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सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सुनील गावस्कर, विराट कोहली और वीरेंद्र सहवाग जैसे दिग्गज बल्लेबाजों के नाम भारत के लिए विदेशी जमीं पर सबसे ज्यादा शतक बनाने का रिकॉर्ड है. इन सभी ने अपने करियर का पहला टेस्ट शतक विदेश में ही बनाया. आलम ये कि सौरव गांगुली और यहां तक प्रवीण आमरे जैसे बल्लेबाज ने भी अपने पहले टेस्ट में ही विदेश में शतक ठोक डाले. लेकिन रोहित शर्मा (Rohit Sharma) जैसे बेहद प्रतिभाशाली बल्लेबाज को ऐसा करने के लिए 43 टेस्ट मैच तक का इंतजार करना पड़ गया. कृष्णामाचारी श्रीकांत और युवराज सिंह जैसे बल्लेबाजों को तो करियर में 43 टेस्ट खेलने तक को नहीं मिले जिससे लंबा इंतजार रोहित को अपने पहले विदेशी शतक के लिए करना पड़ा.
लेकिन, इसके बावजूद ओवल टेस्ट की दूसरी पारी में रोहित ने 94 से 100 तक पहुंचने के लिए हवाई यात्रा करने की ठानी तो इसमें चौंकाने वाला कुछ भी नहीं था. क्योंकि इसी बिंदास रवैये ने तो रोहित को हिटमैन बनाया है. अगर कोई दूसरा बल्लेबाज इतनी आलोचना से गुजरता और उसे पता हो कि उसकी साख और विरासत विदेश में एक टेस्ट शतक पर कितना निर्भर करती है, कभी ऐसे जोखिम नहीं लेता.
लेकिन, रोहित बाकी के मुंबई खिलाड़ियों से जुदा हैं. वो अपने रिकॉर्ड की बजाए अपने खेल से दर्शकों को आनंदित करने की हसरत ऊपर रखते हैं, और टीम को जिताना सबसे अहम मुद्दा उनके लिए होता है.
टीवी स्टूडियो में बैठे मुंबई क्रिकेट के पूर्व खिलाड़ी सुनील गावस्कर, संजय मांजरेकर अपने शहर के रोहित की तारीफ में कसीदे गढ़ने में जरा भी उकता नहीं रहे थे. लेकिन, बात सिर्फ मुंबईया खिलाड़ियों के पक्षपात रवैये की नहीं है. दरअसल, रोहित का खेल ऐसा है कि उन्होंने इंग्लैंड के भी दिग्गज समीक्षकों को भी अपना अंध-भक्त बनाए रखा है. तभी तो 26 जनवरी 2018 को इंग्लैंड के एक पूर्व कप्तान नासिर हुसैन ने अपने टिव्टर एंकाउट पर जो लिखा उसे दोबारा इस साल के शुरुआत में रिट्वीज भी किया.
हुसैन सोशल मीडिया में पलटकर जवाब नहीं देते हैं लेकिन रोहित के लिए उन्होंने फिर से लिखा,
इस साल इंग्लैंड के लिए रवाना होने से पहले रोहित का औसत करीब 47 का था जो अजिंक्य रहाणे से बेहतर और चेतेश्वर पुजारा के करीब था. लेकिन, इसके बावजूद रोहित को लाल गेंद की क्रिकेट में कोहली तो दूर की बात उन्हें रहाणे और पुजारा के करीब वाला टेस्ट खिलाड़ी नहीं माना जाता था. आखिर क्यों? इसकी वजह थी भारत में 18 टेस्ट में उनका करीब 80 का औसत हैं और इसमें 7 शतक भी शामिल हैं. लेकिन विदेश में खेले गए 20 टेस्ट में रोहित का औसत महज 27 का था जो उन्हें किसी भी प्लेइंग इलेवन में शामिल होने के लिए काफी नहीं होता.
पिछले साल ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जब कई सीनियर खिलाड़ी चोटिल होकर वापस लौट गए तो रोहित के पास खुद को साबित करने का एक सुनहरा मौका था लेकिन, उस दौरे पर भी अनुभवी रहाणे और पुजारा के साथ-साथ युवा शुभमन गिल और रिषभ पंत सुर्खियों में रहे. लेकिन जून के महीने में न्यूजीलैंड के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल से रोहित ओपनर के तौर पर बेहद दृढ़ दिखे और लगातार अच्छा खेलने के बावजूद इंग्लैंड के खिलाफ उन्हें 4 मैचों तक का इंतजार करना पड़ा जिससे वो शतक का मुंह देख पाते. देर से सही लेकिन इंग्लैंड में एक दुरुस्त शतक के साथ रोहित ने दिखाया है कि वो अब भी उस रोहित शर्मा को ढूंढ सकते हैं जिसमें एक महान टेस्ट बल्लेबाज देखने की भविष्याणी हर किसी ने डेढ़ दशक पहले ही कर दी थी.
(लेखक स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट हैं, जिनके पास 20 साल से अधिक समय तक क्रिकेट को कवर करने का अनुभव है. वे सचिन तेंदुलकर के जीवन और करियर से जुड़ी पुस्तक ‘क्रिकेटर ऑफ द सेंचुरी’ के लेखक हैं.)
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