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महेंद्र सिंह धोनी के बाद इंडियन क्रिकेट टीम का परमानेंट विकेटकीपर कौन? हाल में इंडियन टीम के सालाना कॉन्ट्रेक्ट में धोनी का नाम न होने के बाद यह सवाल और जोर-शोर से उठने लगा है. महेंद्र सिंह धोनी ने 30 दिसंबर 2014 को अपना आखिरी टेस्ट खेल कर टेस्ट मैच को अलविदा कह दिया था. इसके बाद भारत ने टेस्ट मैच में अब तक पांच विकेटकीपर आजमाएं हैं लेकिन परमानेंट कीपर की उसकी तलाश अधूरी ही है.
ऑस्ट्रेलिया के साथ हाल में हुए मैचों में दमदार बल्लेबाजी के साथ शानदार विकेटकीपिंग करने वाले के एल राहुल एक मजबूत विकल्प के तौर पर उभरे हैं लेकिन अभी तीनों फॉर्मेट के लिए भारत को परमानेंट विकेटकीपर मिलना बाकी है. धोनी के टेस्ट क्रिकेट छोड़ने के बाद भारत इस फॉर्मेट के लिए अब तक ऋद्धिमान साहा, ऋषभ पंत, पार्थिव पटेल, दिनेश कार्तिक और नमन ओझा का आजमा चुका है. इनमें सबसे सफल ऋद्धिमान साहा रहे हैं. लेकिन वह वन डे और टी-20 में परमानेंट जगह नहीं बना पाए हैं. शायद इसकी एक वजह यह रही होगी कि इन दोनों फॉर्मेट में धोनी विकेटकीपिंग कर रहे थे.
धोनी की गैर मौजूदगी में टेस्ट में विकेटकीपर के तौर पर भारत ने जिन खिलाड़ियों को अब तक आजमाया है, उनमें ऋद्धिमान का परफॉरमेंस सबसे अच्छा रहा है. ऋद्धिमान ने विकेटकीपर के तौर पर 34 टेस्ट खेले हैं और ऋषभ ने 11. दोनों की बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग के आंकड़ों की तुलना की जाए तो कम मैच खेल कर भी परफॉरमेंस के मामले में ऋषभ, ऋद्धिमान से बहुत पीछे नहीं हैं.
ऋषभ को वन डे और टी-20 में काफी मौके मिले हैं.लेकिन प्रदर्शन की निरंतरता में कमी की वजह से वह बाहर-भीतर होते रहे हैं. पंत के लगातार परफॉरमेंस न करने से टीम इंडिया में परमानेंट विकेटकीपर को लेकर चिंता बनी हुई थी. लेकिन टीम के नियमित विकेटकीपर ऋषभ पंत के चोटिल होने के बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ राजकोट में खेले गए वनडे में के एल राहुल को बल्लेबाज विकेटकीपर के तौर पर खेलने का मौका मिला. इसके बाद उनकी तुलना दिग्गज राहुल द्रविड़ से की जाने लगी जिन्होंने 70 से अधिक एकदिवसीय मैचों में मध्यक्रम के बल्लेबाज और विकेटकीपर की भूमिका निभाई थी.
राहुल ने इस मुकाबले में 52 गेंद में 80 रन की ताबड़तोड़ पारी खेली जिससे भारत ने बड़े स्कोर वाले इस मुकाबले को 36 रन से जीता. कर्नाटक के इस खिलाड़ी ने जसप्रीत बुमराह और नवदीप सैनी की गेंद पर कैच लपकने के साथ रवींद्र जडेजा की गेंद पर शानदार स्टंपिंग कर आरोन फिंच की पारी का अंत किया. अब यह मांग तेज होने लगी कि के एल राहुल की शानदार विकेटकीपिंग के बाद उन्हें ही नियमित विकेटकीपर बना देना चाहिए.
लेकिन कुछ पूर्व खिलाडियों का कहना है कि राहुल को दोहरी जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए. पूर्व सलामी बल्लेबाजी आकाश चोपड़ा का मानना है कि के एल राहुल की विकेटकीपिंग राहुल द्रविड़ से अच्छी है. लेकिन दाएं हाथ के इस बैट्समैन को दोहरी जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए. न्यूज एजेंसी पीटीआई से उन्होंने कहा
चोपड़ा कहते हैं, ‘’लोकेश राहुल एक विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में मेरे लिए बहुत कीमती हैं. इस तरह उनके ऊपर जो जिम्मेदारी है उसका बेहतर मैनेजमेंट करने के बजाय आप उनका बोझ बढ़ा रहे हैं.”
भारतीय टीम के पूर्व विकेटकीपर नयन मोंगिया का भी मानना है कि राहुल लंबे समय के लिए विकेटकीपर का विकल्प नहीं हो सकते. मोंगिया के मुताबिक के एल राहुल टीम में शानदार दूसरे विकेटकीपर हो सकते हैं. वह एकदिवसीय में नियमित विकेटकीपर नहीं हो सकते हैं. टी20 अंतरराष्ट्रीय में यह चल जाएगा लेकिन एकदिवसीय में नहीं. टीम में नियमित विकेटकीपर होना चाहिए. उनका मानना है कि अगर वह नियमित तौर पर विकेटकीपिंग करेंगे तो उनकी बैटिंग प्रभावित होगी. वह टीम के लिए विकेटकीपर की जगह एक बल्लेबाज के तौर पर ज्यादा अहम हैं.
खुद के एल राहुल कह चुके हैं कि विकेटकीपिंग एक चुनौती है. कई बार कुछ मौकों पर वह कुलदीप यादव और रवींद्र जडेजा की गेंदों की गति नहीं समझ पाता. उन्हें अपनी फर्स्ट क्लास टीम के साथ इस तरह की गेंदबाजी का सामना नहीं करना पड़ा था.
भले ही के एल राहुल की हालिया विकेटकीपिंग को देख कर खेल प्रेमियों को लग रहा है कि वह भारत के नियमित विकेटकीपर हो सकते हैं. लेकिन ऋषभ पंत का पलड़ा ज्यादा भारी लग रहा है. भले ही वह चोटिल हों.
नयन मोंगिया की टीम इंडिया से विदाई के बाद और टीम में महेंद्र धोनी के नियमित विकेटकीपर के तौर पर सेटल होने के बीच भारत कई विकेटकीपर्स को आजमा चुका था. यानी 16 महीनों के भीतर एमएसके प्रसाद, सबा करीम, विजय दहिया, समीर दीघे, दीप दासगुप्ता, अजय रात्रा, राहुल द्रविड़, पार्थिव पटेल और दिनेश कार्तिक आजमाए जा चुके थे. अब भी इसी तरह के हालात हैं. सवाल बरकरार है कि धोनी के बाद टीम इंडिया का परमानेंट विकेटकीपर कौन ?
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