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साउथ अफ्रीका सीरीज है टीम इंडिया के दिग्गजों के करियर का ‘टेस्ट’

भारत और साउथ अफ्रीका के बीच 2 अक्टूबर से टेस्ट सीरीज का आगाज होगा

सुमित सुन्द्रियाल
क्रिकेट
Published:
ऋषभ पंत, अश्विन और रोहित शर्मा के लिए ये सीरीज एक बड़ा टेस्ट साबित होगी
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ऋषभ पंत, अश्विन और रोहित शर्मा के लिए ये सीरीज एक बड़ा टेस्ट साबित होगी
(फोटोः क्विंट हिंदी/अरूप मिश्रा)

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साउथ अफ्रीका के खिलाफ 2 अक्टूबर से फ्रीडम सीरीज के लिए भारतीय टीम तैयार है. टी-20 सीरीज 1-1 से बराबरी पर खत्म होने के बाद अब नजरें इस टेस्ट सीरीज पर है. ये सीरीज भी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का हिस्सा है.

भारतीय टीम ने हाल ही में वेस्टइंडीज के खिलाफ 2 मैच की सीरीज में 2-0 से क्लीन स्वीप किया था. इसके साथ ही टेस्ट चैंपियनशिप में भारत की शानदार शुरुआत हुई.

कुछ भारतीय खिलाड़ियों के लिए अहम सीरीज

साउथ अफ्रीका ने अभी तक टेस्ट चैंपियनशिप के तहत एक भी टेस्ट नहीं खेला है. अफ्रीकी टीम वर्ल्ड कप के बाद पहली बार भारत के खिलाफ ही टी-20 सीरीज के लिए मैदान में उतरी.

दूसरी तरफ भारतीय टीम ने इस साल टेस्ट क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन किया है. ऑस्ट्रेलिया में पहली टेस्ट सीरीज जीत से लेकर वेस्टइंडीज में लगातार चौथी सीरीज जीत तक टीम इंडिया टेस्ट में प्रभावित कर चुकी है और इसलिए इस फॉर्मेट में नंबर वन टीम भी है.

इसके बावजूद टीम इंडिया के कुछ खिलाड़ियों के लिए ये सीरीज बेहद अहम है. इन खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर टीम मैनेजमेंट, विशेषज्ञ और फैंस की बारीक नजर रहेगी. इस सीरीज का प्रदर्शन इन खिलाड़ियों के टेस्ट करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है.

रोहित शर्मा

वनडे और टी-20 क्रिकेट के सुपरस्टार रोहित शर्मा को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 12 साल हो चुके हैं. 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप से डेब्यू करने वाले रोहित को टेस्ट क्रिकेट के लिए 2013 तक इंतजार करना पड़ा.

वेस्टइंडीज के खिलाफ लगातार 2 शतक लगातार धमाकेदार शुरुआत करने के बावजूद भी वो टीम में अपनी जगह अब तक पक्की नहीं कर सके हैं.

हालांकि टीम इंडिया रोहित शर्मा की मौजूदा वनडे फॉर्म का फायदा उठाने की कोशिश में है और इसलिए उनके लिए टेस्ट टीम में जगह बनाने की कोशिश की जाती रही है. गौतम गंभीर, सौरव गांगुली, जहीर खान जैसे पूर्व क्रिकेटर भी रोहित को टीम में शामिल किए जाने की वकालत कर चुके हैं.
रोहित शर्मा के लिए (फोटोः PTI)

केएल राहुल की खराब फॉर्म ने उनके लिए वो रास्ता भी खोल दिया. साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज के लिए रोहित का टीम का ओपनर बनाया गया है. रोहित को ओपनर बनाए जाने के पीछे धारणा है कि वो वनडे और टी-20 में सफल ओपनर साबित हुए हैं.

रोहित ने अभी तक 27 टेस्ट की 47 पारियों में 39 के औसत से 1585 रन बनाए हैं. इसमें 3 शतक भी हैं. अब खास बात ये है कि रोहित ने ज्यादातर रन घरेलू जमीन पर ही बनाए हैं. इसलिए विदेशों में उनकी नाकामी के कारण टेस्ट करियर तेजी से आगे नहीं बढ़ पाया.

इसलिए रोहित के लिए ये सीरीज बेहद अहम है. सीरीज भारतीय जमीन पर ही हो रही है. रोहित का प्रदर्शन उनके टेस्ट करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है.

हालांकि इतना तय है कि इस सीरीज में नाकामी के बावजूद उन्हें कम से कम एक सीरीज में मौका मिलना तय है. लेकिन रोहित जैसा खिलाड़ी अगली सीरीज तक इंतजार नहीं करना चाहेंगे.

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ऋषभ पंत

रोहित शर्मा के बाद सबसे ज्यादा नजर अगर किसी खिलाड़ी पर रहेगी तो वो हैं विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत. अपने छोटे से ही करियर में पंत ने अपने प्रदर्शन से सुर्खियां बटोरी हैं. हालांकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के मद्देनजर ज्यादातर चर्चा खराब प्रदर्शन की ही होती रही है.

पिछले कुछ वक्त में उन पर उंगलियां ज्यादा उठने लगी हैं. उसका कारण उनका लगातार फेलियर है. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट शतक लगाने वाले इकलौते भारतीय विकेटकीपर बने पंत ने ज्यादातर मौकों पर निराश ही किया है.

पंत के मामले में बात सिर्फ रन न बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि क्रीज पर उनके रवैये को लेकर है. टेस्ट, वनडे और टी-20, तीनों ही फॉर्मेट में वो एक ही अंदाज में बैटिंग करने की कोशिश करते हैं और आउट भी उसी तरह होते हैं. यानी खराब शॉट खेलकर.
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट शतक लगा चुके ऋषभ पंत के लिए पिछले मैच अच्छे नहीं गुजरे हैं(फोटोः AP)

पंत का करियर सिर्फ 11 टेस्ट पुराना है. इस दौरान उनके नाम 754 रन हैं और औसत भी 44 से ऊपर है, जो सातवें नंबर के बल्लेबाज के लिहाज से अच्छा है.

लेकिन टेस्ट से लेकर टी-20 तक उनकी गैर-जिम्मेदाराना बल्लेबाजी उनके करियर को प्रभावित कर सकती है.

वेस्टइंडीज दौरे से लेकर साउथ अफ्रीका के खिलाफ टी-20 सीरीज में उनकी नाकामी के बाद ये आशंका भी है कि टेस्ट सीरीज के लिए उन्हें प्लेइंग इलेवन में शामिल ही न किया जाए. ये पंत के लिए बड़ा झटका और सबक भी होगा.

फिर भी अगर पंत को मौका मिलता है, तो खुद को साबित करने के लिए मौजूदा हालात में ये उनकी आखिरी सीरीज होगी.

ऋद्धिमान साहा

अगर किसी एक खिलाड़ी के लिए ये सीरीज सबसे जरूरी है, तो वो हैं ऋद्धिमान साहा. धोनी के संन्यास के बाद ही साहा ने टेस्ट टीम में अपनी जगह पक्की की. तकनीकी रूप से सॉलिड विकेटकीपर और एक भरोसमंद बल्लेबाज.

साहा के बल्लेबाजी आंकड़े बहुत अच्छी तस्वीर पेश नहीं करते, लेकिन वो एक ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने टीम की जरूरत के मुताबिक अपने प्रदर्शन को ढ़ाला.

साहा ने 32 टेस्ट के अपने करियर में सिर्फ 1164 रन बनाए हैं, लेकिन ध्यान रखने वाली बात ये है कि ज्यादातर मौकों पर उन्होंने सातवें या आठवें नंबर पर ही बल्लेबाजी की और पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ जरूरी पार्टनरशिप की.
साहा अपने प्रदर्शन के कारण नहीं बल्कि चोट के कारण टीम से बाहर हुए इसलिए उन्हें एक मौका और दिया गया है.(फोटोः Reuters)
साहा जब टीम से बाहर हुए भी तो अपने प्रदर्शन की वजह से नहीं बल्कि चोट के कारण. इसके चलते ही पंत को टीम में मौका मिला, जो शुरुआत में उन्होंने भुनाया भी. इसके बावजूद साहा को चयनकर्ताओं ने एक और मौका दिया.

हालांकि वेस्टइंडीज में वो प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं बना पाए, लेकिन पंत का हालिया खराब प्रदर्शन साहा के लिए एक बड़ा मौका हो सकता है. इसकी संभावना प्रबल है कि उन्हें एक मौका दिया जाएगा.

24 अक्टूबर को साहा 35 साल के हो जाएंगे. ऐसे में उनके करियर आगे कितना चल पाएगा, वो इस सीरीज में उनके चयन और फिर प्रदर्शन पर निर्भर करेगा.

रविचंद्रन अश्विन

अश्विन जैसे क्वालिटी गेंदबाज को इस कैटेगरी में रखना पहली बार में सही नहीं लगता. उसके कई कारण हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण ये है कि वो टेस्ट क्रिकेट में भारत के सबसे बेहतरीन स्पिनरों में से हैं. साथ ही वो एक अच्छे बल्लेबाज भी हैं.

फिर भी अश्विन पर चर्चा इसलिए जरूरी है, क्योंकि टीम इंडिया में युवा स्पिनर कुलदीप यादव ने अपने लिए जगह बनाई है. इसका ही नतीजा रहा कि अश्विन को टेस्ट टीम में जगह बनाने के लिए कंपटीशन करना पड़ रहा है.

जिस मैच में भी टीम इंडिया 3 तेज गेंदबाजों के साथ गई है, वहां टीम ने ज्यादातर एक ही स्पिनर को उतारा है. यहां पर ज्यादातर रविंद्र जडेजा को प्राथमिकता मिली है. खास बात ये है कि ज्यादातर विदेशी जमीन पर हुए मैचों में ही ये हुआ है.
घरेलू पिचों पर अश्विन जैसा कोई दूसरा स्पिनर भारत के पास नहीं है, इसलिए वो टीम में वापसी के लिए तैयार होंगे(फोटोः Reuters)

हाल ही में वेस्टइंडीज के खिलाफ हुई सीरीज में भी जडेजा को ही अश्विन पर प्राथमिकता दी गई. इसका एक कारण है विदेशी जमीन पर अश्विन का प्रदर्शन.

भारत और उपमहाद्वीप की स्पिन की मददगार पिचों पर अश्विन से बेहतर स्पिनर कोई दूसरा नहीं रहा है, लेकिन यहां से बाहर उनका प्रदर्शन बेहद औसत रहा है. उपमहाद्वीप से बाहर की पिचों पर अश्विन ने 19 टेस्ट में सिर्फ 65 विकेट लिए हैं.

ऐसे में अश्विन के लिए ये सीरीज बेहद जरूरी है क्योंकि भारतीय पिचों पर भी अगर उनकी ये सीरीज खराब या औसत रहती है, तो टीम में उनके लिए जगह बनाना मुश्किल हो जाएगा.

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