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श्रीलंका के कैंडी में ICC वर्ल्ड कप (Indian Squad For World Cup) के लिए भारतीय टीम की घोषणा की गई, लेकिन जब पहले से गोपनीयता ही न हो तो घोषणा का क्या मजा.
जब मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर ने टीम का ऐलान किया तो हर कोई जानता था कि यही 15 खिलाड़ी होंगे, जिन्हें चयनकर्ता चुनने वाले हैं. अगर आप पिछले कुछ समय से भारतीय क्रिकेट को फॉलो कर रहे हैं तो यही स्कॉड था जिसे हर कोई चुनता.
ये भारत की फिलहाल बेस्ट टीम है जिसमें सभी पहलुओं को शामिल किया गया है. भारत के लिए 2011 वर्ल्ड कप की जीत को दोहराने का सबसे अच्छा मौका यही टीम दे सकती है. हालांकि, यहां तक पहुंचने के लिए भारत को कई मुश्किलों से गुजरना पड़ा.
इन तीनों में से अय्यर और बुमराह ने एशिया कप के साथ टीम में वापसी कर ली, लेकिन राहुल के बारे में अभी भी हर कोई आश्वस्त नहीं है. टीम मैनेजमेंट पूरी तरह से राहुल के साथ है, इसलिए भी क्योंकि वो ODI क्रिकेट में विकेटकीपर के तौर पर भारतीय टीम की पहली पसंद हैं. जनवरी 2020 में राहुल ने व्हाइट बॉल क्रिकेट में टीम के लिए कीपिंग करना शुरू किया, तभी से कहानी शुरू हो गई.
ये भी संयोग से हुआ क्योंकि उस समय के नियमित विकल्प ऋषभ पंत चोटिल हो गए और राहुल उनकी जगह लेने के लिए आगे आए. इसके बाद से जब भी भारतीय टीम व्हाइट बॉल क्रिकेट खेली, केएल राहुल विकेटकीपिंग के लिए पहली पसंद रहे. इसके बाद 2020-21 के ऐतिहासिक ऑस्ट्रेलिया दौरे पर राहुल चोटिल हो गए और पंत ने फिर से कीपिंग शुरू कर दी.
लेकिन कुछ समय तक पंत और राहुल दोनों व्हाइट बॉल क्रिकेट में अपनी स्थायी जगह तलाशते रहे. इसी बीच T20 विश्व कप 2022 तक दिनेश कार्तिक की भी एंट्री हो गई. इसके बाद पंत एक भीषण कार हादसे की चपेट में आ गए और कुछ समय बाद राहुल भी चोटिल हो गए.
विकेटकीपिंग में खाली जगह का मौका ईशान किशन के हाथ लगा. झारखंड में जन्में इस खिलाड़ी ने दोनों हाथों से इस मौके को लपका और बांग्लादेश में दोहरा शतक जड़ दिया. इन छोटे-छोटे मौकों के बीच एक युवा खिलाड़ी हर बार जरूरत के समय टीम में आ रहा था- संजू सैमसन.
आदर्श रूप से, सैमसन को तब बल्लेबाज और कीपर की दौड़ में होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उनके वो रन और प्रदर्शन गिने ही नहीं गए, क्योंकि जब उन्होंने परफॉर्म किया तो बड़े खिलाड़ी टीम के साथ नहीं थे.
अब ODI कीपर के प्रमुख दावेदार ईशान किशन थे. टीम में आने से लेकर जगह भरने तक किशन ने शानदार प्रदर्शन किया और इस रोल के लिए प्रमुख दावेदार बन गए. इसी बीच सैमसन कुछ समय के लिए चोटिल हो गए और किशन के लिए राह और आसान हो गई.
किसी न किसी तरह राहुल टीम मैनेजमेंट के लिए महत्वपूर्ण बने रहे. पिछले 5 महीनों से भारतीय क्रिकेट और बेंगलुरू स्थित नेशनल क्रिकेट एकेडमी में हर कोई उन्हें फिर से मैदान पर लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है. उन्होंने कई प्रैक्टिस मैच खेले, नेट्स में पसीना बहाया और कई टेस्ट्स से गुजरे.
अब राहुल को फिट घोषित कर दिया है और वे चुप-चाप प्लेइंग 11 में आ गए हैं. पिछले कुछ सालों से भारतीय क्रिकेट में किसी भी नाम पर लोगों की इतनी बंटी हुई राय नहीं देखी गई, जितनी राहुल को लेकर है.
सबसे पहले टेस्ट क्रिकेट में उनके नाम को लेकर विवाद हुआ और अब अंत में वे इस साल की शुरुआत में टेस्ट से ड्रॉप हो गए. पिछले साल वो बांग्लादेश और साउथ अफ्रीका में भारत के स्टैंड-इन टेस्ट कप्तान थे, लेकिन अपने ही फॉर्म को लेकर परेशान रहे.
इसके बाद T20 वर्ल्ड कप 2022 में वे धीमा खेलने को लेकर वे निशाने पर आए. इसके बाद उनके हाथ से ये जगह भी निकल गई. T20 में भारत के संभावित कप्तान के रूप में देखे जा रहे राहुल की इस फॉर्मेट से ही विदाई हो गई.
ODI क्रिकेट ही एकमात्र जगह है जहां राहुल अपने प्रदर्शन के दम पर मौका पाने के दावेदार थे, लेकिन जब लगा कि वो ODI में अपनी छाप छोड़ रहे हैं, तभी चोटिल हो गए और दावेदारी के इस क्रम में नीचे आना पड़ा.
बल्ले से प्रदर्शन और दस्तानों के साथ अहम भूमिका निभाने के कारण ही भारतीय मैनेजमेंट उनका समर्थन कर रहा है. मैनेजमेंट ने चोटिल होने के बाद से ही उनका समर्थन किया है और अब जल्द से जल्द उन्हें टीम में वापस देखना चाहते हैं.
पिछले 2 सालों में भारतीय क्रिकेट में सारी चीजों के लिए उन्हें ही दोष दिया गया है और अगर चीजें ठीक नहीं रहती हैं तो आने वाले 2 महीनों में वे और ज्यादा मुश्किल में दिखाई दे सकते हैं.
ये कुछ महीने कप्तान रोहित शर्मा, मुख्य कोच राहुल द्रविड़ और राहुल की विरासत भी तय करेंगे. वे कप्तानी की रेस से बाहर हो गए हैं और उन्हें उप-कप्तान के पद से भी हटा दिया गया है. वह अब आम खिलाड़ियों में से एक हैं, इसलिए राहुल पर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव बहुत ज्यादा है.
भारत जानता है कि उन्होंने राहुल के साथ 'जुआ' खेला है और वे फिटनेस के मामले में हाल की गलतियों को दोहराने का जोखिम नहीं उठा सकते. राहुल आश्वस्त दिख रहे हैं.
हालांकि भारत के पास वर्ल्ड कप स्कॉड में बदलाव करने के लिए 28 सितंबर तक का समय है, तब तक राहुल को टेस्ट करने लिए 5-6 मुकाबले भी हैं.
लेकिन क्रिकेट विश्व कप में चयन को लेकर भारतीय खेमे में भ्रम की स्थिति न हो तो इसका क्या मतलब? भारतीय क्रिकेट में 1990 के दशक से ही यह चलन रहा है और भूमिकाओं में स्पष्टता की कमी के कारण यह जारी रहेगा.
'इंडियन' क्रिकेट जिंदाबाद! या फिर 'भारतीय' क्रिकेट? हमें जल्द ही पता चल जाएगा.
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