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रूस में फुटबॉल विश्व कप का दूसरा राउंड पूरा हो चुका है. अब ये टूर्नामेंट असल में अपनी थीम ‘अपसेट्स एंड हार्ट ब्रेक्स’ के मुकाम पर पहुंच गया है. ग्रुप स्टेज में जहां डिफेंडिंग चैंपियन जर्मनी की छुट्टी हो गई, वहीं अगला राउंड अर्जेंटीना, पुर्तगाल और स्पेन सरीखे दिग्गजों की विदाई का गवाह बन गया.
कुछ छुपे रुस्तम देश लगातार सुर्खियों में हैं. विश्व कप में सबसे कमजोर रैंकिंग वाले रूस ने स्पेन को बाहर का रास्ता दिखा दिया, इसके बाद डेनमार्क और जापान ने क्रोएशिया और बेल्जियम के लिए खतरे की घंटी बजाते हुए उनकी नींद हराम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
इंग्लैंड को भी कोलंबिया के खिलाफ खासी मुश्किलें पेश आईं. इंग्लैंड आखिरकार पेनल्टी में जीत हासिल कर आगे के लिए अपनी राह बना पाया. लेकिन अब 16 देशों की कहानी खत्म हो चुकी है और आखिरी 8 रोमांचक टक्कर के लिए हमारा इंतजार कर रहे हैं.
हालांकि ब्राजील और फ्रांस अभी भी मुकाबले में बने हुए हैं और विश्वकप जीतने के दावेदार हैं, लेकिन आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर हमें एक नया चैंपियन मिले या फिर उरुग्वे या इंग्लैंड जैसे पुराने दिग्गज 15 जुलाई को रूस की राजधानी मास्को में विश्व कप उठा रहे हों.
विश्व कप के क्वार्टर फाइनल्स के मुकाबले शुक्रवार (6 जुलाई) और शनिवार (7 जुलाई) को खेले जा रहे हैं.
पहले क्वार्टर फाइनल मुकाबले में उरुग्वे और फ्रांस आमने-सामने होंगे. राउंड-16 के मुकाबले में दोनों ही देशों ने अपने-अपने विरोधियों के खिलाफ दमदार जीत हासिल की थी. फ्रांस ने विश्व कप में मेसी को और देर तक बने रहने से रोक दिया और बाहर का रास्ता दिखाया, तो उरुग्वे ने पुर्तगाल के यूरो 2016 दोहराने के सपने को तोड़ दिया.
फ्रांस और उरुग्वे के मैच में मुकाबला फ्रांस के आक्रमण और उरुग्वे के डिफेंस के बीच होगा. डियेगो गोडिन एंड कंपनी को मे-बापे की गति का जवाब ढूंढ़ना होगा, जिन्होंने अर्जेंटीना के खिलाफ कमाल का प्रदर्शन किया.
कवानी और सुआरेज की जोड़ी ने ये भी दिखाया है कि उनके आक्रमण को हल्के में नहीं लिया जा सकता है. कवानी ने अपने आखिरी दो मैचों में तीन गोल किए हैं, इस कारण फ्रांस को उनसे बचकर रहना होगा. हालांकि उनके घुटने में चोट है और हो सकता है कि वो शुक्रवार के मैच में शुरू में मैदान पर न उतरें.
क्वार्टर फाइनल का दूसरा मुकाबला ब्राजील और बेल्जियम के बीच होगा, जो कि किसी फाइनल मुकाबले जैसा होगा. अगर इनके पहले के मैच कुछ संकेत करते हैं, तो इससे यही लगता है कि इस मुकाबले में खूब सारे गोल होंगे या फिर बेहद कम.
ये सही है कि बेल्जियम की टीम ने अपने सभी मैचों में खूब गोल किए हैं, लेकिन ब्राजील के खिलाफ स्थिति शायद अलग होगी. क्योंकि ब्राजील वही टीम है, जिसके डिफेंस ने अब तक विरोधी टीम को सिर्फ एक गोल करने का मौका दिया है. ऐसे में ब्राजील अटैक से लेकर डिफेंस तक में बेहद मजबूत दिख रहा है. पिछले मैच में नेमार और फिरमिनो का गोल करना इस दक्षिण अमेरिकी देश के लिए अच्छी खबर है.
दूसरी तरफ, बेल्जियम के डिफेंस ने जापान समेत ट्यूनिशिया जैसी कमजोर टीम को भी गोल का मौका दिया है. ऐसे में ब्राजील पर हावी होने के लिए उनके पास आक्रमण ही रास्ता है. और लुकाकू, हजार्ड और मेरटेंस से सजी बेल्जियम टीम के लिए शायद ये कोई मुश्किल काम भी नहीं है.
क्वार्टर फाइनल मुकाबलों के दूसरे दिन 7 जुलाई शनिवार को स्वीडन और इंग्लैंड की टीमें सेमीफाइनल में जगह बनाने के लिए आमने-सामने होंगी. इस मैच में ज्यादा गोल की अपेक्षा नहीं की जा सकती, क्योंकि स्वीडन की टीम रक्षात्मक खेल के साथ काउंटर अटैक में यकीन करती है.
इंग्लैंड की टीम का हौसला कोलंबिया पर जीत के बाद बुलंद होगा, वहीं स्वीडन भी टूर्नामेंट में अपने अब तक के अच्छे सफर को जारी रखना चाहेगा.
इंग्लैंड के कप्तान हैरी केन फिर से अपनी टीम के लिए केंद्रीय भूमिका में होंगे और उनसे ये उम्मीद रहेगी कि वो स्वीडन के डिफेंस को भेद पाएं. हैरी केन अगर ऐसा कर पाते हैं, तो मैच के लिहाज से ये चीज निर्णायक हो सकती है.
शनिवार को ही मेजबान रूस का मुकाबला क्रोएशिया से होगा. टूर्नामेंट में लगातार अच्छे प्रदर्शन के बाद क्रोएशिया की टीम को डेनमार्क के खिलाफ मुश्किलों का सामना करना पड़ा था.
2010 के चैंपियन स्पेन को हराकर रूस सबको चौंका चुका है. यहां तक कि उनके फैंस ने भी रूस से ऐसे प्रदर्शन की उम्मीद शायद ही की थी. किसी ने सोचा तक नहीं था कि रूस की टीम ग्रुप स्टेज के मुकाबलों से आगे बढ़ पाएगी.
सितारों से सुसज्जित मिडफील्डर्स वाली टीम क्रोएशिया इस कोशिश में रहेगी कि गोल दागने की अपनी क्षमता दोबारा हासिल कर लें. क्रोशियाई डिफेंस ने अब तक अच्छा प्रदर्शन किया है. खास तौर से गोलकीपर सुबासिक, जो कि पिछले मैच के हीरो साबित हुए थे.
दूसरी ओर रूस से उम्मीद ये की जा रही है कि वो ‘आक्रमण ही सुरक्षा का सबसे बेहतर हथियार है’ की नीति पर चलेगा. इसके लिए रूस की टीम चेरयाशेव, अर्टेम डिजुबा और गोलोविन जैसे अपने खिलाड़ियों पर निर्भर रहेगी. टूर्नामेंट में और आगे जाने के लिए रूस की टीम अपने अटैक पर निर्भर करेगी.
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