Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Sports Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 आईपीएल को खुद आईपीएल से ही सबसे बड़ा खतरा ! 

आईपीएल को खुद आईपीएल से ही सबसे बड़ा खतरा ! 

विश्व क्रिकेट में आईपीएल अब एक ऐसा राक्षस है, जो बाहरी ताकतों की बजाय खुद के लिए खतरा बन गया है.

अमृत माथुर
स्पोर्ट्स
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फोटो: BCCI/IPL)
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फोटो: BCCI/IPL)

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हर घड़ी गुजरने के साथ ही आईपीएल-2019 कई सारी चुनौतियों से दो-चार हो रहा है. ऐसा लगता है कि किसी को नहीं पता है कि ये सबकुछ किस ओर जा रहा है. और निश्चित तौर पर इन चुनौतियों का अभी तक कोई जवाब किसी के पास नहीं है. आईपीएल के वक्त चुनावों को देखते हुए चर्चा इस बात की भी है कि लीग का अगला संस्करण किसी और देश में चला जाए क्योंकि ऐसा पहले भी हो चुका है. दुबई या साउथ अफ्रीका संभावित वेन्यू हो सकते हैं. वैसे तो आईपीएल के सामने चुनौतियां कई हैं, लेकिन उनमें से कुछ का जिक्र यहां किया जा रहा है.

आईपीएल, खुद के लिए एक खतरा

ग्यारह सीजन, कई चैंपियन, तमाम बड़े क्रिकेट खेलने वाले देशों के बड़े खिलाड़ियों की नुमाइंदगी. इंडियन प्रीमियर लीग ने इस रूप में खुद को दुनिया के सबसे बड़े घरेलू टी-ट्वेंटी टूर्नामेंट के तौर पर स्थापित किया.

विश्व क्रिकेट में आईपीएल अब एक ऐसा राक्षस है, जो बाहरी ताकतों की बजाय खुद के लिए खतरा बन गया है.

पिछले दशक में ये लीग आठ टीमों के एक ऐसे इवेंट के रूप में बढ़ा है, जिसमें मुकाबले घर और घर से बाहर के फॉरमेट पर होते हैं- जिसमें 8 हफ्तों तक चलने वाले 64 मैच ही नहीं होते, बल्कि तमाम ट्रैवल शेड्यूल, विज्ञापनदाताओं की प्रतिबद्धताएं और मीडिया का तामझाम भी होता है. ये सारी चीजें बहुत ही संजीदा और सावधानी वाली तैयारी की मांग करती हैं. और ऐसी भव्यता को देखते हुए इसको धरातल पर उतारने में गड़बड़ियों के लिए कोई जगह नहीं रह जाती है.

ऐसा इसलिए भी, क्योंकि पूरे मुकाबले में पैसा बड़े स्तर पर शामिल होता है. हर एक फ्रेंचाइजी टीम खरीदने और चलाने के लिए सीधे-सीधे 150 करोड़ रुपये से ज्यादा लगाती है. इसके अलावा ब्रॉडकास्टर्स के भी भारी-भरकम पैसे लगे होते हैं. साथ ही, राइट्स खरीदने वाले, स्पॉन्सर्स और इस पूरे इको सिस्टम में मौजूद दूसरे लोग भी होते हैं, जिनका काफी कुछ दांव पर होता है. ऐसे में रत्ती भर उन्नीस-बीस भी बड़े संकट की शक्ल ले सकता है. इस सीजन के लिए राजीव शुक्ला की ओर से आए निर्देश चीजों को लेकर स्थिति साफ करेगी

तारीख का मुद्दा : आईसीसी वर्ल्ड कप और आमचुनाव

एक बड़ी समस्या जो इस बार आईपीएल झेल रहा है वो तारीखों की समस्या है. 2019 के जो इंटरनेशनल कैलेंडर दिख रहे हैं उसके मुताबिक मार्च मध्य से पहले आईपीएल शुरू नहीं किया जा सकता क्योंकि कई खिलाड़ियों के इंटरनेशनल कमिटमेंट हैं. यही नहीं, इस बार आईपीएल को जून तक भी नहीं खींचा जा सकता क्योंकि तब आईसीसी वर्ल्ड कप है. जो कि 30 मई से इंग्लैंड में शुरू होने जा रहा है. जाहिर है इसके पहले खिलाड़ी कुछ आराम भी करना चाहेंगे.

आईपीएल पर मुश्किलों के बादल देश में 2019 के आमचुनाव की वजह से भी है, जिसकी तारीखों के बारे में अभी किसी को पता तक नहीं है. अगर आमचुनाव मार्च से मई के बीच हुए, तो 64 मैचों वाले आईपीएल के लिए इस संकट से निपटना आसान नहीं होगा.

इस स्थिति में चुनावों के मद्देनजर देश में सुरक्षा की जो जरूरत होगी, उसे देखते हुए आईपीएल को होल्ड पर डालना या फिर शिफ्ट करना शायद जरूरी हो जाएगा.

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वेन्यू का मुद्दा : विदेश में ले जाना

लीग को होल्ड पर डालने की जगह एक आखिरी विकल्प होगा वेन्यू को शिफ्ट करना. हालांकि ये विकल्प आईपीएल के पूरे इको सिस्टम में मौजूदा पार्टियों के लिए घाटे का सौदा होगा क्योंकि अनुभव यही कहता है कि देश से बाहर होने वाला आईपीएल बिजनेस के पैमाने पर किसी भी सूरत में देश में होने वाले आईपीएल से मुकाबला नहीं कर सकता.

ये विकल्प न फ्रेंचाइजी के लिए मुफीद है, न ब्रॉडकास्टर के लिए, न ब्रैंड्स के लिए, न स्पॉन्सर्स के लिए और न ही फैंस के लिए. बाहर के देश में आईपीएल के विकल्प में खर्चे भी बहुत ज्यादा हैं जबकि उस अनुपात में कमाई काफी कम. यही वजह है कि इस विकल्प को लीग से जुड़ी हरेक पार्टी टालने की ही कोशिश करेगी.

वेन्यू बदलने से क्रिकेट संभव है, लेकिन बिजनेस के लक्ष्यों को पाना आसान नहीं.

यहां तक कि अगर आईपीएल के बॉस इस बार इसे बाहर ले जाने का फैसला भी करते हैं तो ये महत्वपूर्ण होगा कि तमाम मुद्दों पर चर्चा की जाए. यूएई/दुबई इस बार आईपीएल के लिए संभावित ठिकाना हो सकता है लेकिन उनके स्टेडियम एशिया कप, पाकिस्तान टेस्ट, अफगान लीग, टी-10 टूर्नामेंट, यूएई लीग और पीएसएल के लिए तो मुफीद हैं लेकिन इन पर आईपीएल को लोड करना मुश्किल होगा.

साउथ अफ्रीका एक और विकल्प हो सकता है. लेकिन ये विकल्प खर्चीला है. भौगोलिक रूप से दूर होने की वजह से भारतीय दर्शकों के लिहाज से टाइम जोन की भी समस्या है. ये बात उन ब्रॉडकास्टर्स को परेशान करेगी, जिन्होंने टेलीविजन के भारतीय दर्शकों को ध्यान में रखकर मोटा पैसा लगाया है.

आईपीएल को दो हिस्सों में बांटना : कुछ भारत में कुछ भारत से बाहर

एक और विकल्प आधे मैच भारत में और आधे के करीब विदेश में कराने का है. हालांकि ये विकल्प लॉजिस्टिक और ऑपरेशनल चीजों के लिहाज से आकर्षक नहीं है. इसमें एक समस्या मोमेंटम टूटने का भी है. कुछ वैसे ही, जैसे एक मैराथन रनर 42 किलोमीटर के रन के दौरान बीच में 5 मिनट के लिए रुक नहीं सकता है. ऐसा करने से खिलाड़ियों के लिए ही समस्या नहीं आएगी, बल्कि एक बार टूर्नामेंट शुरू हो जाने के बाद किसी भी बड़े ब्रेक के बाद दर्शकों के जोश और उत्साह को बनाए रखना भी मुश्किल होगा.

खिलाड़ी वर्कलोड पर बात कर रहे हैं

भारतीय कप्तान विराट कोहली चाहते हैं कि उनके तेज गेंदबाज इस बार के आईपीएल से दूर रहें, जिससे कि वे विश्व कप के लिए फ्रेश और फिट रह सकें.

लेकिन कोहली का ये सुझाव फ्रेंचाइजी ऑनर्स को शायद ही पसंद आए, क्योंकि उन्होंने महत्वपूर्ण गेंदबाजों को अपनी रणनीति के केंद्र में रखकर वो अपना पूरा प्लान बना चुके होंगे. ऐसे में बगैर कोई उचित विकल्प के दिग्गज तेज गेंदबाजों को टूर्नामेंट से हटा लेना फ्रेंचाइजी के लिए ऐसी गंभीर समस्या होगी, जिसका बोझ वे उठा नहीं सकते.

एक जवाबी तर्क ये भी है : क्यों सिर्फ तेज गेंदबाजों का आराम दिया जाए? क्यों न टॉप के बल्लेबाज भी आराम करें?

उन्हें भी दो महीने के लिए आराम दीजिए, जिससे कि ये तय हो कि वे विश्व कप के लिए तैयार हैं. 50 दिनों के अंदर होने वाले 14 मैचों की इंजरी और थकान से मुक्त हैं.

विदेशी क्रिकेट बोर्ड्स की आपत्तियां

2019 के आईपीएल का फाइनल 19 मई को तय है. ऐसे में विदेशी बोर्ड्स की मांग है कि उनके खिलाड़ी इससे पहले लौटकर विश्व कप की तैयारियों में जुट जाएं क्योंकि 30 मई से विश्व कप के मुकाबले शुरू हो जाएंगे.

ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड ने तो इस बार अपने खिलाड़ियों के आईपीएल में होने की समय सीमा तय कर दी है. इसका नतीजा ये होगा कि आईपीएल की टीमों को लीग के आखिरी चरण में अपना बिजनेस बनाए रखने के लिए इन विदेशी खिलाड़ियों का विकल्प तैयार रखना होगा.

नोट : आईपीएल के लिए विदेशी बोर्ड्स के साथ वहां के खिलाड़ियों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होती है. स्टैंडर्ड फॉर्मूला ये है कि इसकी एवज में खिलाड़ी की फीस का 20 प्रतिशत उस देश को देना होता है. ये रकम संबंधित खिलाड़ी को उपलब्ध कराने के लिए होता है.

बीसीसीआई गवर्नेंस में रिक्तता की स्थिति

आईपीएल के सामने ये बड़ी चुनौतियां ऐसे वक्त में आ खड़ी हुई हैं, जब खुद बीसीसीआई अपनी ही समस्याओं से गुजर रहा है.

एक मजबूत बीसीसीआई इन समस्याओं से पार पा सकता था, लेकिन मौजूदा समय में ये एक ऐसी संस्था है जिसका कोई नियंत्रण नहीं है. बीसीसीआई सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बीच जूझ रहा है, उसके सीईओ की ही आंतरिक जांच चल रही है. वो तो अभी भारतीय टीम की व्यवस्थाओं और खिलाड़ियों की पत्नियों को विदेश दौरों पर भेजने के इंतजाम में लगा है.

इस उथल-पुथल की हालत में जाहिर है कि आईपीएल प्राथमिकता सूची में काफी पीछे चला गया है. और ऊपर से बीसीसीआई की समितियां और आईपीएल गवर्निंग काउंसिल निष्क्रिय हालत में है.

क्या तारीख के फेर में फंसेगा IPL, झेलना पड़ेगा नुकसान ?

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Published: 15 Nov 2018,03:05 PM IST

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