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रविवार 9 जून को लंदन के ओवल स्टेडियम में जब भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें आमने-सामनें होंगी, तो वो किसी सामान्य मैच की तरह नहीं होगा. वो मुकाबला होगा, पिछले 2 वर्ल्ड चैंपियनों का. वो मुकाबला होगा, इस वर्ल्ड कप के दो बड़े दावेदारों. इससे भी बढ़कर, ये मुकाबला होगा, पुराने हिसाब बराबर करने का.
5 बार की वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया ने वर्ल्ड कप में कमाल की शुरुआत की और अपने दोनों मैच जीते. टीम ने दिखाया कि वो खराब स्थिति से उबर कर भी जीत सकते है. वहीं भारत ने भी साउथ अफ्रीका को हराकर अच्छा आगाज किया है.
इतिहास और रिकॉर्ड्स गवाही देते हैं कि ऑस्ट्रेलिया इस फॉर्मेट में भी भारत पर हावी रहा है. बात चाहे ओवरऑल वनडे मैचों की हो या वर्ल्ड कप की, भारत पीछे ही रहा है.
इन 11 मैच में से 7 मैच ऐसे हैं, जिनमें एक न एक सेंचुरी लगी है. भारत की तरफ से सिर्फ एक सेंचुरी अजय जड़ेजा के नाम है, जो उन्होंने 1999 वर्ल्ड कप में चेज करते हुए मारी थी. भारत ये मैच 77 रन से हार गया था. ये मैच लंदन के ओवल स्टेडियम में ही हुआ था, जहां ये टीमें फिर टकराएंगी.
दोनों टीमों के बीच वर्ल्ड कप में हुए कुछ बेहद यादगार मुकाबलों पर एक नजर-
1987 वर्ल्ड कप में चेन्नई में हुआ मुकाबला वर्ल्ड कप के सबसे करीबी मुकाबलों में से एक है. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए इस मैच में टीम कपिल देव की टीम को आखिरी ओवर में सिर्फ एक रन से हार गई.
पहले बैटिंग करने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम को डेविड बून और ज्यॉफ मार्श ने बेहतरीन शुरुआत दिलवाई. दोनों ने 110 रन जोड़े. इसके बाद मार्श और डीन जोंस ने तेजी से रन जोड़े. मार्श ने यादगार शतक लगाया और इसकी मदद से ऑस्ट्रेलिया ने 50 ओवर में 270 का मजबूत स्कोर खड़ा किया.
इस मैच में एक खास बात हुई, जो आखिरी में निर्णायक साबित हुआ.
हालांकि, सुनील गावस्कर और क्रिस श्रीकांत ने शुरू से ही आक्रामक बल्लेबाजी की. गावस्कर 37 रन बनाकर आउट हुए. इसके बाद आए नवजोत सिंह सिद्धू. ये सिद्धू के करियर का पहला वनडे मैच था और उन्होंने निराश नहीं किया. सिद्धू ने श्रीकांत (70) के साथ हमलावर रुख जारी रखा.
आखिरी ओवर में भारत को जीत के लिए 8 रन चाहिए थे और सामने थे युवा स्टीव वॉ. लेकिन पहले मनोज प्रभाकर रन आउट हुए और फिर पांचवीं गेंद पर वॉ ने मनिंदर सिंह को बोल्ड कर मैच खत्म कर दिया. 1983 की वर्ल्ड चैंपियन भारतीय टीम के सफर की निराशाजक शुरुआत हुई.
1987 के बाद 1992 वर्ल्ड कप में भी दोनों टीमों के बीच एक और बेहद करीबी मुकाबला हुआ और दुर्भाग्य से इस बार भी भारत को सिर्फ 1 रन से हार का सामना करना पड़ा.
ब्रिस्बेन में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग की, लेकिन कपिल देव और मनोज प्रभाकर ने बल्लेबाजों को ज्यादा मौके नहीं दिए. डीन जोंस के 90 रन की मदद से ऑस्ट्रेलिया 50 ओवर में सिर्फ 237 रन बना पाया. कपिल और प्रभाकर ने 3-3 विकेट लिए. इस बीच हुई बारिश ने भारत के लिए सब कुछ बदल दिया.
आखिरी ओवर में भारत को जीत के लिए 14 रन की जरूरत थी. किरण मोरे ने पहली दो गेंद पर चौके जड़े, लेकिन तीसरी गेंद पर आउट हो गए. आखिरी 2 बॉल पर 2 रन की जरूरत थी, लेकिन पहले प्रभाकर और आखिरी गेंद पर वेंकटपति राजू रन आउट हो गए और भारत सिर्फ 1 रन से मैच हार गया.
ये कोई नजदीकी मुकाबला नहीं था. भारत को 125 रन से हार झेलनी पड़ी. इसके बावजूद ये मैच इसलिए खास है, क्योंकि भारत 20 साल बाद वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचा था और उस दौर में दुनिया की सबसे बेहतरीन टीम से हारा था.
23 मार्च को जोहानेसबर्ग में सौरव गांगुली ने टॉस जीता और गेंदबाजी का फैसला कर सबको चौंका दिया. इसका असर मैच की शुरुआत से आखिर तक दिखा. अपना पहला वर्ल्ड कप खेल रहे 25 साल के जहीर खान के लिए वर्ल्ड कप शानदार गुजरा था, लेकिन फाइनल में शायद दबाव झेल नहीं पाए और पहले ही ओवर में कई वाइड समेत 15 रन दे दिए. इसके बाद भारतीय टीम को उबरने का मौका नहीं मिला.
भारतीय टीम की सबसे बड़ी उम्मीद और वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले सचिन तेंदुलकर पहले ही ओवर में पैविलियन लौट गए. उसके बाद तो बस विकेट गिरने का सिलसिला जारी रहा. सहवाग (82) एक तरफ डटे रहे और द्रविड़ (47) ने भी कुछ कोशिश की, लेकिन लक्ष्य बहुत बड़ा था. चालीसवें ओवर में 234 के स्कोर पर पूरी टीम ढेर हो गई.
भारत ने आखिरी बार ऑस्ट्रेलिया को इसी वर्ल्ड कप में हराया था. ये वर्ल्ड कप और ये जीत हर हिंदुस्तानी क्रिकेट फैन के जहन में आज भी ताजा होगी. मैच के आखिर युवराज सिंह का पिच पर बैठकर पूरे जोश में बैट लहराना नहीं भुलाया जा सकता.
अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में 24 मार्च को ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पोंटिंग ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. ऑस्ट्रेलिया ने धीमी शुरुआत की,लेकिन ब्रैड हैडिन (53) ने पोंटिंग के साथ मिलकर पारी को आगे बढ़ाया. हालांकि इसके बाद कोई भी बल्लेबाज पोंटिंग को सपोर्ट नहीं कर पाया. ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने अपना शतक (104) लगाया और टीम को 260 रन तक पहुंचाया.
भारत के लिए लक्ष्य ज्यादा बड़ा नहीं था, लेकिन सामने वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया थी. भारत की भी शुरुआत अच्छी नहीं रही और सहवाग जल्दी आउट हो गए.
दोनों टीमें इसके बाद 2015 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में भी भिड़ीं, जहां स्टीव स्मिथ के शतक की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने 328 रन बनाए. जवाब में भारतीय टीम सिर्फ 233 रन बना पाई. ऑस्ट्रेलिया फाइनल में पहुंचा, जहां न्यूजीलैंड को हराकर पांचवी बार खिताब जीता.
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