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सफलता और विफलता को समान रूप से स्वीकार करना सबसे महत्वपूर्ण है. खास तौर पर तब, जब किसी का अंतरराष्ट्रीय करियर शुरुआती दौर में हो. नाम लेने की जरूरत नहीं है, लेकिन कुछ अच्छे और कुछ बुरे खिलाड़ियों के उदाहरण हैं, जिन्होंने यह दिखाया है कि सफलता और विफलता के समय किस तरह से व्यवहार किया जाता है.
ज्यादातर ऐसा उन युवा खिलाड़ियों के साथ होता है, जो चंद अच्छे प्रदर्शन के बाद रातोंरात अवतार सरीखे मान लिए जाते हैं. इसी वजह से क्रिकेट में बहुत पुरानी कहावत है, “अगर आप शीर्ष पर पहुंचना चाहते हैं और सभ्य-सम्मानित होना चाहते हैं, तो सीढ़ियों का सहारा लें, लिफ्ट का नहीं.”
क्रिकेट के आज के दौर में जब प्रिन्ट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चौबीसों घंटे खिलाड़ियों का पीछा करते हैं और उनकी हर एक प्रतिक्रिया पर नजर रखते हैं, तो एक खिलाड़ी को भी बहुत सावधान रहने की जरूरत है. ऐसा इसलिए, क्योंकि यह मानी हुई बात है कि बोले गए शब्द वापस नहीं होते.
मैं करण जौहर को दोषी नहीं मानता. वे अच्छे वक्ता हैं और ऐसे मेजबान हैं, जो सही टाइमिंग के साथ मजाक-मजाक में सवाल करते हैं. अपने चैट शो में मेहमानों के सही नब्ज पर हमला बोलना उन्हें आता है. मैं करण का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं और मैं केएल राहुल और हार्दिक पांड्या का भी बड़ा प्रशंसक हूं. हम सब जानते हैं कि एक खराब प्रदर्शन से बड़ा हीरो भी जीरो हो जाता है. इन दोनों के साथ भी वही हुआ है.
आज के क्रिकेटर केवल भारतीय क्रिकेट का ही नहीं, बल्कि अपनी मातृभूमि के इतिहास और संस्कृति का भी प्रतिनिधित्व करते हैं. क्रिकेट से मोहब्बत करने वाली भारतीय जनता, भारतीय टीम के खिलाड़ियों के प्रति बहुत क्रेजी है. अक्सर यही बात और शोहरत युवाओं को गुमराह कर देती है.
2019 का आईसीसी वर्ल्ड कप होने में कुछ महीने बाकी हैं और इन दोनों खिलाड़ियों का इस टूर्नामेंट में खेलना तय है. 'कॉफी विद करण' का आनंद लेने के बजाए इन दोनों ने ‘आ बैल मुझे मार’ की तर्ज पर ऐसी उटपटांग बातें कीं, जो सोशल मीडिया में वायरल हो गईं और जिससे उनकी भद्द पिटी.
जब आप सार्वजनिक मंच पर हैं और आपको लाखों-करोड़ों लोग एक फैमिली शो में देख रहे हैं, तो आपके लिए अपनी भावनाओं पर काबू रखना जरूरी है. करण ने बाउंसर फेंका, यॉर्कर और गुगली फेंकी और इन दोनों युवा खिलाड़ियों के विकेट ले लिए.
जब 90 के दशक के उत्तरार्ध में सट्टेबाजी का स्कैंडल सामने आया, तो हरेक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी संदेह के घेरे में आ गए. कुछ लड़के वास्तव में इसमें शामिल थे और उन पर प्रतिबंध लगे, लेकिन बाकी लोगों को भी इसका बुरा असर झेलना पड़ा. वे सभी हीरो से विलेन हो गए. हार्दिक पांड्या की गैरजरूरी टिप्पणियां और उनकी ओर से भारतीय टीम के खिलाड़ियों का जिक्र करना वास्तव में बड़ी भूल है.
मैं इस मामले पर संज्ञान लेने और जांच शुरू करने के लिए बीसीसीआई की सराहना करता हूं. मुझे इस बात में कोई दिलचस्पी नहीं है कि उन्हें क्या सजा मिलने वाली है.
ऐसे मामले में जब आप सीमा लांघते हैं और आप खुद को, अपनी टीम, साथी और संस्था को मुसीबत में डालते हैं, तो आपको सजा मिलनी ही चाहिए. पांड्या और राहुल को क्या सजा होगी, यह जांच समिति तय करेगी.
मेरे लिए महत्वपूर्ण यह है कि बीसीसीआई कठोर और स्पष्ट संदेश दे. आज के क्रिकेटरों को मदद करने के लिए न सिर्फ सपोर्ट स्टाफ हैं, बल्कि व्यक्तिगत रूप से मेंटर, मैनेजर, डायटिशियन आदि सबकुछ हैं. लेकिन जब ऐसी घटना होती है, तो यह सब कुछ बेकार हो जाता है और अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाने के लिए आप पर बेशक सवाल उठते हैं.
हत्या करने के बाद ‘सॉरी’ कह देना बहुत आसान है. हार्दिक पांड्या के लिए यह कहना भी बहुत आसान था कि शो की प्रकृति के कारण वे उसमें बह गए. बहरहाल, सच्चाई ये है कि वह हमेशा ही, और यहां तक कि खेल के मैदान पर भी बहते रहे हैं.
अपने सीनियर खिलाड़ियों से सीखें. आपके पास विराट कोहली जैसे कप्तान हैं. विराट तो और भी जल्दी आपा खो बैठते हैं, लेकिन उस पर उनका नियंत्रण भी जबरदस्त है. आपके पास अनुभवी कोच रवि शास्त्री हैं, जो अपने तरीके से अपनी बात रखते हैं. आपके पास पुजारा हैं जो सही मायने में संत हैं.
आपके साथ शानदार व्यक्तित्व वाले रहाणे हैं. आपके पास बल्ले से बात करने वाले रोहित शर्मा हैं. और सबसे ऊपर टीम में सबसे सीनियर और विश्व क्रिकेट में ठंडे दिमाग वाले धोनी हैं, जो आपका मार्गदर्शन कर सकते हैं.
इन सबके बावजूद अगर आप सुधरने नहीं जा रहे हैं, तो आपको निश्चित रूप से सजा मिलेगी.
दो बिल्कुल अलग-अलग व्यक्तित्व के लोग टीवी शो में गए. दोनों ने अपनी कहानियां और विचार साझा किए और इस तरह से मनोरंजन करने का प्रयास किया जिससे वास्तव में वे सीमा लांघ गए. अब दोनों जांच का सामना कर रहे हैं.
मुझे उम्मीद है कि प्रतिबंध इतना सख्त नहीं है कि इन युवा खिलाड़ियों का करियर खत्म हो जाए. शून्य स्कोर करने के बाद आपको एक मौका और मिलता है. जीवन में हर कोई गलती करता है. लेकिन होशियार वही होते हैं, जो गलतियां नहीं दोहराते.
हार्दिक पांड्या मैदान और मैदान से बाहर स्टायलिश युवा हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि वे अपनी गलती को समझेंगे और उसे कभी नहीं दोहराएंगे.
(इस आर्टिकल में छपे विचार लेखक के अपने हैं. इसमें द क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)
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