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भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली अपने एक निवेश के लेकर ‘हितों के टकराव’ से जुड़े गंभीर सवालों के घेरे में आ सकते हैं. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोहली ने फरवरी 2019 में एक कंपनी में निवेश किया था, जो अभी BCCI की आधिकारिक किट स्पॉन्सर और मर्चेंडाइज पार्टनर है.
17 नवंबर 2020 को BCCI ने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए नए किट स्पॉन्सर और आधिकारिक मर्चेंडाइज के रूप में MPL स्पोर्ट्स के नाम का ऐलान किया था.
3 साल के समझौते के हिस्से के रूप में, सीनियर भारतीय पुरुष, महिला और अंडर-19 टीमें MPL जर्सी पहनेंगी. MPL स्पोर्ट्स को लाइसेंस्ड जर्सी और भारतीय टीम के दूसरे मर्चेंडाइज बेचने का अधिकार मिला हुआ है.
कोहली को जो CCD आवंटित किए गए थे, वो 10 साल के आखिर में इक्विटी शेयर में बदल जाएंगे. एक डिबेंचर के लिए एक इक्विटी शेयर होगा. डाइल्यूशन के बाद, कोहली की कंपनी में 0.051 फीसदी हिस्सेदारी होगी.
जहेद और कोहली का एक और लिंक भी है. एक अन्य फर्म कॉर्नरस्टोन स्पोर्ट एंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड, जिसके डायरेक्टर सहजेद हैं, वो कोहली और अन्य अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों (जिसमें केएल राहुल, ऋषभ पंत, उमेश यादव, रवींद्र जडेजा, कुलदीप यादव और शुभमन गिल शामिल हैं) के कमर्शियल राइट्स मैनेज करती है.
इस मामले में जब सजहेद से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि MPL कनेक्शन को लेकर कुछ भी गलत नहीं है. उन्होंने कहा, ''विराट और कॉर्नरस्टोन जितने चाहें उतने व्यवसायों में निवेश करने के लिए आजाद हैं.''
वहीं, BCCI के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि बोर्ड को इस बात की जानकारी नहीं है कि कोहली और कॉर्नरस्टोन के हित MPL से जुड़े हुए हैं. एक अन्य BCCI सदस्य ने कहा, ''वह (कोहली) भारतीय क्रिकेट में एक प्रभावित करने वाली शख्सियत हैं और इस तरह के इंटर-कनेक्शन अच्छी गवर्नेंस के लिए आदर्श नहीं हैं.''
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