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अंग्रेजी में एक इडियम है 'होपिंग अगेंस्ट होप'... 7 नवंबर को अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के मैच से पहले भारत के लिए जो माहौल बना उसमें यही इडियम फिट बैठता है
भारतीय टीम (Indian Team ) समेत तमाम भारतीय फैंस को उम्मीद थी या यूं कहें तमन्ना थी कि अफगानिस्तान न्यूजीलैंड को हरा देगा और भारत के लिए सेमीफाइनल के दरवाजे खुले रहेंगे. लेकिन भारत के इस होप में कोई स्कोप नहीं था. लिहाजा अफगानिस्तान की हार के साथ भारत सेमीफाइनल की रेस से बाहर हो गया .
भारत के इस हाल में पहुंचने के कई कारण हैं लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा आईपीएल की है तो बात आईपीएल की करते हैं. नामीबिया के खिलाफ आखिरी मैच के बाद रवि शास्त्री ने भी माना कि आईपीएल और T20 वर्ल्ड कप के बीच में थोड़ा और समय होना चाहिए था. आईपीएल के सेकंड हाफ के आयोजन के चक्कर में वर्ल्ड कप जैसे टूर्नामेंट की अनदेखी की गई.
लेकिन यहां सवाल रवि शास्त्री से भी पूछा जाना चाहिए कि जब आपको पता था कि दोनों टूर्नामेंट के बीच खिलाड़ियों को समय की जरूरत है तो बतौर कोच आपने समय रहते एक भी शब्द क्यों नहीं बोला ?
इसके बाद अब बात मेंटोर की करते हैं.. बीसीसीआई ने एक अहम फैसला लेते हुए T20 वर्ल्ड कप के लिए महेंद्र सिंह धोनी को मेंटोर नियुक्त किया. बीसीसीआई की नीयत भले साफ हो लेकिन इस नियुक्ति ने टीम मैनेजमेंट के अंदर एक नया पावर सेंटर क्रिएट कर दिया. कोच रवि शास्त्री, मेंटोर महेंद्र सिंह धोनी और कप्तान विराट कोहली की खिचड़ी पर भी ऊंगलियां उठ रही हैं.
पाकिस्तान के खिलाफ पहले मुकाबले में 10 विकेट की हार को शायद ही भारत कभी भुला पाएगा. लेकिन भारत को भूलने की नहीं बल्कि इस मुकाबले से सीख लेकर अगले मैच में उतरने की जरूरत थी.
बल्लेबाजों से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद तो थी लेकिन शुरुआती दोनों मैच में सिर्फ उम्मीद बनकर रह गई. भारत के नए नवेले टी 20 कप्तान रोहित शर्मा का जिक्र यहां जरूरी है. पाकिस्तान और न्यूजीलैंड को तो छोड़ दीजिए नामीबिया जैसी टीम के खिलाफ भी रोहित ने शुरुआती तीन ओवर में खुद के आउट होने के 3 मौके दिए.
हार्दिक पंड्या जैसे खिलाड़ियों के चोटिल होने की समस्या ने भी भारत को बड़ा नुकसान पहुंचाया है. हार्दिक पांड्या के साथ चोट की चिंता कभी न खत्म होने वाले डेली सोप ओपेरा की तरह है. क्या फिटनेस के मुद्दों पर कॉल लेने के लिए भारत के पास कोई सिस्टम है? कौन ले रहा है जिम्मेदारी? हमें कभी पता नहीं चलेगा.
टीम मैनेजमेंट के उतावलेपन ने भी भारत को कहीं ना कहीं इस टूर्नामेंट में प्रभावित किया है. टूर्नामेंट शुरू होने से पहले विराट कोहली का टी20 की कप्तानी छोड़ने का ऐलान हो या टूर्नामेंट के बीच में राहुल द्रविड़ का नाम नए कोच के रूप में घोषित कर देना.
टीम के ऊपर इसका डायरेक्ट प्रभाव पड़ता भले ना दिखे लेकिन क्या यह संभव नहीं है कि विराट कोहली जब भी मैदान पर होंगे तो उनके जहन में बतौर कप्तान आखिरी T20 टूर्नामेंट खेलने का दबाव होगा. कम से कम टूर्नामेंट खत्म होने तक तो इंतजार किया जा सकता था.
इनमें से कौन से कारण कितने प्रभावी रहे इसका कोई आंकड़ा कभी उपलब्ध नहीं हो सकता लेकिन इनसे सीख लेकर ही भारत को अगले 2 साल में दो वर्ल्ड कप खेलने हैं.
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