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ऐसा नहीं कि चेन्नई सुपर किंग्स की टीम मुंबई इंडियंस की तरह किसी भी खिलाड़ी को हर कीमत पर शामिल करने के लिए मुंहमांगी से भी ज्यादा रकम खर्च नहीं कर सकती है. लेकिन, चेन्नई के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी है जो हमेशा इस बात पर यकीन करते हैं कि आप अपने संसाधनों का कितने बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर पाते हैं. इस मामले में धोनी ने आईपीएल 2021 की ट्रॉफी जीत कर फिर से वही बात साबित की है
अब खुद सोचिये कि इस बार चेन्नई के लिए सबसे ज्यादा कामयाब खिलाड़ियों को टीम में शामिल करने के लिए धोनी ने क्या किया था.
2018 में जब ऑक्शन हुआ तो राइट टू मैच कार्ड के जरिये फैफ डूप्लेसी को सिर्फ 1.6 करोड़ में घर वापसी करायी गयी और रितुराज गायकवाड जैसे युवा को सिर्फ 20 लाख में शामिल किया गया. डूप्लेसी में धोनी ने 2008 में जुआ खेला था और चेन्नई में लेकर आये थे, जब वो साउथ अफ्रीका की राष्ट्रीय टीम से खेले भी नहीं थे..
आलम ये है कि आज भी साउथ अफ्रीका डूप्लेसी जैसे चैंपियन को नजरअंदाज कर रहा है क्योंकि वो टी20 वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा नहीं है, लेकिन धोनी की पारखी नजर का कमाल देखिये कि डुप्लेसी और गायकवाड़ ने 600 से ऊपर रन बनाए और बाकि जितने बल्लेबाज नाकाम हुए उनकी कमी पूरी कर दी
पिछले सीजन गायकवाड़ यूएई में कुछ खास नहीं कर पाये थे लेकिन धोनी ने उन्हें सीज़न की शुरुआत में ही कहा कि तुम चेन्नई ही नहीं भारत के भविष्य हो. दरअसल, धोनी ने रितुराज की शख्सियत में अपने शुरुआती दिनों वाले धोनी की झलक देखी. निस्वार्थी, बिना घेंच-पेंच के और बेहद संतुलित मिजाज का खिलाड़ी
धोनी ने 2018 में इंग्लैंड के ऑलराउंडर मोईन अली पर फ्रेंचाइजी को करोड़ों रुपये बरसाने के लिए तैयार करवा लिया. धोनी की टीम के मालिक इस बात पर हैरान थे, जिस मोईन को विराट कोहली अपनी टीम में रख नहीं रहें हैं, उसे टीम में लाने के लिए धोनी इतना बड़ा जुआ क्यों खेल रहें हैं.. उन्हें ये नहीं पता था कि धोनी ने पावर-प्ले और मिड्ल ओवर्स के दौरान अली के बाउंड्री लगाने की काबिलियत (इस पैमाने पर बाउंड्री फीसदी के मामले में अली तो कोहली से भी 2018 में बेहतर थे) को अपनी टीम के लिए सबसे बड़ी कमी को पूरा करने वाला खिलाड़ी मानते थे. अब इस साल अली के खेल को देखिये और खासतौर पर फाइनल में अली की पारी को देखें तो आपको जवाब मिल जायेगा कि क्यों अब क्रिकेट में टेनिस की ही तर्ज पर नॉन प्लेइंग कप्तान को खिलाने की बहस छिड़ चुकी है.
वो 'कातिल' मुस्कान तमाम कामयाबी के बावजूद धोनी बड़े-बड़े वादे और बातें करने वाले कप्तान या खिलाड़ी नहीं है.
आखिर, 2008 से 2021 तक में 9 बार चेन्नई को फाइनल में ले जाना, 4 बार आईपीएल ट्रॉफी जिताना, दो बार चैंपियंस लीग (जिसे अब सब लोग भूल गए हैं लेकिन वो एक जमाने में दुनिया की बेस्ट घरेलू टीमों का आईपीएल हुआ करता था) जिताने के बाद भी अगर कोई सिर्फ मुस्कान से आपको घायल कर देता तो वो धोनी ही हैं. विंडबना सिर्फ इस बात की अगर मुकद्दर का सिंकदर माने जाने वाले इस कप्तान पर थोड़ी सी किस्मत मेहरबान होती तो आईपीएल में धोनी के नाम 4 नहीं बल्कि 8 खिताब होते. 2008 में राजस्थान रॉयल्स ने शेन वॉर्न की आखिरी गेंद पर खिताब जीता तो 2012 में कोलकाता ने आखिरी 2 गेंद रहते जीती वहीं रोहित की मुंबई ने धोनी को सिर्फ 1 रन से रोक दिया. 2017 में भी रोहित की टीम ने इसी अंतर से धोनी की टीम को मात दी थी.हां, वो टीम चेन्नई ना होकर पुणे सुपरजाइंट्स थी. यही वजह है कि बात जब आईपीएल की होती है और फाइनल की होती है तो सिर्फ एक ही नाम जेहन में आता है-.. धोनी
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