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असली इंडियन प्रीमियर लीग अब शुरू होने वाला है. हैरान मत होइए. कहानी के पेंच को समझिए. इंडियन प्रीमियर लीग जब शुरू हुआ था तो इसके तमाम मकसदों में एक बड़ा मकसद ये बताया गया था कि इसके जरिए घरेलू खिलाड़ियों को मौका मिलेगा.
ये कहना गलत होगा कि बीसीसीआई इस मकसद में पूरी तरह नाकाम रहा क्योंकि कई खिलाड़ी आईपीएल की वजह से ही चर्चा में आए. लेकिन कड़वा सच ये भी है कि जैसे-जैसे लीग आगे बढ़ी टीम मालिकों का ध्यान इस दिशा में कम ही रहा. ज्यादातर फ्रेंचाईजी का जोर इस बात पर रहने लगा कि बड़े से बड़े अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों को टीम से जोड़ा जाए. घरेलू क्रिकेटर्स पिछड़ते चले गए.
कुछ ऐसे खिलाड़ियों पर भी फ्रेंचाईजी की नजर नहीं गई जो टीम इंडिया के लिए खेलते हैं. अब हफ्ते भर बाद ये तस्वीर बदलेगी. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि 2019 वर्ल्ड कप के मद्देनजर वो सभी विदेशी खिलाड़ी अपने-अपने देश वापस लौट जाएंगे जिन्हें वर्ल्ड कप के लिए टीम में चुना गया है. ले-देकर वही विदेशी खिलाड़ी आईपीएल में दिखेंगे जो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं. इस बात का दूसरा मतलब है कि उन घरेलू खिलाड़ियों को ज्यादा मौका मिलेगा जो अब तक सिर्फ डगआउट में बैठे थे. इंडियन प्रीमियर लीग में ‘इंडियन एलीमेंट’ तब ज्यादा दिखाई देगा.
पाकिस्तान को छोड़कर सभी टीमों के खिलाड़ी इंडियन प्रीमियर लीग का हिस्सा हैं. ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड जैसी टीमों के कई खिलाड़ी इंडियन प्रीमियर लीग में अलग अलग टीमों का हिस्सा हैं. जिन्हें अब एक हफ्ते बाद अपनी अपनी टीमों के साथ वापस जुड़ना होगा. 1 मई के आस पास सभी टीमों का कैंप वर्ल्ड कप के लिए शुरू हो जाएगा. आपको बताते हैं कि किस टीम के किस खिलाड़ी को वापस लौटना है.
अब इन खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर बात कर लेते हैं. जिससे ये समझ आएगा कि इनकी वापसी का इनकी फ्रेंचाईजी पर क्या असर पड़ेगा.
आंकड़े बताते हैं कि हैदराबाद और दिल्ली की टीम को विदेशी खिलाड़ियों के जाने से बड़ा असर पड़ने वाला है. क्योंकि लीग में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले और सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी इन्हीं टीमों से हैं. अंग्रेजी की कहावत है ‘ब्लेसिंग इन डिसगायज’. इन खिलाड़ियों के जाने के बाद जिन खिलाड़ियों को प्लेइंग 11 में जगह मिलेगी उनके ऊपर यही कहावत लागू होती है.
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