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एंकर: सुमित सुंद्रियाल
वीडियो एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम/विशाल कुमार
भारत और बांग्लादेश के बीच 22 नवंबर से कोलकाता के ईडन गार्डन्स में दूसरा टेस्ट मैच खेला जाएगा. ये टेस्ट मैच डे-नाइट है और पिंक बॉल से खेला जाएगा. दोनों टीमें पहली बार डे-नाइट टेस्ट मैच खेलेंगी. इसलिए इस मैच को लेकर रोमांच तो है ही, साथ ही उत्सुकता है कि पिंक बॉल से बल्लेबाज हावी होंगे या गेंदबाज.
साथ ही काफी चर्चा इस बात की भी है कि पिंक बॉल से तेज गेंदबाजों को मदद मिलेगी, जबकि स्पिनर्स परेशान होंगे. ऐसे में भारतीय स्पिनर्स कैसे खुद को ढालेंगे?
लेकिन डे-नाइट टेस्ट में टाइम के अलावा और क्या अलग है? ऐसा माना जा रहा है कि तेज गेंदबाजों असर डालेंगे, लेकिन शमी कुछ खास नहीं कर पाएंगे. क्यों मैच के दूसरे सेशन को सबसे अहम माना जा रहा है?
टाइम के साथ-साथ ये 5 चीजें हैं, जो इस टेस्ट में बदल जाएंगी-
डे-नाइट टेस्ट में पिंक बॉल का इस्तेमाल इसलिए किया जा रहा है ताकि वो रात के वक्त सही से दिखे. ये तो एकदम दुरुस्त बात है, लेकिन क्या ऐसा असल में है?
दिलीप ट्रॉफी में पिंक बॉल से खेल चुके भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने इसको लेकर अपनी बात रख चुके हैं. पुजारा ने कहा-
वैसे तो भारतीय टीम में से मयंक अग्रवाल, ऋषभ पंत, कुलदीप यादव, मोहम्मद शमी और ऋद्धिमान साहा पिंक बॉल से घरेलू मैच खेल चुके हैं, लेकिन बांग्लादेशी टीम में किसी भी खिलाड़ी को इसका अनुभव नहीं है.
अब बात बॉल के लक्षण की. पिंक बॉल के साथ एक शब्द का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है, वो है- लैकर यानी रंग की परत. लैकर की मदद से ही इस गेंद की चमक बनी रहती है और ये जल्दी खराब नहीं होती. इसलिए माना जा रहा है कि ये रेड बॉल से ज्यादा स्विंग होगी.
और एक बात- बॉल पर इस लैकर को भी बचाए रखना जरूरी है, इसलिए पिच और आउटफील्ड में थोड़ा ज्यादा घास होगी और ये भी तेज गेंदबाजों के लिए मददगार है.
अब बात शमी फैक्टर की. पिंक बॉल को लेकर रिवर्स स्विंग की भी काफी चर्चा हो रही है. मसला ये है कि पिंक बॉल, रेड बॉल के मुकाबले कम रिवर्स स्विंग होती है.
हालांकि BCCI के एक अधिकारी ने कहा कि पिंक बॉल में जो सिलाई है, वो हाथ से की गई है और इससे रिवर्स स्विंग में मदद मिलेगी.
अब तक हुए 11 डे-नाइट टेस्ट में स्पिनर्स को सिर्फ 26 पर्सेंट विकेट मिले हैं और ये थोड़ा परेशानी की बात है. ये जानना भी जरूरी है कि कोलकाता में बाकी डे-नाइट मैचों के मुकाबले ओस का असर थोड़ा पहले दिखना शुरू हो जाएगा. इसके कारण बॉल सॉफ्ट हो जाएगी, जिससे अश्विन और जड़ेजा को बॉल ग्रिप करने में परेशानी होगी.
हालांकि, स्पिनर्स के लिए भी कुछ उम्मीद है- पाकिस्तानी स्पिनर यासिर शाह और वेस्टइंडीज के स्पिनर देवेंद्र बिशू ने कुछ असर डाला है. बल्कि बिशू ने तो पाकिस्तान के खिलाफ एक पारी में 49 रन देकर 8 विकेट लिए थे और ये डे-नाइट टेस्ट में रिकॉर्ड है.
शमी ने साहा बोल चुके हैं कि मैच में हर दिन का दूसरा सेशन सबसे अहम होगा. शमी ने कहा था- “बल्लेबाजों के लिए मैच के दौरान दूसरा सेशन बिल्कुल वैसा होगा, जैसे बाकी टेस्ट मैच में पहला सेशन होता है, क्योंकि गेंद इस वक्त ज्यादा स्विंग होती है.”
साहा ने जो बात कही है वो तो विकेटकीपर और स्लिप फील्डर्स को परेशान करने वाली है. साहा ने कहा- “बॉल पर अतिरिक्त लैकर होने के कारण ये हवा में ज्यादा लहराएगी और जब शाम के वक्त जब रोशनी में बदलाव होगा तो इस तरह की बॉल को पकड़ने में कीपर और स्लिप के फील्डर्स को ज्यादा परेशानी होगी.”
दोनों टीमों के लिए ये नया अनुभव है. अलग परिस्थितियों के बावजूद भारतीय टीम बांग्लादेश के मुकाबले काफी मजबूत है और ये तय ही है कि टीम इंडिया इस मैच में भी दबदबा बनाए रखेगी. अभ पिंक बॉल और डे-नाइट टेस्ट की परिस्थितियां कैसा बर्ताव करेंगी, ये 22 नवंबर से ही पता चलेगा.
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