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इस बात में कोई दो राय नहीं कि पृथ्वी शॉ और ऋृषभ पंत काबिल खिलाड़ी हैं. दोनों की उम्र अभी काफी कम है, दोनों के पास मैदान में बने रहने के लिए काफी लंबा समय है. दोनों को टीम इंडिया का भविष्य भी माना जाता है, लेकिन सवाल ये है कि क्या इन दोनों खिलाड़ियों पर अभी से उम्मीदों का बोझ बहुत ज्यादा तो नहीं हो गया है? कहीं ऐसा तो नहीं कि विश्व कप टीम में ना चुने की मायूसी उनके प्रदर्शन में झलक रही है.
हालांकि विश्व कप के लिए टीम का सेलेक्शन 15 अप्रैल को हुआ था और उससे पहले भी इक्के-दुक्के मौकों को छोड़ दें तो इन दोनों खिलाड़ियों ने कोई खास प्रदर्शन नहीं किया था. जाहिर है हम आईपीएल में इनके हालिया प्रदर्शन की बात कर रहे हैं. इन दोनों खिलाड़ियों के फॉर्म और नजरिए को लेकर चिंता इसलिए भी सताती है क्योंकि ये दोनों खिलाड़ी भारत की टेस्ट टीम का हिस्सा हैं और इन्हें भारतीय टेस्ट टीम का भविष्य माना जाता है.
इन दोनों ही खिलाड़ियों ने इस सीजन में एक एक करिश्माई पारी खेली है, लेकिन 9 मैच में एक करिश्माई पारी खेलने के अलावा इनका योगदान लगभग ना के बराबर ही रहा है. हम इन दोनों खिलाड़ियों के ओवर ऑल प्रदर्शन की बात कर चुके हैं. अब सिलसिलेवार तरीके से हर मैच में इनका योगदान भी जान लेते हैं. ये आंकड़े देखिए
ये आंकड़े बताते हैं कि कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ पृथ्वी शॉ की पारी और मुंबई इंडियंस के खिलाफ ऋषफ पंत की एक पारी को छोड़ दिया जाए तो इस दोनों खिलाड़ियों का प्रदर्शन आईपीएल में औसत रहा है. अब लौटते हैं अब अपने सवाल पर, क्या ये दोनों खिलाड़ी उम्मीदों के बोझ में दब तो नहीं रहे हैं.
भूलना नहीं चाहिए कि पृथ्वी शॉ के डेब्यू के बाद उनकी तुलना सचिन तेंडुलकर और वीरेंद्र सहवाग जैसे बल्लेबाजों से की गई. ये भी नहीं भूलना चाहिए कि ऋषभ पंत ने जिस खिलाड़ी की जगह ली है वो भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे करिश्माई खिलाड़ियों में से एक महेंद्र सिंह धोनी है. जाहिर है दबाव इन दोनों पर भी है. इस दबाव से निपटने का सिर्फ एक तरीका है- मेंटल टफनेस.
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