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जोहानेसबर्ग में 2007 टी-20 वर्ल्ड कप फाइनल के आखिरी ओवर में भारत की जीत या डरबन में टाई के बाद बॉल आउट में पाकिस्तान की हार. ढाका में 2014 के एशिया कप में भारत की एक विकेट से हार या कराची में 2004 में 6 रन से पाकिस्तान की हार. भारत और पाकिस्तान के बीच ऐसे कई मैच हैं, जो बिल्कुल आखिरी वक्त तक फैसले का इंतजार करते रहे.
लेकिन इन सबमें से जो मैच, जिसने दोनों देशों की टक्कर को चरम पर पहुंचाया, खिलाड़ियों को हीरो और विलेन बनाया, वो कांटे का मुकाबला था- 1986 का ऑस्ट्रेलेशिया कप फाइनल.
शारजाह में हुआ ये फाइनल में आज भी दोनों देशों के बीच सबसे रोमांचक मुकाबला माना जाता है.
पहले बैटिंग करने उतरी भारतीय टीम को सुनील गावस्कर और कृष्णामचारी श्रीकांत ने कमाल की शुरुआत दिलाई. दोनों ने पहले विकेट के लिए 117 रन जोड़े. 75 रन बनाकर श्रीकांत आउट हो गए, लेकिन रन बनाने का सिलसिला जारी रहा दिलीप वेंगसरकर और गावस्कर ने मिलकर 99 रन की पार्टनरशिप की.
पाकिस्तान शुरुआत खराब रही और चेतन शर्मा ने ओपनर मुदस्सर नजर को जल्दी आउट कर दिया. 61 रन तक पाकिस्तान के 3 विकेट गिर गए. यहां से पाकिस्तान के सबसे बड़े बल्लेबाज जावेद मियांदाद ने मोर्चा संभाला. मियांदाद ने सलीम मलिक और अब्दुल कादिर के साथ मिलकर टीम को 181 तक पहुंचाया, जब कादिर को कपिल ने आउट किया.
आखिरी ओवर कराने आए चेतन शर्मा ने जुल्करनैन को बोल्ड किया. चेतन शर्मा अभी तक 3 विकेट वे चुके थे और भारत के हीरो साबित हो रहे थे. बस सामने एक दीवार थी- जावेद मियांदाद, जिसे तोड़ना जरूरी था. आखिरी गेंद पर पाकिस्तान को जीत के लिए चाहिए थे 4 रन और स्ट्राइक पर थे मियांदाद.
जावेद मियांदाद ने आखिरी गेंद से पहले 2 बार पहले ऑफ साइड की फील्ड को देखा और फिर एक नजर लेग साइड की फील्ड पर भी डाली.
दो देशों की उम्मीदें उस आखिरी गेंद पर टिकी थीं. भारत के लिए चेतन शर्मा हीरो बनने वाले थे, तो पाकिस्तानियों के लिए जावेद मियांदाद एक करिश्मा करने के करीब थे. भारत को चाहिए था सिर्फ एक विकेट और पाकिस्तान को एक बड़ा शॉट.
अगले 2-3 सेकेंड में ही शारजाह के उस मैदान में पाकिस्तानी फैंस अपने हीरो के पास पहुंचने के लिए टूट पड़. किसी तरह मियांदाद फैंस की भीड़ से निकलकर वापस पैवेलियन पहुंच पाए. पाकिस्तान ने मैच की आखिरी गेंद पर एक विकेट से फाइनल जीत लिया था. पाकिस्तान को नेशनल हीरो मिल गया था, जबकि सिर्फ उस छक्के ने शर्मा को भारत का सबसे बड़ा विलेन बना दिया था.
एक साल तक विलेन बने चेतन शर्मा ने 1987 वर्ल्ड कप में इस दाग को धो दिया. न्यूजीलैंड के खिलाफ वर्ल्ड कप में हैट्रिक लेकर वो एक बार फिर हीरो बन गए. वो वर्ल्ड कप में हैट्रिक लेने वाले पहले गेंदबाज थे और आज तक इकलौते भारतीय.
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