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भारतीय क्रिकेट के जिस भी फैन ने 2003 का वर्ल्ड कप देखा हो, उसे वो कभी नहीं भूल सकता. सौरव गांगुली की कप्तानी वाली उस जांबाज टीम ने साउथ अफ्रीका में शानदार प्रदर्शन किया और 20 साल बाद भारत वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचा. फिर फाइनल में जो नजारा दिखा, उसने भारतीय फैंस का दिल तोड़ दिया. अब 17 साल बाद एक बार फिर वही जख्म हरा हो गया.
रविवार 8 मार्च को जब मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में भारतीय टीम पहली बार महिला टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में उतरी, तो लगा कि ये भारतीय महिला क्रिकेट के लिए 1983 जैसा बदलाव लाएगा, लेकिन इस फाइनल के पहले ही ओवर ने 2003 के फाइनल का दर्द दोबारा याद दिला दिया.
मेलबर्न में भारतीय महिला टीम के साथ भी बिल्कुल वैसा ही हुआ. दीप्ति शर्मा के पहले ही ओवर में ऑस्ट्रेलियाई ओपनर एलिसा हीली ने धुआंधार बैटिंग शुरू कर दी और 3 चौके जड़कर 14 बना डाले.
इस ओवर में शेफाली वर्मा ने हीली का कैच भी छोड़ा था, जिसके बाद हीली ने भारतीय गेंदबाजों की धुनाई की और 75 रन कूट डाले. हीली के अलावा बेथ मूनी ने भी धुआंधार 78 रन की पारी खेली और ऑस्ट्रेलिया ने 20 ओवरों में 4 विकेट पर 184 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया.
जिसे भी 2003 का वर्ल्ड कप याद है, उनकी जुबान पर सचिन तेंदुलकर का नाम खास तौर पर आता है. ओपनिंग करते हुए सचिन ने उस वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाए थे और भारत के फाइनल तक पहुंचने में सबसे बड़े स्टार थे.
कुछ ऐसा ही मेलबर्न में भी हुआ. ऑस्ट्रेलिया के बड़े स्कोर के सामने भारत को अच्छी शुरुआत की जरूरत थी और नजरें थी शेफाली वर्मा.
सचिन जैसे छोटे कद की, लेकिन उम्र में सचिन से भी बहुत छोटी शेफाली इस वर्ल्ड कप में भारत की स्टार बल्लेबाज रहीं. शेफाली ने भारत के लिए सबसे ज्यादा रन बनाए थे, लेकिन फाइनल में वो भी सचिन जैसी किस्मत का शिकार हुईं.
पहले ही ओवर में गिरे विकेट से भारतीय टीम उबर नहीं सकी और इस फाइनल का हाल भी वही रहा जो 2003 में फाइनल का था. ऑस्ट्रेलिया की मजबूत टीम के सामने भारतीय टीम टिक नहीं पाई और वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना और दिल दोनों टूट गए.
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