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क्रिकेट में आपने ये बात अक्सर सुनी होगी कि फलां टीम का कप्तान ‘फ्रंट’ से लीड करता है. फ्रंट से लीड करने का मतलब बड़ा सीधा है, ऐसा कप्तान जो अपने प्रदर्शन से टीम को जीत दिलाए और बाकि खिलाड़ियों को भी अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रेरित करे. इसीलिए क्रिकेट के इतिहास में कुछ कप्तानों को हमेशा महानतम की श्रेणी में रखा गया है. आईपीएल में भी ये ट्रेंड साफ नजर आता है. जिस टीम का कप्तान ‘फ्रंट’ से लीड करता है उसकी टीम बेहतर प्रदर्शन करती है.
इस सीजन में किंग्स इलेवन पंजाब इकलौती टीम है जिसकी कमान एक गेंदबाज के हाथ में है. आर अश्विन टीम की कमान संभाल रहे हैं. उनकी टीम इस समय प्वाइंट टेबल में पहले पायदान पर है. पंजाब के अलावा बाकी सभी टीमों के कप्तान बल्लेबाज हैं.
दिलचस्प बात ये है कि प्वाइंट टेबल में पंजाब के बाद जो अगली तीन टीमें हैं, उन सभी के कप्तानों का प्रदर्शन अभी तक शानदार रहा है. चेन्नई सुपरकिंग्स, सनराइजर्स हैदराबाद और कोलकाता नाइट राइडर्स इन तीनों ही टीमों के कप्तान यानी महेंद्र सिंह धोनी, केन विलियमसन और दिनेश कार्तिक की इस सीजन की बल्लेबाजी का औसत 45 से ज्यादा का है. जो आईपीएल में एक अच्छा औसत माना जाता है.
आइए आपको आंकड़े के जरिए सभी टीमों के कप्तानों का प्रदर्शन दिखाते हैं. आप खुद ब खुद अंदाजा लगा लेंगे कि क्यों कुछ टीमों की हालत अच्छी है और कुछ की बुरी है. सबसे पहले प्वाइंट टेबल में पहले नंबर की टीम के कप्तान आर अश्विन का रिकॉर्ड अलग से देख लेते हैं.
आर अश्विन की प्रभावशाली कप्तानी का आंकलन इस बात से करना चाहिए कि उन्होंने जब भी गेंदबाजी की है तो हर ओवर में 8 से कम रन दिए हैं. साथ ही जब भी उन्हें बल्लेबाजी करने की जरूरत पड़ी है, उन्होंने 135 से ज्यादा की स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी की है.
अब बात करते हैं बाकी टीमों के कप्तानों की
ये आंकड़े उसी क्रम में दिए गए हैं जिस क्रम में इस सीजन में अब तक प्वाइंट टेबल है. अब आपके लिए ये अंदाजा लगाना बिल्कुल मुश्किल नहीं होगा कि दिल्ली की टीम की हालत इतनी खराब क्यों है. दिल्ली के कप्तान गौतम गंभीर की फॉर्म इस बात का अंदाजा लगाने के लिए काफी है. औसत के मामले में भले ही रोहित शर्मा भी अच्छे नहीं है लेकिन स्ट्राइक रेट तो सभी कप्तानों का गौतम गंभीर से बहुत बेहतर है. जो ये दिखाता है कि गंभीर कप्तानी के कितने दबाव में हैं. इन आंकड़ों से बड़ी आसानी से इस सीजन में अभी तक के तीन सुपर कप्तान भी निकाले जा सकते हैं.
यूं तो कप्तानी किसी भी टीम की कठिन ही होती है. आईपीएल में कप्तानी के कठिन होने की एक बड़ी वजह ऐसे खिलाड़ियों को लीड करना होता है जो अलग-अलग टीमों से आए होते हैं. जरूरी नहीं है कि एक खिलाड़ी जो रोल अपनी नेशनल टीम में निभाता हो वही आईपीएल टीम में भी निभाए.
आईपीएल में प्रदर्शन का सीधा असर खिलाड़ियों की बोली से जुड़ा हुआ है. यहां मालिकों का ढेर सारा पैसा दांव पर लगा रहता है. इस बात का दबाव भी कप्तानों पर रहता है. ऐसी परिस्थिति में कामयाब वो है जो कप्तानी को सीधा और आसान रखे. जिसके लिए उसका खुद के फॉर्म में होना और विश्वास से भरे रहना जरूरी है. वरना ये टूर्नामेंट पैसे का खेल है यहां खिलाड़ियों को तो छोड़िए टीमों के मालिक सीजन बदलने पर कप्तान तक ‘रीटेन’ नहीं करते.
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