा स्कोर 24 रन रहा.

इस दौरान विजय शंकर ने बीच-बीच में मिले मौकों पर दो-तीन अच्छी पारियां खेली और रायडू के वर्ल्ड कप सपने का रोड़ा साबित हुए.

महज 6 महीनों में ही रायडू सबसे समझदार बल्लेबाज से टीम के लिए नाकाबिल साबित हुए.

गलत हुआ या गलती की?

रायडू, जिन्हें एक वक्त भारत का नया तेंदुलकर कहा गया था, लंबे समय तक टीम में जगह नहीं बना सके. हालांकि जब टीम में मौका मिला, तो वो भी पर्याप्त साबित नहीं हुए, इसलिए साढे पांच साल में सिर्फ 55 वनडे खेल पाए.

रायडू ने बीसीसीआई को लिखे अपने ईमेल में संन्यास के पीछे कोई कारण नहीं बताया है, लेकिन जो घटनाक्रम हुआ उसे देखकर इसे समझना कोई बड़ी बात नहीं.

रायडू को ऋषभ पंत के साथ वर्ल्ड कप के लिए रिजर्व खिलाडी के तौर पर रखा गया था. चयनकर्ताओं ने साफ कहा था कि अगर मुख्य टीम के किसी खिलाड़ी को चोट लगती है, तो इनमें से ही किसी को मौका दिया जाएगा.

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में चोटिल हुए शिखर धवन 19 जून को वर्ल्ड कप से बाहर हो गए. इस बीच पहले ही ऋषभ पंत को टीम में शामिल कर लिया गया था. इसमें किसी को भी आपत्ति नहीं हो सकती, क्योंकि वो रिजर्व खिलाड़ियों में थे.

लेकिन 1 जुलाई को जब खबर आई कि विजय शंकर भी वर्ल्ड कप में आगे नहीं खेल पाएंगे, तो एक बार लगा कि रायडू की जगह बनेगी.

फिर टीम मैनेजमेंट ने ऐलान किया कि मयंक अग्रवाल को टीम में शामिल किया जाएगा, तो इसने सबको हैरान किया. कई सवाल भी उठाए गए. सोशल मीडिया पर रायडू का मजाक भी उड़ाया गया. लेकिन रायडू के लिए ये आखिरी चोट साबित हुई. रिजर्व खिलाड़ी के तौर पर रखे जाने के बावजूद भी रायडू के बजाए उस खिलाड़ी को बुलाया गया जिसने एक भी अंतरराष्ट्रीय वनडे नहीं खेला.

रायडू को अनदेखा किए जाने के पीछे या मयंक को चुने जाने के पीछे कोई वजह नहीं दी गई और इसे समझा जा सकता है कि रायडू के साथ गलत हुआ है.

लेकिन वर्ल्ड कप की शुरुआती टीम में नहीं चुने जाने के कारण 16 अप्रैल को रायडू ने चयनकर्ताओं पर तंज करते हुए ट्वीट किया था, वो ही शायद उनकी बड़ी गलती साबित हुई और इसे भी उनको अनदेखा किये जाने का बड़ा कारण समझा जा सकता है.

खैर, अपने ट्वीट की तरह ही एक बार फिर रायडू ने जल्द ही रिएक्शन दिया और संन्यास का ऐलान कर दिया.

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