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इंग्लैंड के मैनचेस्टर में 16 जून को एक बार फिर क्रिकेट की सबसे बड़ी राइवलरी देखने को मिलेगी. आमने-सामने होंगे एशिया के दो पड़ोसी देश और क्रिकेट के पावरहाउस भारत और पाकिस्तान.
दोनों देशों की क्रिकेट राइवलरी लगभग उतनी ही पुरानी है, जितना पाकिस्तान का इतिहास. 1947 में अलग देश बने पाकिस्तान का भारत से पहला मैच 1952 में हुआ था. उसके बाद से दोनों देशों के बीच कई मुकाबले हुए. टेस्ट, वनडे और फिर टी-20, तीनों फॉर्मेट में दोनों देश कई बार भिड़ चुके हैं.
हालांकि बिगड़ते रिश्तों के चलते कई बार बाइलेटरल क्रिकेट मैच का सूखा आ गया, लेकिन जब-जब ऐसा हुआ, तो फैंस को सहारा मिला बड़े टूर्नामेंट्स का. वर्ल्ड कप, चैंपियंस ट्रॉफी, एशिया कप.
खास तौर पर वर्ल्ड कप. क्रिकेट के सबसे बड़े टूर्नामेंट में 1992 के बाद से लगातार दोनों टीमें एक-दूसरे के खिलाफ खेलती रही हैं. सिर्फ 2007 को छोड़कर, जहां भारत और पाकिस्तान उलटफेर का शिकार होकर पहले राउंड में ही बाहर हो गए थे.
इन सभी मुकाबलों पर एक नजर-
1978 में पहली बार एक दूसरे के खिलाफ वनडे क्रिकेट खेलने वाले भारत और पाकिस्तान की वर्ल्ड कप में पहली मुलाकात 1992 में हुई थी. दोनों टीमों की इस वर्ल्ड कप में शुरुआत अच्छी नहीं हुई थी और दोनों का ये चौथा मैच था.
भारत ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. ओपनिंग के लिए आए श्रीकांत सिर्फ 5 रन बनाकर आउट हो गए, लेकिन अजय जड़ेजा ने अजहरुद्दीन और विनोद कांबली के साथ मिलकर टीम को 100 के पार पहुंचाया.
सचिन ने वर्ल्ड कप में अपना पहला अर्धशतक जड़ा और 54 रन बनाकर आखिर तक क्रीज पर रहे.
पाकिस्तान की शुरुआत भी खराब रही. कपिल देव और मनोज प्रभाकर ने इंजमाम उल हक और जाहिद फजल को सिर्फ 21 रन पर निपटा दिया. फिर आए पाकिस्तान के सबसे बड़े बल्लेबाज जावेद मियांदाद.
मियांदाद ने ओपनर आमिर सोहेल के साथ मिलकर पारी को आगे बढ़ाया, लेकिन टीम को 100 के पार पहुंचाने के तुरंत बाद सोहेल (62 रन) तेंदुलकर का शिकार हो गए. इसके बाद तो फिर कोई बल्लेलबाज टिक नहीं पाया. पाकिस्तान की पूरी टीम सिर्फ 173 रन पर ऑल आउट हो गई.
इस मैच में एक मजेदार वाकया हुआ. जब मियांदाद और सोहेल क्रीज पर थे, तो काफी देर से विकेट नहीं मिलने से टीम परेशान थी. ऐसे में विकेटकीपर किरण मोरे काफी अपील करने लगे. कोई भी एज या पैड पर गेंद लगते ही अपील करने लगते.
दूसरी बार जब भारत और पाकिस्तान भिड़े तो, ये इस मैच में भारत का जबरदस्त ऑलराउंड खेल दिखा.
भारत ने पहले बैटिंग करते हुए नवजोज सिंह सिद्धू के धुआंधार 93 रन की मदद से 50 ओवरों में 287 रन का बेहद मजबूत स्कोर खड़ा किया. इस मैच में भारत के सभी बल्लेबाजों ने जरूरी योगदान दिया. आखिरी ओवरों में अजय जड़ेजा के सिर्फ 25 गेंद पर 45 रन की मदद से भारत बड़े स्कोर तक पहुंच पाया.
पाकिस्तान ने भी जरूरत के मुताबिक तेज शुरुआत की. आमिर सोहेल और सईद अनवर ने श्रीनाथ, वेंकटेश प्रसाद और अनिल कुंबले पर खूब रन बरसाए. हालांकि श्रीनाथ ने अनवर को 48 रन पर आउट कर अपना हिसाब पूरा किया.
मैच का सबसे मजेदार मोमेंट आया 15वें ओवर में.
सोहेल के आउट होने के बाद पाकिस्तान ने मैच में वापसी की काफी कोशिश की, लेकिन 9 विकेट खोकर पूरी टीम सिर्फ 239 रन ही बना सकी. ये मैच आज भी वेंकटेश और सोहेल की उस टक्कर के लिए याद किया जाता है.
वर्ल्ड कप में भारत पाकिस्तान के मैचों में से सबसे बेहतरीन मैच 2003 का ये मैच था. खासतौर पर सचिन के करियर की सबसे बेहतरीन पारियों में से एक इस मैच में देखने को मिली थी.
पाकिस्तान ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 273 रन बनाए. पाकिस्तान के लिए अनुभवी ओपनर सईद अनवर ने शानदार 101 रन बनाए. अनवर का ये भारत के खिलाफ चौथा शतक था. हालांकि अनवर के अलावा कोई भी और बल्लेबाज ज्यादा नहीं टिक पाया. आखिर में युनिस खान (32) और राशिद लतीफ (29) ने कुछ जरूरी रन बनाए.
उस वक्त के लिहाज से ये लक्ष्य आसान नहीं था, क्योंकि सामने वसीम, वकार और शोएब जैसे तूफानी गेंदबाज थे. हालांकि इसका कोई फर्क सचिन तेंदुलकर और वीरेंद सहवाग पर नहीं पड़ा.
अच्छी शुरुआत के बाद भारत को लगातार 2 झटके लगे, लेकिन सचिन ने कैफ के साथ मिलकर टीम को 150 के पार पहुंचाया. सचिन के बेहद आक्रामक रुख ने भारत की जीत की बुनियाद रखी. हालांकि सचिन सिर्फ 2 रन से शतक से चूक गए.
इसके बाद राहुल द्रविड़ (44) और युवराज सिंह (50) ने कोई विकेट नहीं गिरने दिया और 99 रन की पार्टनरशिप कर भारत को यादगार जीत दिलाई.
इस मैच में सबकुछ खास था. मैच भारत में हुआ था. वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल था और भारत की पाकिस्तान पर लगातार पांचवी जीत थी. हीरो एक बार फिर सचिन तेंदुलकर थे.
पहले बैटिंग कर रहे भारत की शुरुआत अच्छी थी. सहवाग तेजी से 38 रन बनाकर आउट हुए और फिर सचिन और गंभीर ने इसका फायदा उठाकर बुनियाद मजबूत की. दोनों ने 68 रन जोड़े. हालांकि गंभीर के आउट होने के बाद वहाब रियाज ने लगातार भारत को झटके दिए.
लक्ष्य ज्यादा बड़ा नहीं था, लेकिन सेमीफाइनल और इतिहास को बदलने का दबाव पाकिस्तान पर साफ दिखा. अच्छी शुरुआत के बावजूद पाकिस्तान का मिडिल ऑर्डर लड़खड़ा गया. मुनफ पटेल, युवराज और हरभजन ने बीच के ओवरों पाकिस्तान को ज्यादा मौके नहीं दिए.
पाकिस्तान की पूरी टीम 49.5 ओवरों में सिर्फ 231 रन पर आउट हो गई. पाकिस्तान के लिए मिस्बाह उल हक ने 56 रन बनाए, जबकि हफीज ने भी 44 रन बनाए. भारत के लिए जहीर, मुनफ, नेहरा, हरभजन और युवराज ने 2-2 विकेट लिए.
इस जीत के साथ भारत फाइनल में पहुंच गया, जहां 2 अप्रैल को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका को हराकर दूसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बना.
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