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“मैंने रेसलिंग छोड़ दी थी”: युवा महिला पहलवानों के सपनों पर भारी पड़ रहा WFI का विवाद

WFI की अस्थिरता के बीच पिछले एक साल में हरियाणा की इस एकेडमी में कोई प्रतियोगिता नहीं हुई और न कोई नया एडमिशन हुआ

ज़िजाह शेरवानी
स्पोर्ट्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>युवा महिला पहलवानों के सपनों पर भारी पड़ रहा WFI का विवाद</p></div>
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युवा महिला पहलवानों के सपनों पर भारी पड़ रहा WFI का विवाद

फोटो- क्विंट हिंदी

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"जूनियर नेशनल में भाग लेने का यह मेरा आखिरी मौका था, मैंने कड़ी ट्रेनिंग की लेकिन प्रतियोगिता ही रद्द हो गई." हरियाणा के झज्जर की 20 साल की युवा पहलवान आशू ने द क्विंट से बातचीत में कहा.

कुश्ती संघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों को लेकर छ्ड़ीि दिग्गज पहलवानों की लड़ाई के बाद युवा पहलवानों का करियर दांव पर लगता दिखाई दे रहा है. ऐसे ही युवा पहलवानों से द क्विंट ने बात की है.

भारत के शीर्ष पहलवानों ने 18 जनवरी, 2023 को कुश्ती संघ (WFI) के पूर्व प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया था. उन्होंने बृज भूषण के इस्तीफे और भारतीय कुश्ती संघ को भंग करने की मांग की थी.

21 दिसंबर, 2023 को जब बृज भूषण के करीबी संजय सिंह को कुश्ती संघ का नया अध्यक्ष चुना गया तो ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दी. इसके अगले दिन, बजरंग पुनिया ने संजय सिंह के चुनाव के विरोध में अपना पद्मश्री सम्मान लौटा दिया.

नए कुश्ती संघ ने अंडर-15 और अंडर-20 जूनियर नेशनल चैंपियनशिप के आयोजन की जल्दबाजी में घोषणा कर दी. इसके बाद खेल मंत्रालय ने कुश्ती संघ को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया.

इन सबके बीच युवा पहलवानों का भविष्य अधर में फंस गया है. कुश्ती संघ में चल रहे विवाद के कारण पिछले साल भर से ट्रेनिंग ले रहे और नए पहलवानों को परफॉर्म करने का मौका भी नहीं मिला.

द क्विंट ने सोनीपत में ऑल-गर्ल्स अखाड़े में ट्रेनिंग ले रही युवा पहलवानों से बात की तो उन्होंने बताया कि

मैं 2023 की शुरुआत से ट्रेनिंग ले रही हूं, क्योंकि जूनियर नेशनल में भाग लेने का यह मेरा आखिरी मौका था. मैंने कड़ी ट्रेनिंग की लेकिन प्रतियोगिता रद्द हो गई.
आशू (20 वर्ष) झज्जर
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हमने कड़ी मेहनत की. प्रतियोगिता के लिए जरूरी वजन भी हासिल कर लिए. लेकिन उसके बाद हमें बताया गया कि प्रतियोगिता रद्द कर दी गई है. यह दुखदायक है.
रूबी (15 वर्ष) रोहतक

युद्धवीर अखाड़े की महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ की अस्थिरता और अपने रोल मॉडल पहलवानों को सड़क पर घसीटे जाने, कुश्ती छोड़ने जैसे मुद्दों पर अपने विचार साझा किए.

इस आवासीय अकादमी में 60 से अधिक लड़कियां रहती हैं. पिछले एक साल में अकादमी में कोई नया एडमिशन नहीं हुआ है.

इस विवाद के बाद कोई भी कुश्ती में आना नहीं चाहता, घर वाले भी इसके पक्ष में नहीं हैं. उनका मानना ​​है कि कुश्ती में अब कोई भविष्य नहीं है. कुश्ती पर काफी असर पड़ा है. नए खिलाड़ी भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं.
शिक्षा (17 वर्ष)

खेल मंत्रालय ने अंडर-15 और अंडर-20 के मुकाबलों की जल्दबाजी में की गई घोषणा के कारण संजय सिंह के नेतृत्व वाले कुश्ती संघ की गवर्निंग काउंसिल को निलंबित कर दिया.

न कोई प्रतियोगिता, न कोई पदक, भविष्य का पता नहीं

कई युवा पहलवान अकादमी में आने के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं और खेल प्रतियोगिताओं में जीते गए पदक इन पहलवानों को नौकरी दिलवाते हैं.

हमने पढ़ाई छोड़ दी और कुश्ती में अपना सब कुछ झोंक दिया. जब हम अपने भविष्य के बारे में सोचते हैं तो डर लगता है. मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों को उतनी मुश्किल नहीं होगी. लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर परिवार वाले लोग अकादमी की फीस देने में सक्षम नहीं हैं. उन्हें कुश्ती छोड़नी पड़ सकती है.
रूबी (15 वर्ष) रोहतक

बड़े विजेता पहलवान एक लड़ाई में फंसे हैं ऐसे में कैसे आगे बढ़ेंगे ये युवा पहलवान?

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा की 11 वर्षीय कंगना को साक्षी मलिक के कुश्ती छोड़ने के बारे में उन लड़कियों से पता चला जो अकादमी में ट्रेनिंग के लिए आस-पास के इलाकों से आती हैं.

मैंने यहां कुछ लड़कियों के विरोध के बारे में सुना. अगर मुझे पहले पता होता तो मैं सीनियर्स के साथ जाती और विरोध करने वाले पहलवानों के साथ खड़ी होती.
कंगना (11 वर्ष) हिमाचल प्रदेश

युद्धवीर अखाड़े में मोबाइल फोन की अनुमति नहीं है. हालांकि, अकादमी में कई लड़कियों को बृज भूषण के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन और साक्षी मलिक के इस्तीफे के बारे में पता था.

मेरे पिता लगातार चिंतित रहते हैं. अगर भविष्य में जब मैं शिविरों में जाउंगी तब कुछ हुआ तो. एक डर लगातार बना रहता है.
आशू (20 वर्ष) झज्जर

युवा पहलवानों के सपने अभी होल्ड पर हैं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी है

इस उम्मीद के साथ कि मुद्दे जल्द ही सुलझ जाएंगे और इस साल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी, ये युवा लड़कियां हर दिन अपनी ट्रेनिंग ले रही हैं.

कंगना की तरह कई पहलवानों ने अपने और अपने परिवार के सपनों को पूरा करने के लिए घर छोड़ दिया. वे ओलंपिक में जाना चाहते हैं और अब उनके लिए पीछे मुड़ने का कोई रास्ता नहीं है.

मैं कुश्ती कभी नहीं छोडूंगी. जिसने भी दूसरों के साथ अन्याय किया है, उसे सजा मिलेगी. यह मेरी जिंदगी है. मैं पढ़ाई और कुश्ती में अच्छा प्रदर्शन करती रहूंगी.
कंगना (11 वर्ष) हिमाचल प्रदेश

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