इस सवाल का जवाब इस कसौटी से मिलेगा कि आखिर किस कप्तान ने अपनी टीम की जीत में सबसे ज्यादा योगदान किया है? वो कौन सा कप्तान है जो मुश्किल मौकों पर आगे बढ़कर जिम्मेदारी लेता है?
दिलचस्प बात ये है कि ये वो खिलाड़ी है, जिसने धोनी की ट्रेनिंग में लंबे समय तक आईपीएल खेला है. वो खिलाड़ी हैं किंग्स इलेवन पंजाब के कप्तान आर अश्विन.
मंगलवार को खेले गए मैच का ही उदाहरण लीजिए. राजस्थान की टीम को जीत के लिए 183 रन चाहिए थे. 11.3 ओवर तक राजस्थान की टीम 1 विकेट पर 97 रन बना चुकी थी. ये ओवर आर अश्विन ही फेंक रहे थे. उन्होंने चौथी गेंद पर संजू सैमसन को आउट किया. इसके बाद जब वो 16वां ओवर लेकर आए, तो उन्होंने राहुल त्रिपाठी को भी पवेलियन की राह दिखाई. दो जमे-जमाए बल्लेबाजों को आउट करने के साथ ही आर अश्विन ने अपनी टीम की जीत सुनिश्चित कर दी.
इस जीत के साथ ही किंग्स इलेवन पंजाब की टीम 9 में से 5 मैच जीतकर प्वाइंट टेबल में टॉप 4 टीमों में शामिल हो गई है. आर अश्विन ने 4 ओवर में 24 रन देकर 2 विकेट लिए. दिलचस्प बात ये है कि इससे पहले जब वो बल्लेबाजी कर रहे थे, तो भी उन्होंने सिर्फ 4 गेंद पर 17 रन बनाए थे. इसमें 2 छक्के और 1 चौका शामिल है.
उनके इस प्रदर्शन के लिए ही उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया. इस सीजन में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों की फेहरिस्त में भी आर अश्विन 11 विकेट के साथ छठे नंबर पर हैं. इस सीजन में राजस्थान ने जो पांच मैच जीते हैं उसमें आर अश्विन का प्रदर्शन जान लेते हैं.
अब किस बात का रोना रोएगा राजस्थान
याद कीजिए आर अश्विन के लिए ये सीजन विवाद के साथ शुरू हुआ था. 25 मार्च को राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ खेले गए मैच के बाद से ही उनकी खेल भावना को कटघरे में खड़ा किया गया था. आपको याद दिला दें कि राजस्थान के खिलाफ मैच में ही आर अश्विन ने जोस बटलर को ‘मांकडिंग’ तरीके से रन आउट किया था.
रनिंग क्रीज से अगर बल्लेबाज गेंद फेंके जाने से पहले ही रन के लिए दौड़ रहा हो और गेंदबाज उसे रन-आउट कर दे तो ये तरीका ‘मांकडिंग’ कहलाता है. जोस बटलर को आउट किए जाने के बाद से ही क्रिकेट जगत में जबरदस्त बहस शुरू हुई थी. कई दिग्गजों ने आर अश्विन का साथ दिया था. लेकिन कई लोगों ने उनकी खेल भावना पर सवाल भी खड़े किए थे.
एमसीसी ने भी बाद में आर अश्विन के जोस बटलर को आउट करने के तरीके को खेल भावना के विपरीत बताया था. मंगलवार को राजस्थान के खिलाफ दूसरे मैच से पहले बड़ा शोर-शराबा था कि पिछले मैच के विवाद के बाद मैदान पर दोनों टीमों के बीच कैसा माहौल रहेगा. लेकिन आर अश्विन ने मंगलवार को अपने बल्ले और गेंद से प्रदर्शन करके दिखा दिया कि वो विवाद के साए से बाहर निकल चुके हैं.
धोनी के साए में रहकर सीखी है कप्तानी
आर अश्विन 2015 तक धोनी के साथ चेन्नई सुपरकिंग्स के ‘की-प्लेयर्स’ में रहे हैं. उन्होंने धोनी को करीब से कप्तानी करते देखा है. धोनी ने आईपीएल में आर अश्विन की काबिलियत का प्रयोग भी बड़ी समझदारी के साथ किया था.
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स्पॉट फिक्सिंग का आरोप साबित होने के बाद 2016-2017 में चेन्नई की टीम पर बैन लगने के बाद आर अश्विन राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स की टीम में चले गए थे. इसके बाद किंग्स इलेवन पंजाब के साथ उनका सफर शुरू हुआ.
2018 में उनकी कप्तानी में पंजाब का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. 14 लीग मैच में सिर्फ 6 जीत के साथ पंजाब की टीम प्वाइंट टेबल में सातवें पायदान पर थी. आर अश्विन इस बार अपनी टीम का प्रदर्शन बेहतर करना चाहते हैं, जिसके लिए बतौर कप्तान उन्होंने मजबूती से जिम्मेदारी उठा ली है.
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