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कोलकाता के इडेन गार्डन की पिच पर पिंक बॉल से खेले गए भारत के पहले डे-नाइट मैच में टीम इंडिया की पेस बैटरी ने बांग्लादेश की हवा निकाल दी. मेहमान टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया लेकिन ये उसे महंगा पड़ा. बांग्लादेश टीम को पिंक बॉल कतई रास नहीं आई. जबकि इंडियन पेसरों ने असरदार गेंदबाजी करते हुए जल्दी-जल्दी बांग्लादेश के सभी विकेट झटक लिए.
मेहमान टीम के कप्तान मोमिनुल हक ने कहा था कि मैच से पहले पिंक बॉल से एक प्रेक्टिस मैच खेलना अच्छा फैसला होता. कप्तान खुद शून्य पर आउट हुए. हैरानी की बात ये है कि वो अगर पिंक बॉल को लेकर आशंकित थे तो पहले बल्लेबाजी का फैसला क्यों किया.
यही नहीं, मैच में बांग्लादेश को अपना एक खिलाड़ी भी गंवाना पड़ा.
हालांकि इसके बाद भी वह बल्लेबाजी करते रहे लेकिन लंच से पहले वह रिटायर्ड हर्ट होकर मैदान से बाहर चले गए. लिटन की जगह मेहदी हसन मिराज को कन्कशन सब्सिट्यूट के तौर पर मैदान पर उतारा गया.
1 अगस्त, 2019 से आईसीसी ने क्रिकेट में कुछ नए नियमों को मान्यता दी है. नया नियम है कि अगर किसी खिलाड़ी के सिर या गर्दन में चोट लगती है तो उसके स्थान पर किसी दूसरे खिलाड़ी को मौका दिया जा सकता है.
संभव है कि हसन गेंदबाजी न करें क्योंकि वो कन्कशन सब्सिट्यूट के तौर पर खेलने आए हैं.
अगर आईसीसी मैच रेफरी को लगता है कि कन्कशन सब्सिट्यूट के तौर पर खेलने आया खिलाड़ी, अपनी मुख्य भूमिका निभाते हुए अपनी टीम को अतिरिक्त फायदा पहुंचा सकता है तो रेफरी उस खिलाड़ी को सिर्फ वही भूमिका निभाने तक सीमित कर सकता है जिसके लिए उसे उतारा गया है. लाइक-फॉर-लाइक यानी जिस भूमिका का खिलाड़ी मैदान से बाहर गया है कन्कशन खिलाड़ी उसी भूमिका तक सीमित रहेगा.
मेहमान टीम पहले ही दिन लंच के कुछ देर बाद सिर्फ 106 रन बनाकर आउट हो गई. ईशांत शर्मा ने सिर्फ 22 रन देकर पांच विकेट लिए और पिंक बॉल से ये कारनामा करने वाले वो पहले भारतीय गेंदबाज बन गए.
बाकि का काम उमेश और शमी ने कर दिया. उमेश यादव ने 29 रन देकर तीन और शमी ने 36 रन देकर दो विकेट लिए. बांग्लादेश की टीम महज 30 ओवर और तीन गेंद ही भारतीय गेंदबाजों का सामना कर पाई.
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