IPL-11 में दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम का लगातार खराब परफॉर्मेंस के बाद कप्तान गौतम गंभीर ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. अब श्रेयस अय्यर डीडी के नए कैप्टन होंगे. दिल्ली डेयरडेविल्स का अगला मैच शुक्रवार को दिनेश कार्तिक की कप्तानी वाली टीम कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के साथ है.
आईपीएल के इस सीजन में दिल्ली ने अब तक 6 मैच खेले हैं, जिसमें से 5 मैच में हार का सामना करना पड़ा है. बता दें, गौतम गंभीर की कप्तानी में कोलकाता नाइट राइडर्स दो बार आईपीएल की चैंपियन बनी है. लेकिन इस सीजन में केकेआर ने उन्हें रिटेन नहीं किया था.
क्यों शुरू में ही पटरी से उतर जाती है DD?
ये सोचकर हैरानी होती है कि आईपीएल में दिल्ली की किस्मत कभी नहीं खुली. कई सीजन ऐसे बीते जब दिल्ली की टीम बेहतरीन थी पर कुछ कर नहीं पाई. इस बार भी टीम की शुरूआत खराब रही है.
दिल्ली डेयरडेविल्स आईपीएल की इकलौती टीम है जिसने आज तक फाइनल का मुंह नहीं देखा. जिस टीम का ‘थीम-सॉन्ग’ था ‘खेलो फ्रंटफुट पे’, वो आईपीएल के इतिहास में ज्यादातर मौकों पर बैकफुट पर ही नजर आई. पहले दोनों सीजन में दिल्ली की टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था, लेकिन उसके बाद से टीम का ग्राफ लगातार नीचे गिरता चला गया.
आखिर दिल्ली की टीम के साथ परेशानी क्या है?
2012 भी वो सीजन था जब दिल्ली की टीम ने अपने फैंस को तीसरे पायदान पर रहकर थोड़ी खुशी दी थी. इन तीन सीजन को छोड़ दे, तो दिल्ली की टीम टूर्नामेंट की सबसे फिसड्डी टीम साबित होती रही है. पिछले दो सीजन में दिल्ली की टीम ने छठे पायदान से संतोष किया था.
आईपीएल के इस सीजन में दिल्ली की कप्तानी गौतम गंभीर को मिली. गौतम गंभीर दिल्ली से सालों साल खेले हैं. टीम में उनकी वापसी से फैंस की उम्मीदें बढ़ी थीं. फिर भी अभी तक खेले गए चार मैचों में से तीन मैच में उसे हार का सामना करना पड़ा है. तीनों ही मैच में दिल्ली को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. हार के अंतर के इन आंकड़ों को देखिए उसके बाद इस बात को समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर दिल्ली की टीम के साथ परेशानी क्या है?
आखिर परेशानी की जड़ क्या है?
दिल्ली की टीम कई तरफ से परेशानियों से घिरी रही है. याद कीजिए एक वक्त था जब इस टीम में वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, रॉस टेलर, मॉर्ने मॉर्कल, जहीर खान, पैट कमिन्स जैसे बड़े नाम थे. टीम में संतुलन था. पहले दोनों सीजन का प्रदर्शन इस बात को साबित करता भी है. फिर अचानक दिल्ली की टीम के चेहरे बदलने शुरू हुए.
वो वक्त भी आया जब दिल्ली की टीम के मालिकों ने तमाम बड़े नामों को ‘रीटेन’ नहीं किया. नए नए खिलाड़ियों को टीम में शामिल किया गया. इस फैसले का मकसद ये संदेश देना था कि नाम की बजाए काम पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. पिछले दो-तीन सीजन तो ऐसे बीते जब कई खिलाड़ियों का नाम तक क्रिकेट फैंस ने पहली बार सुना.
एक बड़ी गलती ये भी हुई कि जो नामी गिरामी खिलाड़ी टीम में चुने भी गए वो उपलब्ध नहीं थे. ज्यादातक मौकों पर बड़े खिलाड़ियों की फिटनेस ने उन्हें धोखा दिया. यही वजह है कि आईपीएल की रिकॉर्ड बुक में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले, सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले या किसी भी तरह का बेहतरीन प्रदर्शन करने वालों की फेहरिस्त में दिल्ली के खिलाड़ियों का नाम कम ही दिखाई देता था. इन परिस्थितियों के मद्देनजर यही कहा जा सकता है कि किसी टीम की जीत हार के बीच जो संतुलन होता है वो दिल्ली की टीम में पिछले कई सीजन से नदारद रहा है. आइए आपको साल दर साल दिल्ली की टीम का प्रदर्शन दिखाते हैं.
क्या गंभीर पलट पाएंगे किस्मत?
गौतम गंभीर ने अपनी कप्तानी में कोलकाता नाइट राइडर्स को 2012 और 2014 में चैंपियन बनाया था. लिहाजा उनकी काबिलियत पर शक नहीं किया जा सकता है. गौतम गंभीर को करीब से जानने वाले कहते भी हैं कि उनका बड़ा मन था कि वो दिल्ली की टीम से जुड़कर कुछ अच्छा करें. लंबे समय से वो टीम इंडिया से बाहर हैं, अब उनकी वापसी की कोई उम्मीद भी नहीं है लेकिन एक ‘फाइटर’ की तरह वो अपना बेहतरीन प्रदर्शन कर संदेश देना चाहते थे.
इसकी एक और वजह शायद ये भी हो सकती है कि दिल्ली की टीम से जब उनका नाता टूटा था तो वो काफी आहत हुए थे. यूं तो आईपीएल में किसी भी तरह की ‘लॉयल्टी’ नहीं होती. खिलाड़ियों की बोली लगती है और जो टीम उन्हें खरीदती है उसके लिए वो जी-जान लगाते हैं. लेकिन गौतम गंभीर दिल्ली के हैं. बरसों दिल्ली के लिए खेले हैं. अब भी खेलते हैं. कोटला स्टेडियम उनके लिए दूसरे घर की तरह है. इन्हीं वजहों से जब दिल्ली में उनकी वापसी हुई तो वो बहुत कुछ साबित करना चाहते हैं. अफसोस अभी तक ऐसा कुछ हुआ नहीं है. दिल्ली के फैंस अब भी मायूस हैं.
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