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जिंदगी की तरह ही क्रिकेट का उसूल भी बड़ा सीधा है. जो अपनी गलती से जितनी जल्दी सबक लेता है, वो उतना कामयाब होता है. विराट कोहली पर भी ये बात बिल्कुल सोलह आने खरी उतरती है. वो इस समय दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज हैं. ऐसा नहीं कि विराट कोहली गलती ही नहीं करते. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनके रुतबे की वजह ये है कि वो अपनी गलती तुरंत सुधार लेते हैं.
सिडनी वनडे में वो ऑफ द लेग शॉट खेलते हुए आउट हुए थे. ये उनके पसंदीदा शॉट्स में एक है, लेकिन कंगारुओं ने इस बात को भांप कर सिडनी में विराट कोहली को फंसा लिया था.
इससे पहले मेलबर्न टेस्ट की दूसरी पारी में भी विराट कोहली से यही गलती हुई थी. लिहाजा उन्होंने एडिलेड में एकदम अलग रणनीति के साथ बल्लेबाजी की. उन्होंने इस बात को तय कर लिया कि बल्लेबाजी के दौरान उन्हें क्या नहीं करना है. नतीजा ये हुआ कि उन्होंने एक शानदार शतक लगाया. इस शतक की बदौलत भारतीय टीम ने दूसरे वनडे में ऑस्ट्रेलिया को 6 विकेट से हराया. वनडे सीरीज अब 1-1 से बराबरी पर है.
सीरीज में हार जीत का फैसला अब 18 जनवरी को मेलबर्न में होने वाले वनडे से होगा. विराट कोहली को उनके शानदार शतक के लिए 'मैन ऑफ द मैच' चुना गया. उनके शतक ने शॉन मार्श के शानदार शतक पर पानी फेर दिया.
कहानी को आगे बढ़ाने से पहले आपको बताते हैं कि कोहली ने अपनी गलती को कैसे सुधारा. एडिलेड वनडे के पहले नेट्स में विराट कोहली ने इसके लिए खास तैयारी की थी.
इस मेहनत का नतीजा भी विराट कोहली को जल्दी ही मिला. एडिलेड में टीम इंडिया के सामने 299 रन का लक्ष्य था. इस लक्ष्य का पीछा करते हुए शिखर धवन जब 8वें ओवर में आउट हुए, तो स्कोर था 47 रन. मैच हारने की सूरत में सीरीज गंवाने का डर था.
एक बल्लेबाज को क्रीज पर लंबे समय तक बल्लेबाजी करनी थी. ये जिम्मेदारी कोहली ने उठाई. उन्होंने लगातार साझेदारियों पर जोर दिया. यही वजह है कि उन्होंने रोहित शर्मा, अंबाती रायडू और फिर महेंद्र सिंह धोनी के साथ अर्धशतकीय साझेदारी की.
अंबाती रायडू एडिलेड में अपने रंग में नहीं दिख रहे थे, लेकिन कोहली ने उनके साथ भी ‘स्ट्राइक रोटेट’ करने का काम किया. उनके जाने के बाद जब धोनी आए, तो विराट कोहली की रणनीति एक अच्छी साझेदारी की ही थी. इसी दौरान उन्होंने 39वां वनडे शतक भी लगाया. इसके साथ-साथ उन्होंने रिकॉर्ड बुक में कई नई कारनामे किए.
विराट कोहली का ये शतक कई मायने में अलग था. उन्होंने परंपरागत आक्रमक बल्लेबाजी करने की बजाए क्रीज पर टिककर बल्लेबाजी की. उनके शतक में चालीस से ज्यादा ‘डॉट बॉल’ थी. बावजूद इसके उन्होंने 108 गेंदों में अपना शतक पूरा किया.
ये दिखाता है कि उन्होंने बड़े शॉट की बजाए दौड़कर रन बटोरने पर भी पूरा भरोसा किया. पचास से ज्यादा ‘सिंगल’ विराट कोहली ने लिए. उन्होंने अलग-अलग ‘गियर’ में बल्लेबाजी की. क्रीज के दूसरे छोर पर मौजूद बल्लेबाज का दबाव बांटते रहे.
विराट कोहली चाहते थे कि आखिरी ओवरों में किसी तरह का दबाव बल्लेबाजों पर न आए. इसी रणनीति के तहत उन्होंने रिचर्ड्सन की गेंद पर हवा में शॉट खेला, जिसे मैक्सवेल ने लपक लिया. लेकिन तब तक विराट कोहली अपनी टीम के लिए जीत की नींव तैयार कर चुके थे.
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