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सिर्फ एक महीना पहले तक जो सड़के लोगों की उग्र भीड़ की गवाही दे रही थीं, जो लोग हाथ आई हर चीज को खाक कर देने पर आमदा थे 'चाहे राष्ट्रपति का घर ही क्यों न हो', जो लोग रात में भूखे सोने को मजबूर थे, जिनके पास उम्मीद के नाम पर सिर्फ विदेशी चंदा था...
वो श्रीलंका (Sri Lanka) 11 सितंबर की रात जश्न में डूब गया. सड़कें अचानक से थिरकते कदमों की साक्षी बन गई. आग अभी भी थी, लेकिन किसी का घर-गाड़ी जलाने वाली आग नहीं बल्कि खुशी से आसमान में छोड़े गए रॉकेट से निकलने वाली आग थी. एक महीना पहले तक एशिया के 51 देशों की तरफ उम्मीद से टकटकी लगाए दाने-दाने को मोहताज श्रीलंका आज क्रिकेट के मैदान पर उसी एशिया का चैंपियन बन गया.
श्रीलंका की टीम ने पाकिस्तान को फाइनल में हराकर छठी बार एशिया कप का खिताब अपने नाम किया है. लेकिन इस जीत ने हताश-निराश और त्रस्त श्रीलंका को सिर्फ खुश होने का मौका ही नहीं दिया बल्कि भविष्य को लेकर एक उम्मीद भी दी है.
भारत-अफगानिस्तान जैसे देशों में भी लोग सड़कों पर निकलकर श्रीलंका को जीत की बधाई दे रहे हैं. गौतम गंभीर तो मैच खत्म होते ही श्रीलंका का झंडा लेकर मैदान पर उतर गए. घोर अंधकार में कहीं खोया हुआ श्रीलंका लाइमलाइट में आ चुका है. देखिए इस तस्वीर में खिलखिलाते चेहरे और चारों ओर रोशनी...
सिर्फ श्रीलंका ही नहीं, अफगानिस्तान ने भी इस जीत का खूब जश्न मनाया. अब इसे श्रीलंका के लिए प्यार कह लें या पाकिस्तान के लिए नफरत, अफगानिस्तान के दिल में जो भी हो लेकिन विदेशी धर्ती पर अपने लिए इस तरह का जश्न मनते देख श्रीलंका के दिल को सुकून जरूर मिला होगा.
एशिया कप शुरू हुआ थो तो जीत की भविष्यवाणी में श्रलंका के लिए जीत प्रतिशत 0 था, लेकिन खत्म हुआ तो कहानी सबके सामने है. श्रीलंकाई क्रिकेट टीम ने जिस तरह से अंडरडॉग टीम होते हुए भी चैंपियन बनकर दिखाया है, इससे साफ है कि अभी इस टीम के पास पाने के लिए बहुत कुछ है.
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