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आईसीसी अंडर-19 वर्ल्ड कप में भारत के बेहतरीन प्रदर्शन के सबसे बड़े कारणों में से एक रहे रवि बिश्नोई. भारत भले ही फाइनल में खिताब से चूक गया, लेकिन दाएं हाथ के इस लेग स्पिनर ने टूर्नामेंट के पहले मैच से ही अपनी लेग ब्रेक और गुगली का जलवा दिखाना शुरू किया और फाइनल में भी उसका असर दिखाया.
बैटिंग में जो कमाल यशस्वी ने किया, वही कमाल बॉलिंग में बिश्नोई ने किया. फाइनल में बांग्लादेश के खिलाफ मैच जिताऊ गेंदबाजी के साथ ही बिश्नोई टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बने.
फाइनल में छोटा स्कोर खड़ा करने के बाद भारतीय टीम पहले से ही दबाव में थी. उस पर बांग्लादेश की ओपनिंग जोड़ी ने बेहतरीन शुरुआत की. ऐसे में भारत को मैच में वापसी के लिए एक विकेट की सख्त जरूरत थी.
कप्तान प्रियम गर्ग ने अपने सबसे खतरनाक हथियार रवि बिश्नोई को याद किया. बिश्नोई की शुरुआत अच्छी नहीं रही और दूसरी ही गेंद पर तंजीद हसन ने बेहतरीन छक्का जड़ दिया. अब यही बिश्नोई की खासियत रही है कि वो आसानी से नहीं झुकते.
फाइनल में जब तक बिश्नोई के ओवर बचे थे, मैच भारत के पक्ष में था. अपने 10 ओवर में बिश्नोई ने सिर्फ 30 रन देकर 4 विकेट लिए.
कुछ यही हाल पूरे वर्ल्ड कप में रहा. जब भी भारत को विकेट की जरूरत थी, बिश्नोनई ने कमाल किया. जापान जैसी छोटी टीम के खिलाफ सिर्फ 5 रन पर 4 विकेट लेना हो या न्यूजीलैंड के खिलाफ 4 विकेट लेना, बिश्नोई ने हर बार टीम के लिए कमाल किया.
बिश्नोई की गुगली ने खासतौर पर सबसे ज्यादा प्रभावित किया. बिश्नोई ने अपने इस खास हथियार का अक्सर इस्तेमाल किया और विरोधी टीम के बल्लेबाज इसमें फंसते रहे.
बिश्नोई एक वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे भारतीय गेंदबाज हैं. उनसे पहले 2018 के वर्ल्ड कप में अनुकूल रॉय संयुक्त रूप से सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे. अनुकूल ने 14 विकेट लिए थे.
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