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IPL 2019: आईपीएल में क्यों हर बार खाली हाथ लौटते हैं विराट कोहली?

जिस टीम में एक वक्त पर विराट कोहली, डीविलियर्स और गेल जैसे धाकड़ बल्लेबाज थे उस टीम के हाथ कामयाबी क्यों नहीं लगी.

शिवेंद्र कुमार सिंह
स्पोर्ट्स
Published:
क्या विराट कोहली जीत पाएंगे 2019 का खिताब?
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क्या विराट कोहली जीत पाएंगे 2019 का खिताब?
(फोटो: AP)

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विराट की कप्तानी में टीम इंडिया ने तमाम बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक सीरीज जीत के अलावा वनडे फॉर्मेट में तो पिछले साल टीम इंडिया का बोलबाला था. बतौर बल्लेबाज विराट कोहली के बारे में कोई मीन-मेख निकालना बेवकूफी है. पिछले 12 महीने में उनके नाम एक हजार से ज्यादा टेस्ट रन, 4 टेस्ट शतक हैं. वनडे में उनके खाते में करीब साढ़े बारह सौ रन और 6 शतक हैं. इसके अलावा लगभग 300 टी-20 रन उन्होंने पिछले एक साल में बनाए हैं.

बावजूद इसके एक सवाल है जो विराट कोहली के गले पड़ा हुआ है. वो सवाल है बड़ा सीधा- विराट कोहली की कप्तानी में आज तक आरसीबी की टीम आईपीएल क्यों नहीं जीत पाई?

जिस टीम में एक वक्त पर विराट कोहली, एबी डीविलियर्स और क्रिस गेल जैसे धाकड़ बल्लेबाज थे उस टीम के हाथ कामयाबी क्यों नहीं लगी. विराट ने 2012 में फुलटाइम कप्तानी शुरू की थी. इसके बाद से लगभग सभी सीजन में उनकी टीम ‘फेवरिट’ टीमों में शुमार रही लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली. दिलचस्प बात ये भी है कि टीम इंडिया में उनके उपकप्तान रोहित शर्मा तीन बार मुंबई इंडियंस को चैंपियन बना चुके हैं.

बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में नेट प्रैक्टिस करते विराट कोहली. (फोटो: IANS)

इसके अलावा विराट कोहली से पहले के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भी चेन्नई की टीम तीन बार चैंपियन बन चुकी है. शुरूआत के सीजन में कोलकाता की टीम की हालत बहुत खराब रहती थी. बड़े बड़े स्टार्स के बावजूद केकेआर की टीम जीत से दूर थी. उस बिखराव वाली टीम को भी गौतम गंभीर पटरी पर लाए और दो बार खिताब जीतने में कामयाब रहे जबकि विराट कोहली के हाथ अब भी खाली के खाली हैं. इसकी वजहों को जानने-समझने से पहले कुछ आंकड़े देख लेते हैं.

बतौर कप्तान आईपीएल में फेल हैं विराट कोहली

  • विराट कोहली की कप्तानी में हार ज्यादा, जीत कम। 44 जीत 47 हार
  • अब तक तीन बार फाइनल में पहुंची है आरसीबी। 2009, 2011, 2016
  • 2016 में विराट की कप्तानी में खेले थे फाइनल

2016, दरअसल बैंगलोर के लिए खिताब जीतने का सुनहरा मौका था लेकिन फाइनल में सनराइजर्स हैदराबाद ने 8 रन से जीत हासिल की थी. 209 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए बैंगलोर की टीम 200 रन ही बना पाई थी. ये वो सीजन था जिसमें विराट कोहली का प्रदर्शन किसी करिश्मे से कम नहीं था. ताज्जुब इस बात का है 2016 में सीजन के टॉप 3 बल्लेबाजों में 2 बैंगलोर की टीम से थे. 2019 में अगर ये जोड़ी इस कारनामे को दोहराती है तो कहानी बदल सकती है. ये आंकड़े देखिए....

2016 जैसा कमाल क्या फिर दोहराएगी ये जोड़ी?

अब इस नाकामी की वजहों को तलाशते हैं. इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता है कि विराट कोहली की कप्तानी को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं. उनकी कप्तानी में प्लेइंग-11 का चयन कई बार तार्किक नहीं लगता. गेंदबाजी कॉम्बिनेशन को लेकर पिछले साल उनके फैसलों पर सवाल उठे थे. हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज में उनकी प्लेइंग-11 में तीन विकेटकीपर थे. जबकि वनडे सीरीज के आखिरी मैच में वो एक बल्लेबाज कम लेकर मैदान में उतरे. आपको याद दिला दें कि आखिरी मैच से पहले पांच मैचों की सीरीज में दोनों टीमें 2-2 की बराबरी पर थीं लेकिन आखिरी मैच के असंतुलित प्लेइंग 11 ने कंगारुओं को एक दशक के बाद हिंदुस्तानी जमीन पर वनडे सीरीज जीतने का मौका दिया. इसके अलावा कुछ और मूलभूत बातें हैं जो आरसीबी की राह में रोड़ा बनती रही हैं.

पिछले सीजन में आरसीबी की परेशानी

  • बल्लेबाजी में विराट और एबी के बाद मिडिल ऑर्डर था कमजोर
  • गेंदबाजी में उमेश यादव और यजुवेंद्र चहल के बाद आक्रमण कमजोर

हाल ही में गौतम गंभीर ने ये भी कहा कि विराट कोहली को अपनी ‘फ्रेंचाइजी’ के प्रति शुक्रगुजार होना चाहिए कि उन्होंने खराब प्रदर्शन के बाद भी विराट कोहली को कप्तान बनाए रखा है. गंभीर ने यहां तक कहा कि उन्हें विराट की कप्तानी में वो चालाकी और नीतियां नहीं दिखतीं जो आईपीएल जैसे टूर्नामेंट में जीतने के लिए जरूरी है. बहरहाल इस सीजन में विराट की टीम बेहतर दिख रही है. टिम साउदी, युजवेंद्र चहल, उमेश यादव, मोइन अली जैसे अनुभवी गेंदबाज किस्मत बदलने के इरादे से मैदान में उतरेंगे. विराट की साख इस आईपीएल में टीम के प्रदर्शन के साथ सीधे तौर पर जुड़ी है.

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