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महिला विश्व कप (Women World Cup 2022) 4 मार्च से न्यूजीलैंड में शुरू हो चुका है. इस वर्ल्ड कप में कुल 31 मैच होने हैं, जिसका फाइनल 3 अप्रैल को क्राइस्टचर्च में होगा. टूर्नामेंट में कुल 8 टीमें भाग ले रही हैं. ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका,भारत, न्यूजीलैंड बांग्लादेश, पाकिस्तान और वेस्ट इंडीज. इसमें से चार टीमें नॉकआउट में आगे बढ़ेंगी.
भारत का पहला मैच रविवार, 6 मार्च को पाकिस्तान के खिलाफ होगा. मिताली राज (Mithali Raj) अपनी टीम के साथ भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी. लेकिन उससे पहले आईए देखते हैं कि भारत की शक्तियां और कमजोरियां क्या हैं.
भारत ने 2017 में इंग्लैंड में पिछले विश्व कप में स्वर्ण पदक जीता था. उस वर्ल्ड कप में भारतीय टीम फाइनल में मेजबान इंग्लैंड से हार गई थी. भारत की महिला वर्ल्ड कप में रिकॉर्ड की बात करें तो रिकॉर्ड बहुत शानदार नहीं है. भारत नें अब तक अपने 40 में से 19 मैच जीते हैं और 21 में हार मिली है.
कागज पर भारतीय बल्लेबाजी क्रम काफी मजबूत नजर आ रहा है. बेहतरीन ओपनर स्मृति मंधाना एक आक्रामक भूमिका निभा सकती है और टॉप ऑर्डर को मजबूती प्रदान करती हैं. टॉप में शेफाली वर्मा पावरप्ले का लाभ उठाने में अच्छी भूमिका निभा सकती हैं, क्योंकि वो टी20में अपनी अहमियत साबित कर चुकी हैं.
भारतीय टीम में कई खिलाड़ी शामिल हैं जो अनुभव से भरे हुए हैं. मिताली राज ने 225 एकदिवसीय मैचों में भाग लिया है. वो दुनिया में सबसे ज्यादा महिला एकदिवसीय मैच खेलने वाली खिलाड़ी हैं. गेंदबाजी आक्रमण की अगुआई करने वाली झूलन गोस्वामी ने भी करीब 200 मैच खेले हैं.
फिनिशरों की कमी
भारतीय बल्लेबाजी लाइन-अप में सॉलिड फिनिशरों की कमी है, जिसकी वजह से उन्हें एकदिवसीय मैचों में काफी नुकसान उठाना पड़ा है. इसी कारण 260-270 के स्कोर को 300 में बदलने में नाकाम रहते हैं. हरमनप्रीत कौर एक क्लासिक फिनिशर हैं जिन्होंने अंडरपरफॉर्म किया है. दीप्ति शर्मा आक्रामकता के साथ कंसिस्टेंट नहीं है.
गेंदबाजी आक्रमण में पैठ की कमी
भारतीय टीम के साथ एक और समस्या गेंदबाजी इकाई में पैठ की कमी है. ऑस्ट्रेलिया में हुए वर्ल्ड टी20 में शिखा पांडे बेहद खतरनाक थीं लेकिन उन्हें वर्ल्ड कप के लिए नहीं चुना गया है. झूलन गोस्वामी के मेघना सिंह के साथ गेंदबाजी की शुरुआत करने की संभावना है और पूजा वस्त्राकर रेणुका सिंह के साथ बॉलिंग कर सकती हैं.
राजेश्वरी गायकवाड़ और स्नेह राणा ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा के साथ स्पिनर के रूप में काम करेंगी. डेथ ओवरों में गुणवत्ता वाले गेंदबाजों की कमी है जो इस विश्व कप में भुगतना पड़ सकता है.
खराब फील्डिंग: भारत ने पिछले कुछ वर्षों में फील्डिंग में सुधार किया है. हालांकि, महामारी के कारण ज्यादा खेल न होने से क्षेत्ररक्षण मानकों में भारी गिरावट आई है. ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें खराब फील्डिंग के कारण कीमत चुकानी पड़ी है.
हरमनप्रीत की खराब फॉर्म से चिंता
हरमनप्रीत कौर ने सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 171 रनों की धमाकेदार पारी के साथ पिछले विश्व कप में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. हालांकि, टूर्नामेंट के बाद से उनकी वापसी काफी मामूली रही है. उसने तब से 33 एकदिवसीय मैचों में केवल 8 विकेट लेते हुए केवल 3 अर्धशतक बनाए हैं.
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