Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Sports Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Cricket Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019वर्ल्ड कप फाइनल : इंग्लिश फैन्स को 2004 की तरह डर लग रहा था

वर्ल्ड कप फाइनल : इंग्लिश फैन्स को 2004 की तरह डर लग रहा था

इंग्लैंड ने दूसरी बार आईसीसी का कोई टूर्नामेंट अपने नाम किया है

शिवेंद्र कुमार सिंह
क्रिकेट
Updated:
2004 में अपने ही घर में अपने फैंस के सामने आंखों के सामने से इंग्लैंड ने खिताब निकलते देखा था
i
2004 में अपने ही घर में अपने फैंस के सामने आंखों के सामने से इंग्लैंड ने खिताब निकलते देखा था
(फोटोः ट्विटर/@windiescricket)

advertisement

रविवार 14 जुलाई की रात लॉर्ड्स के मैदान में तमाम हिंदुस्तानी फैंस ऐसे भी थे जो सिर्फ इसलिए मैच देखने गए थे क्योंकि उन्होंने पैसे खर्च करके फाइनल की टिकट खरीदी थी. वो फाइनल में अपनी टीम इंडिया को देखने की चाहत रखते थे लेकिन टीम सेमीफाइनल में बाहर हो गई. इसके बाद उनके पास दो ही विकल्प थे- या तो फाइनल में इंग्लैंड और न्यूजीलैंड की टक्कर देखी जाए या फिर टिकट के पैसे का मोह छोड़ा जाए.

खैर, तमाम लोगों ने पहला विकल्प चुना और वो लॉर्ड्स के मैदान में इंग्लैंड-न्यूजीलैंड का फाइनल देखने गए. दिलचस्प बात ये है कि ये उन क्रिकेट फैंस के जीवन का सबसे रोमांचक अनुभव रहेगा.

रोमांचक अनुभव इंग्लिश फैंस के लिए भी था, लेकिन उसकी कहानी काफी अलग है. रविवार की रात लॉर्ड्स में कुछ क्रिकेट फैंस ऐसे भी जरूर मौजूद रहे होंगे जिन्हें रह रहकर 2004 चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मैच याद आ रहा होगा. ऐसे तमाम क्रिकेट फैंस में मैं खुद को भी रखता हूं.

क्रिकेट जिस देश से शुरू हुआ उस देश को आईसीसी खिताबों से हमेशा महरूम होना पड़ता था. न्यूजीलैंड के खिलाफ फाइनल में भी स्थिति कुछ ऐसी ही बन गई थी कि लगा एक बार फिर इंग्लैंड की टीम का विश्व चैंपियन बनने का सपना टूटने वाला है. लेकिन इसे किस्मत ही कहा जाएगा कि ‘सुपर क्लाईमैक्स’ वाले मैच में टीम जीत गई. 2004 की यादें क्यों ताजा हुईं आपको भी याद दिलाते हैं.

2004 में हाथ से फिसली चैंपियंस ट्रॉफी

2004 तक इंग्लैंड की टीम ने आईसीसी का कोई टूर्नामेंट नहीं जीता था. टीम बड़ी मुश्किल से चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहुंची. मुकाबला वेस्टइंडीज की टीम से था. वेस्टइंडीज की टीम उन दिनों कमजोर मानी जाती थी लेकिन उसने फाइनल तक का सफर तय किया.

फाइनल मैच लंदन में ही खेला गया था. फाइनल में वेस्टइंडीज के गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया. इंग्लैंड की टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए 217 रन ही बना पाई. इसमें मार्कस ट्रेस्कोथिक का शानदार शतक शामिल था. लेकिन जब इंग्लिश गेंदबाजों ने गेंद संभाली तो उन्होंने भी वेस्टइंडीज को जबरदस्त टक्कर दी थी.
इंग्लैंड के ओपनर मार्कस ट्रेस्कोथिक ने फाइनल में एक बेहतरीन शतक लगाया था(फोटोः somersetcountycc.co.uk)

एंड्रयू फ्लिंटॉफ और स्टीव हार्मिसन की जोड़ी ने वेस्टइंडीज के टॉप ऑर्डर को तहस-नहस कर दिया. 80 रन पर वेस्टइंडीज की आधी टीम पवेलियन लौट चुकी थी. इसमें वेवेल हाइंड्स 3 रन बनाकर, रामनरेश सरवन 5, क्रिस गेल 23, कप्तान ब्रायन लारा 14 और ड्वेन ब्रावो बगैर खाला खोले पवेलियन लौट चुके थे.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
कप्तान ब्रायन लारा के आउट होने के बाद इंग्लैंड की जीत पक्की दिखने लगी थी. इसके बाद रेयान हाइंड्स, रिकॉर्डो पॉवेल और शिवनारायण चंदरपॉल भी आउट हो गए. उस वक्त वेस्टइंडीज का स्कोर सिर्फ 147 रन था और उसके 8 विकेट आउट हो चुके थे. जीत के लिए अब भी 70 रनों से ज्यादा की जरूरत थी.
(ग्राफिक्सः इरम गौर/क्विंट हिंदी)

फिर दिखा रोशनी का ड्रामा

इसके बाद मैदान में असली ड्रामा शुरू हुआ. उन दिनों भी फाइनल मैच के लिए एक रिजर्व डे होता था. मैदान में रोशनी अचानक बहुत तेजी से कम होने लगी. विकेटकीपर कॉर्टनी ब्राउन और ब्रैडशॉ क्रीज पर थे. अंपायरों ने उनसे जाकर बाकायदा पूछा कि क्या वो खराब रोशनी में बल्लेबाजी करेंगे.

आम तौर पर जैसे ही रोशनी कम होती है, बल्लेबाज खेलने से मना कर देते हैं क्योंकि कम रोशनी में तेज गेंदबाजों का सामना करने में चोट लगने का खतरा भी होता है.

लेकिन तब तक ब्राउन और ब्रैडशॉ की जोड़ी अपने रंग में आ चुकी थी. दोनों ने अंपायर को साफ कहा कि वो बल्लेबाजी जारी रखेंगे. मैदान के मीडिया बॉक्स में बैठे हम सभी पत्रकार चौंक गए. लेकिन बल्लेबाजों के इस फैसले के पीछे उनका आत्मविश्वास और जोखिम लेने की ताकत दोनो बातें थीं.

“हैप्पी डेज आर हियर अगेन”

जल्दी ही इन दोनों निचले क्रम के बल्लेबाजों ने स्कोरबोर्ड को आगे बढ़ाना शुरू किया. इंग्लैंड के फैंस की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. इंग्लैंड के कप्तान माइकल वॉन ने सारे हथकंडे अपना लिए.

इयन ब्रैडशॉ और कोर्टनी ब्राउन ने इंग्लैंड के मुंह से जीत छीन ली(फोटोः ट्विटर/@windiescricket)
डैरेन गफ, फ्लिंटॉफ, हार्मिसन सबने छोर बदल-बदल कर गेंदबाजी कर ली लेकिन ब्राउन और ब्रैडशॉ टस से मस नहीं हुए. स्कोरबोर्ड अब 200 रनों के करीब पहुंच गया था. मुकाबला अब भी इंग्लैंड की टीम के हाथ से निकला नहीं था क्योंकि उन्हें सिर्फ दो पुछल्ले बल्लेबाजों को आउट करना था. लेकिन ब्राउन और ब्रैडशॉ ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

आखिरकार 49वें ओवर की आखिरी गेंद पर विनिंग रन लेने के साथ ही इस जोड़ी ने हजारों इंग्लिश फैंस को मायूस कर दिया. मुझे याद है कि उस रोज वेस्टइंडीज के कोच गस लोगी ने मुझसे कहा था- “हैप्पी डेज आर हियर अगेन.”

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 15 Jul 2019,05:34 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT