Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Sports Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Cricket Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019विराट कोहली के पास ICC ट्रॉफी नहीं तो क्या! उन्हें 'पनौती' कहना जायज नहीं...

विराट कोहली के पास ICC ट्रॉफी नहीं तो क्या! उन्हें 'पनौती' कहना जायज नहीं...

T20 WC: सोशल मीडिया पर ट्रोल्स देखने के बाद आपको भ्रम हो सकता है कि कोहली नाकाम कप्तान रहे लेकिन ऐसा नहीं है.

विमल कुमार
क्रिकेट
Updated:
<div class="paragraphs"><p>विराट कोहली</p></div>
i

विराट कोहली

BCCI

advertisement

तो आखिरकार T20 में विराट कोहली (Virat Kohli) की कप्तानी का अंत मायूस तरीके से हो गया.

अगर किसी एक शख्स को इस दौर से सबसे ज्यादा निराशा हुई होगी तो वो खुद कोहली ही होंगे क्योंकि आप कोहली की भले ही लाख आलोचना कर लें लेकिन इस बात को झुठला नहीं सकते हैं कि भारत के लिए हर फॉर्मेट में हर वक्त, हर मैच जीतने के उनके जुनून की बराबरी कोई नहीं कर सकता है.

ये ठीक है कि क्रिकेट मैच सिर्फ जुनून और अच्छे खिलाड़ियों के बूते नहीं जीते जा सकते हैं और एक शानदार कप्तान काफी निर्णायक भूमिका निभाता है.

तो क्या कोहली पूरी तरह से नाकाम कप्तान रहे हैं जैसा कि अभी सोशल मीडिया में ट्रोल्स की प्रतिक्रिया को देखने के बाद आपको भ्रम हो सकता है.

"सबसे बड़ा चैंपियन क्रिकेट है कोई खिलाड़ी नहीं"

ये सच है कि कोहली जैसे खिलाड़ी थे और जिस तरह के संसाधन उनके पास मौजूद थे उस लिहाज से कम से कम 2-4 नहीं तो निश्चित तौर पर एक ग्लोबल ट्रॉफी जीतनी बनती थी.

लेकिन, यही तो खेल है, यही तो किस्मत है. आप चाहे कितना कुछ कर लें, कई मौके पर क्रिकेट आपको ये आभास दिलाने से नहीं चूकता है कि सर्वेसर्वा और चैंपियन दरअसल वो है कोई खिलाड़ी नहीं. तभी तो दुनिया के इतिहास में दूसरे सबसे कामयाब वन-डे कप्तान (मैच फीसदी जीतने के लिहाज से) हैंसी क्रोन्ये कम से कम एक बार साउथ अफ्रीका को किसी भी टूर्नामेंट के फाइनल में तो ले जा सकते थे.

इंग्लैंड के आधुनिक इतिहास में सबसे काबिल कप्तान माने जाने वाले नासिर हुसैन को एक एशेज सीरीज में जीत तो मिलती या फिर कोई एक वन-डे ट्रॉफी उनके नाम होती. बावजूद इसके इन खिलाड़ियों का सम्मान किसी तरह से कम नहीं हुआ है और जब इतिहास कोहली की कप्तानी का आकलन करेगा तो उसे भी सोचना होगा.

विराट कोहली को जरा ऐसे देखिए 

कोहली से ज्यादा टी20 मैच फीसदी के लिहाज से (करीब 65) किसी भारतीय कप्तान ने नहीं जीते. महेंद्र सिंह धोनी ने भी न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका, वेस्टइंडीज, श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया में जाकर टी20 सीरीज नहीं जीती. लेकिन, आम फैंस को इन आंकड़ों से कोई मतलब नहीं क्योंकि कोहली के पास टी20 ट्रॉफी नहीं है.

लेकिन, कितने लोग इस बात को समझेंगे कि ये पहला मौका था जब कोहली को किसी टी20 वर्ल्ड कप में कप्तानी करने का मौका मिला. धोनी की महानता की दलील देने से पहले इस बात पर भी गौर फरमा लें कि 2007 में सिर्फ 1 बार चैंपियन बनवाने वाले कप्तान ने अगले 5 वर्ल्ड कप के दौरान नाकामियां ही झेली.

लेकिन, फैंस के सामने तो वो 2007 वाली तस्वीर ही हमेशा के लिए जेहन में कैद हो गई.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

यही हाल वन-डे क्रिकेट में रहा. कोहली को मौका मिला सिर्फ 2019 के वर्ल्ड कप में जहां वो सेमीफाइनल में चूके. वन-डे क्रिकेट में उनकी टीम के दबदबे को कोई याद नहीं करता है. कुछ ऐसा ही हाल रहा टेस्ट क्रिकेट में जहां पर वो कप्तान के तौर पर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप जीतने में नाकाम रहे.

कोहली की सकारात्मक आलोचना जरूर होनी चाहिए लेकिन कप्तान के तौर पर उन्हें पनौती कहना बिलकुल नाजायज है.

ये बात नहीं भूलनी चाहिए कि अगर भारतीय क्रिकेट में सौरव गांगुली आक्रामकता लेकर आये तो कोहली इस क्वालिटी को एकदम अलग स्तर पर लेकर चले गये. गांगुली ने भी तो कोई वर्ल्ड कप नहीं जीता था लेकिन उनके पीछे तो कोई वैसे नहीं पड़ता है जैसा कि हर कोई कोहली को थर्ड-क्लास कप्तान बनाने की मुहिम में जुटा दिखता है.

कोहली ने अलग फिटनेस कल्चर स्थापित किया

कोहली ने भारतीय क्रिकेट में अपने निजी उदाहरण से फिटनेस का जो कल्चर स्थापित किया उसकी गूंज आने वाले पीढ़ियों के खेल में आपको दिखाई देगी लेकिन क्रिकेट का कोई भी आंकड़ा इसे नहीं दिखा पायेगा.

आखिर, मंसूर अली खां पटौदी को अजीत वाडेकर से भी बड़ा कप्तान क्यों माना जाता है जबकि वाडेकर ने तो इंग्लैंड औऱ वेस्टइंडीज जैसे मुल्कों में पहली बार भारत को ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीत दिलवायी.

कोहली की कप्तानी का एक दौर खत्म हो चुका है. मुमकिन है कि वो अब वन-डे में भी कप्तानी करते नहीं दिखें, हालांकि उनकी दिली हसरत है कि वो 2023 में टीम इंडिया को चैंपियन बनवा सकें.

बीसीसीआई में तो दबी ज़ुबा में ये भी कहा जा रहा है कि टेस्ट क्रिकेट की जिम्मेदारी भी कोहली से अब वापस ले लेनी चाहिए. आने वाले हफ्तों और महीनों में कोहली की कप्तानी को लेकर चयनकर्ता और बोर्ड जो भी फैसले ले, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है उन्होंने भारतीय क्रिकेट के दबदबे के सिलसिले को आगे ही बढ़वाया है पीछे लेकर नहीं गये. तो क्या हुआ उनके पास इस बात को साबित करने के लिए एक ट्रॉफी नहीं है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 09 Nov 2021,10:05 AM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT